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निकाय चुनाव- विपक्ष के लिए चेतावनी, मोदी के चक्रव्यूह एजेन्डे में फंसा विपक्ष

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निकाय चुनाव- विपक्ष के लिए चेतावनी, मोदी के चक्रव्यूह एजेन्डे में फंसा विपक्ष

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विजय शंकर पंकज,लखनऊ। पहले लोकसभा, फिर विधानसभा और अब निकाय चुनाव में करारी शिकस्त खाने के बाद भी जब विपक्ष मोदी के जादू और भाजपा के संगठनात्मक ढा़चे को नही समझ पा रहा है तो देश की सियासत में अलग-थलग पड़ने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नही होता है। राजनीतिक समझ यही कहती है कि दुर्दिन में दुश्मन को भी गले लगाने से नही चुकना चाहिए। डूबते को तिनके का सहारा होता है। उत्तर प्रदेश की सियासत में अब समय आ गया है कि सपा,बसपा और कांग्रेस अपनी पुरानी दलिलों को छोड़ एकजुट होकर चुनाव मैदान में भाजपा का विकल्प देने का प्रयास करे। तमाम आलोचनाओं और सियासी अनुमानों के बाद भी इन चुनावों में भाजपा को मिली भारी जीत ने साबित कर दिया है कि फिलहाल राज्य में उसका कोई विकल्प नही है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरण इस प्रकार साधा है कि अन्य दलों को उसमें सेंध लगाना संभव नही हो पा रहा है। ऐसे में इन तीनों प्रमुख दलों के लिए यही एकमात्र सहारा है कि आपसी मतभेद और राजनीतिक दंभ से दूर होकर एकजुट होकर भाजपाई सेना का मुकाबला करे। साफ है कि चुनावी गणित ने भी साबित कर दिया है कि यह दल एकजुट होकर चुनाव लड़े तो भाजपा को किनारे लगाया जा सकता है। आगे स्लाइड कर पढ़ें..