मुख्यमंत्री तथा दोनों उपमुख्यमंत्री भी चुनाव लड़ेगे
विजय शंकर पंकज, यूरिड मीडिया, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही संगठन से जुड़े लोगो को चुनाव न लड़ने की बात की गयी है। ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक संगठन पदाधिकारियों को अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ेगा। संगठन के पदाधिकारी चुनावी प्रबन्ध का कार्य देखेगे। संगठन के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी जिला स्तर पर भी मुस्तैदी के साथ लागू की जाएगी। भाजपा के सांसदो तथा केन्द्रीय प्रमुख नेताओं को लोकसभावार जिम्मेदारी सौपी जाएगी। लोकसभा के प्रभारी के अपने क्षेत्र के विधायकों की हार जीत के लिए जिम्मेदार माने जाएगे।
करोना महामारी के आपद काल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से भाजपा हाईकमान खुश है। इसके बाद भी सत्ता में रहते कुछ मंत्रियों के क्रियाकलापो तथा भ्रष्टाचार की शिकायतों को नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। विधायको की नाराजगी तथा अफसरशाही के बढ़ते बर्चस्व की घटनाओं ने भाजपा नेतृत्व को चिन्तित किया है। इसके साथ ही कार्यकताओं की नाराजगी को भी दूर करने के लिए नेतृत्व नयी रणनीति बनाने पर जुटा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार ने भाजपा ने 15 जुलाई तक राज्य इकाई तथा सरकार ने अपने अपने स्तर से चुनावी रणनीति का पूरा खाका पेश करने का निर्देश दिया है। चुनावी रणनीति में पहले चरण में विधान परिषद कोटे से मंत्री बने नेताओं को चुनाव लड़ने का साफ संकेत दे दिया गया है। इस कड़ी में जो मंत्री चुनाव लड़ने की स्थिति में नही है, उन्हे मंत्री पद छोड़ कर संगठन का कार्य करने को कहा गया है। यह प्रक्रिया जुलाई माह में पूरी कर ली जाएगी। विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रमुख नेताओं में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य तथा दिनेश शर्मा है। इन लोगो को अपना विधानसभा क्षेत्र चुनने की छूट दी गयी है। संभावना है कि मुख्यमंत्री गोरखपुर सदर से तथा केशव मौर्य अपनी पुरानी विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेगे। दिनेश शर्मा के लिए लखनऊ से चुनाव लड़ने की संभावना है। लखनऊ में दिनेश शर्मा को पूर्वी क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की संभावना है। यहां से विधायक नगर विकास मंत्री गोपाल टंडन के खिलाफ सभासदों तथा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। गोपाल टंडन को लखनऊ पश्चिम से चुनाव लड़ाये जाने की संभावना है। जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह के प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है। वैसे महेन्द्र सिंह को संगठन कार्य का अच्छा अनुभव है। इसके अलावा विधानपरिषद से मंत्रियों में भूपेन्द्र चौधरी तथा अनिल कटारिया को भी चुनाव लड़ने की बात की गयी है। वैसे भाजपा नेतृत्व विधान परिषद के अन्य कई नेताओं को भी चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बना रहा है।
भाजपा नेतृत्व ने चुनाव में जीत के लिए 100 से ज्यादा विधायको के टिकट काटने आैर नये चेहरो को मैदान में उतारने की रणनीति बनायी है। प्रत्याशी की पैरवी करने वाले वरिष्ठ नेताओं को उनकी जीत की जिम्मेदारी लेनी होगी। पार्टी ने कई मंत्रियों तथा विधायको के कार्यक्षेत्र में भी बदलाव की रणनीति बनायी है। वरिष्ठता क्रम में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना तथा विधानसभा अध्यक्ष को इस बार चुनावी रणनीति से अलग कर अन्य प्रमुख जिम्मेदारी दिये जाने की चर्चा है। कांग्रेस से भाजपा में आये जतिन प्रसाद को शाहजहांपुर या लखीमपुर से चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
बताया जाता है कि भाजपा ने अगस्त - सितम्बर तक प्रत्याशी चयन से लेकर बूथवार चुनावी प्रबन्धन की तैयारी पूरी करने की रणनीति बनायी है। चुनावी घोषणा से पहले ही प्रभारियांे को अपने क्षेत्रों में प्रवास करने तथा कार्यकर्तायों को सक्रिय किये जाने की जिम्मेदारी सौप दी जाएगी। प्रत्याशियों की घोषणा बाद में की जाएगी परन्तु सूची तैयार रहेगी। जरूरत के मुताबिक बाद में कुछ बदलाव किये जाएगे।
विजय शंकर पंकज, यूरिड मीडिया, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही संगठन से जुड़े लोगो को चुनाव न लड़ने की बात की गयी है। ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक संगठन पदाधिकारियों को अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ेगा। संगठन के पदाधिकारी चुनावी प्रबन्ध का कार्य देखेगे। संगठन के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी जिला स्तर पर भी मुस्तैदी के साथ लागू की जाएगी। भाजपा के सांसदो तथा केन्द्रीय प्रमुख नेताओं को लोकसभावार जिम्मेदारी सौपी जाएगी। लोकसभा के प्रभारी के अपने क्षेत्र के विधायकों की हार जीत के लिए जिम्मेदार माने जाएगे।
करोना महामारी के आपद काल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से भाजपा हाईकमान खुश है। इसके बाद भी सत्ता में रहते कुछ मंत्रियों के क्रियाकलापो तथा भ्रष्टाचार की शिकायतों को नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। विधायको की नाराजगी तथा अफसरशाही के बढ़ते बर्चस्व की घटनाओं ने भाजपा नेतृत्व को चिन्तित किया है। इसके साथ ही कार्यकताओं की नाराजगी को भी दूर करने के लिए नेतृत्व नयी रणनीति बनाने पर जुटा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार ने भाजपा ने 15 जुलाई तक राज्य इकाई तथा सरकार ने अपने अपने स्तर से चुनावी रणनीति का पूरा खाका पेश करने का निर्देश दिया है। चुनावी रणनीति में पहले चरण में विधान परिषद कोटे से मंत्री बने नेताओं को चुनाव लड़ने का साफ संकेत दे दिया गया है। इस कड़ी में जो मंत्री चुनाव लड़ने की स्थिति में नही है, उन्हे मंत्री पद छोड़ कर संगठन का कार्य करने को कहा गया है। यह प्रक्रिया जुलाई माह में पूरी कर ली जाएगी। विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रमुख नेताओं में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य तथा दिनेश शर्मा है। इन लोगो को अपना विधानसभा क्षेत्र चुनने की छूट दी गयी है। संभावना है कि मुख्यमंत्री गोरखपुर सदर से तथा केशव मौर्य अपनी पुरानी विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेगे। दिनेश शर्मा के लिए लखनऊ से चुनाव लड़ने की संभावना है। लखनऊ में दिनेश शर्मा को पूर्वी क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की संभावना है। यहां से विधायक नगर विकास मंत्री गोपाल टंडन के खिलाफ सभासदों तथा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। गोपाल टंडन को लखनऊ पश्चिम से चुनाव लड़ाये जाने की संभावना है। जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह के प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है। वैसे महेन्द्र सिंह को संगठन कार्य का अच्छा अनुभव है। इसके अलावा विधानपरिषद से मंत्रियों में भूपेन्द्र चौधरी तथा अनिल कटारिया को भी चुनाव लड़ने की बात की गयी है। वैसे भाजपा नेतृत्व विधान परिषद के अन्य कई नेताओं को भी चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बना रहा है।
भाजपा नेतृत्व ने चुनाव में जीत के लिए 100 से ज्यादा विधायको के टिकट काटने आैर नये चेहरो को मैदान में उतारने की रणनीति बनायी है। प्रत्याशी की पैरवी करने वाले वरिष्ठ नेताओं को उनकी जीत की जिम्मेदारी लेनी होगी। पार्टी ने कई मंत्रियों तथा विधायको के कार्यक्षेत्र में भी बदलाव की रणनीति बनायी है। वरिष्ठता क्रम में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना तथा विधानसभा अध्यक्ष को इस बार चुनावी रणनीति से अलग कर अन्य प्रमुख जिम्मेदारी दिये जाने की चर्चा है। कांग्रेस से भाजपा में आये जतिन प्रसाद को शाहजहांपुर या लखीमपुर से चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
बताया जाता है कि भाजपा ने अगस्त - सितम्बर तक प्रत्याशी चयन से लेकर बूथवार चुनावी प्रबन्धन की तैयारी पूरी करने की रणनीति बनायी है। चुनावी घोषणा से पहले ही प्रभारियांे को अपने क्षेत्रों में प्रवास करने तथा कार्यकर्तायों को सक्रिय किये जाने की जिम्मेदारी सौप दी जाएगी। प्रत्याशियों की घोषणा बाद में की जाएगी परन्तु सूची तैयार रहेगी। जरूरत के मुताबिक बाद में कुछ बदलाव किये जाएगे।
17th June, 2021