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निकाय चुनाव- विपक्ष के लिए चेतावनी, मोदी के चक्रव्यूह एजेन्डे में फंसा विपक्ष

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निकाय चुनाव- विपक्ष के लिए चेतावनी, मोदी के चक्रव्यूह एजेन्डे में फंसा विपक्ष

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निकाय चुनाव में 16 महानगरों में भाजपा की 14 पर जीत उतनी महत्वपूर्ण नही है जितनी की नगरपालिका परिषद एवं नगर पंचायतों में बढ़ा बर्चस्व है। महानगरों में भाजपा का पहले से ही बर्चस्व रहा है परन्तु नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों में वह हमेशा ही गच्चा खा जाती थी। भाजपा को इन सीटों पर और भी सफलता मिलती यदि जिला स्तर पर प्रत्याशियों का सही चयन होता। जेबी प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा तथा पार्टी की अन्दरूनी खींचतान ने भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में रोड़ा अटका दिया। भाजपा को नगर निगम की मेरठ एवं अलीगढ़ में हार के कारणों को भी खोजना पड़ेगा। मेरठ एवं अलीगढ़ में पिछले एक दशक से जिला इकाइयों, सांसद एवं विधायकों में खींचतान चलती आ रही है। इसी का परिणाम रहा कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी मोदी लहर में भी मेरठ शहर से सीट गंवा बैठे। इसी प्रकार अलीगढ़ में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पार्टी छोड़ने और फिर वापसी के क्रम में जिला में जो माहौल बिगड़ा, वह अभी तक सुधर नही पाया है।