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वामपंथ का अवसान-जमीनी हकीकत से दूर बौद्धिक बहस में ही सिमटा

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वामपंथ का अवसान-जमीनी हकीकत से दूर बौद्धिक बहस में ही सिमटा

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में वामपंथियों की राजनीतिक स्वरूप पर नजर डालें तो कांग्रेस की पूंजीवादी सोच के खिलाफ नारा बुलन्द करने में लाल झंडे का परचम ही लहराता था। उस समय जनसंघ और हिन्दूवादी संगठन आम जनता के बीच अपनी पैठ नही बना पाये थे जबकि वामपंथी गरीबों और मजदूरों की आवाज बने हुए थे। इन हालातों के बाद भी अति पिछड़ों एवं गरीब इलाकों में ही वामपंथी अपनी पैठ बनाने में सफल रहते। शहरी मजदूरों को अपने पक्ष में करने और जीत करने में वामपंथी उत्तर प्रदेश की राजनीति में सफल नही हुए।