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निकाय चुनाव- विपक्ष के लिए चेतावनी, मोदी के चक्रव्यूह एजेन्डे में फंसा विपक्ष

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निकाय चुनाव- विपक्ष के लिए चेतावनी, मोदी के चक्रव्यूह एजेन्डे में फंसा विपक्ष

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बसपा की तरह ही सपा ने भी 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर पिछड़े वर्ग के यादव विरादरी तक ही अपने को सीमित करके रख दिया। यही कारण है कि अन्य विरादरी सपा से अलग हो गयी। वर्षो से कांग्रेस संगठन निष्प्रभावी बना हुआ है और नेता दिल्ली की चाभी से काम कर रहे है। कांग्रेस नेतृत्व के पास संगठन को मजबूत करने की न तो कोई चिन्ता है और नही जनता के बीच जाने की कोई कार्य योजना। ऐसे में कांग्रेस सरकार की विफलता के माध्यम से ही सत्ता में आने का सपना संजोये हुए है। प्रदेश की राजनीति में बसपा, सपा एवं कांग्रेस के लगातार मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण एवं तुष्टिकरण की रणनीति ने जनता के मन में एक घृणित भाव पैदा कर दिया और इसका फायदा भाजपा को मिला। लोकसभा एवं विधानसभा के चुना मे इन दलों के मुस्लिम वोट बैक की रणनीति का ही परिणाम रहा कि अन्य वर्ग भाजपा के साथ एकजुट हो गया। अब भी यह दल इस मसले को सुलझा नही पा रहे है। कांग्रेस ने गुजराज के चुनाव में भाजपा की इस रणनीति को अपनाया।