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आखिर खुल गया यदुबंशी परिवार का सच

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आखिर खुल गया यदुबंशी परिवार का सच

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सुलझेगा विवाद ?--

महाभारत में एक कथा है। युद्ध शुरु होने से पहले शान्ति के सारे प्रयास किये जा रहे थे। अन्त में भगवान कृष्ण पाण्डवों की तरफ से शान्ति दूत बनकर कौरव पक्ष में दुर्योधन से मिलने जाने को तैयार हुए। द्रौपदी अपने अपमान का बदला लेने के लिए हर हाल में युद्ध चाहती थी। उसे लगा कि कृष्ण दूत बनकर जा रहे है तो युद्ध टालने का कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेगे। घबड़ाकर द्रौपदी ने कृष्ण से कहा- हे माधव क्या युद्ध नही होगा? कृष्ण सखा थे आैर सखी द्रौपदी के हर भाव को समझते थे। कृष्ण ने बड़े धैर्य से जवाब दिया- सखी, युद्ध के बारे में मुझसे ज्यादा दुर्योधन पर विश्वास रखो, वह बिना युद्ध नही मानेगा। इस कलयुगी यदुबंशीय परिवार की रार में भी साधना आैर अखिलेश के बीच की लड़ाई कुछ-कुछ द्रौपदी आैर दुर्योधन के एक दूसरे के प्रति हद की घृणात्मक भावों से भरे है। यह तो यदुबंशीय परिवार के गर्भ में है कि किसने, कब, किसका आैर कैसे-कैसे अपमान किया है। यह महाभारत तो कुछ ऐसे ही घटनाक्रमों की पुनरावृति कर रही है।