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मजबूरी-- सपा-कांग्रेस गठबंधन

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मजबूरी-- सपा-कांग्रेस गठबंधन

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अखिलेश को नयी ताकत देगा गठबंधन--cool

विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन का अखिलेश के राजनैतिक कैरियर पर व्यापक प्रभाव डालेगा। अभी तक मुलायम का गठबंधन हमेशा ही अविश्वसनीय तरीके से रूप बदलता रहा है परन्तु अखिलेश-राहुल के बीच पनपती वैचारिक समानता आैर युवा जोश का प्रभाव गठबंधन को लंबे समय के लिए विश्वसनीय स्वरूप ले सकता है। इसके माध्यम से अखिलेश राष्ट्रीय राजनीति में अपनी प्रभावी छवि कायम कर सकते है। इस गठबंधन से अखिलेश को दोहरा लाभ होगा। सपा के यदुबंशी परिवार में पिछले तीन माह से चल रहा चचा-भतीजे का द्वन्द युद्ध कमजोर पड़ेगा, वही प्रत्याशी चयन से लेकर अन्य राजनीतिक प्रभाव कम करने के चचा की रणनीति को धक्का लगेगा आैर अखिलेश का रूतबा बढ़ेगा। साफ है कि अखिलेश-राहुल के गठबंधन में सीटों के बंटवारे से लेकर प्रत्याशी चयन का ज्यादातर मुद्दा भी इन्ही दोनों युवाओं के इशारे पर ही तय किया जाएगा। राहुल का साथ लेकर अखिलेश चचा को निष्प्रभावी करने में सक्षम होगे। यही नही अगले मुख्यमंत्री के चेहरे पर भी चुनाव पूर्व ही कांग्रेस अखिलेश के ही नाम का प्रस्ताव करेगी जिससे कि चचा शिवपाल की विधायकों से चुने जाने तथा सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को संभालने की सलाह देने की स्थिति पर विराम लग जाएगा। अखिलेश-राहुल की इस जोड़ी में अमर सिंह-शिवपाल की दखलन्दाजी खत्म की दी जाएगी। राहुल पहले से ही अमर सिंह जैसे नेताओं से राजनीतिक दूरियां बनाकर चलते है। कई दलों से नजदीकी संबंध रखने के ही कारण राहुल अपने वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी से नाराज रहते है आैर उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नही दी।