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राम गोपाल की कटार...

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राम गोपाल की कटार...

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दूसरी तरफ अखिलेश यादव बड़ा पुत्र होने आैर मुख्यमंत्री बनने के बाद अब वही अपने को मुलायम के राजनीतिक उत्तराधिकारी तथा यादवों का नेता मान रहे है। शिवपाल के समर्थन में उनकी भाभी तथा मुलायम सिंह की पत्नी का भी अप्रत्यक्ष हाथ बताया जा रहा है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि तमाम विरोधों के बाद 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर मुलायम सिंह यादव ने अपना पद छोड़ अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया परन्तु चार वर्ष जिस प्रकार उन्हें विश्वास में लिए बगैर अचानक प्रदेश सपा अध्यक्ष पद से हटाया गया, उसमें कही आैर का बड़ा दबाव है। अखिलेश का कभी भी अपनी विमाता से संबंध अच्छा नही रहा है। मुलायम की दूसरी पत्नी भी अपने पुत्र को राजनीति में उतारना चाहती है। उनकी बहू अर्पणा पहले से राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय है। ऐसे में शिवपाल का साथ ही इस परिवार को रास आ रहा है। चर्चा यह है कि शिवपाल के नये पदाधिकारियों में मुलायम के दूसरे पुत्र प्रतीक यादव भी शामिल होगे। यही वजह है कि परिवार की इस राजनीतिक विरासत में एक तरफ राम गोपाल यादव तथा अखिलेश यादव है तो दूसरी तरफ शिवपाल आैर उनकी भाभी साधना एवं प्रतीक है।