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योगी सरकार के 6 माह, रिजल्ट सिफर- विपक्ष पर ठिकरा

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योगी सरकार के 6 माह, रिजल्ट सिफर- विपक्ष पर ठिकरा

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6 माह की इन उपलब्धियों में योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के किसी भी मामले का उल्लेख ही नही किया। राज्य लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधली की तमाम शिकायतों के बाद भी सरकार ने इसकी सीबीआई जांच न कराकर सतर्कता अधिष्ठान को जिम्मेदारी सौपा दी। जातिवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों को हटा दिया गया परन्तु उनके स्थान पर अभी तक किसी की नियुक्ति नही हुई है जिससे आयोग का सारा काम ठप पड़ा है। प्रदेश के कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों/कर्मचारियों के पद भारी संख्या में खाली पड़े है परन्तु उन पर नियुक्ति नही हो पा रहा है।
पुलिस, शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी से चरमरा गयी है। इस संदर्भ में सरकार अभी तक केवल आश्वासन ही देती आ रही है। असल में सरकार के पास भर्तिया करने और रोजगार देने की मंशा में ढिलाई के पीछे उनके वेतनमान देने की भी समस्या है। राज्य का आर्थिक तंत्र जार-जार हो चुका है। वर्तमान सरकारी कर्मचारियों/शिक्षकों का ही वेतनमान देना कठिन हो रहा है, उस पर नयी भर्तिया सरकार के लिए और मुसीबत ही पैदा करेगी। यही नही योगी सरकार ने गरीबों एवं श्रमिकों के लिए सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए "अन्नपूर्णा योजना" शु डिग्री करने की घोषणा की थी परन्तु इस दिशा में सरकार एक कदम भी आगे नही बढ़ी है। यही वजह है कि योगी ने 6 माह की उपलब्धियों पर इसका उल्लेख तक नही किया।