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मजबूरी-- सपा-कांग्रेस गठबंधन

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मजबूरी-- सपा-कांग्रेस गठबंधन

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बसपा को होगा भारी खामियाजा--

सपा-कांग्रेस गठबंधन से बसपा को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। बसपा से पहले से ही सवर्ण एवं पिछड़े मतदाता रूठे हुए है। पिछड़े एवं दलित वर्ग के कई प्रभावी नेता बसपा छोड़ भाजपा में जा चुके है। बसपा की प्रमोशन में आरक्षण की नीति ने दलित विरादरी को अन्य से अलग-थलग कर दिया है। ऐसे में बसपा ने पहली बार दलित-मुस्लिम गठजोड़ का दांव खेला है परन्तु पार्टी की अविश्वसनीयता के कारण मुस्लिम वर्ग की पहली पसन्द सपा-कांग्रेस गठबंधन ही होगा। सपा के यादवी रूझान तथा सरकारी नौकरियों में यादवों के लिए अन्य विरादरी के लोगों से किये गये भेदभाव से भी सवर्ण खुश नही है परन्तु कांग्रेस समर्थित सवर्ण  गठबंधन के साथ होने पर सपा को लाभ मिलेगा। इसी प्रकार रालोद के साथ आने पर जाट वोटों की भी एकजुटता गठबंधन के लिए फायदेमंद होगी।