लखनऊ, 28 नवंबर 2025 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि शांत और स्थिर मन से ही विश्व शांति एवं एकता की मजबूत नींव तैयार होती है। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था के 'विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान (योग)' अभियान का राज्य स्तरीय शुभारंभ करते हुए जोर दिया कि आध्यात्मिक जागृति ही प्रेम, भाईचारे और करुणा को जीवन का अभिन्न अंग बनाती है। सुल्तानपुर रोड स्थित गुलजार उपवन राजयोग ट्रेनिंग सेंटर में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति ने एकता और विश्वास का दिव्य कलश भेंट किया तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
ओम शांति के उद्घोष से गूंजा सभागार राष्ट्रपति के 'ओम शांति' मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुए संबोधन पर पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से प्रतिध्वनित हो उठा। दस मिनट के अपने प्रेरक भाषण में उन्होंने मन की शांति, अध्यात्म, भारतीय संस्कृति, मूल्यों और सरकार की नीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हर व्यक्ति दूसरे पर विश्वास करना चाहता है, लेकिन विश्वास तभी अटल होता है जब मन शांत हो, विचार स्वस्थ हों और भावनाएं शुद्ध हों। स्वयं से संवाद करने पर अनुभव होता है कि शांति और आनंद बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही विद्यमान हैं।" राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि सशक्त आत्मा विश्व एकता की आधारशिला है। उन्होंने आह्वान किया, "आइए, शांति को भीतर जगाएं, विश्वास को विचारों में उतारें और एकता को कर्मों में प्रकट करें। हम सब मिलकर शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण करें।"
ब्रह्माकुमारी प्रयासों की सराहना ब्रह्माकुमारी संस्था के विश्व शांति, नारी सशक्तिकरण, आंतरिक जागृति, शिक्षा और ध्यान के क्षेत्र में योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "यह संस्था गांव-गांव में शिक्षा केंद्र स्थापित कर सुख, शांति, आनंद, प्रेम और विश्वास का संदेश जन-जन तक पहुंचा रही है। आज का यह अभियान सुंदर विश्व निर्माण का संवाहक बनेगा।" भारत की प्राचीन संस्कृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के संदेश को आज की चुनौतियों के लिए अत्यंत प्रासंगिक बताया। "विश्व परिवार की यह अवधारणा महासंकटों का समाधान है। ब्रह्माकुमारी परिवार को इस अभियान के लिए बधाई!"
सरकार की नीतियां मूल्य आधारित समाज की दिशा में राष्ट्रपति ने भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की। योग और ध्यान को वैश्विक मंच पर बढ़ावा, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूल्य शिक्षा, मिशन लाइफ अभियान, महिला सशक्तिकरण और जी-20 की थीम 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' का जिक्र करते हुए कहा कि ये सभी कदम मानवीय मूल्यों, संवाद और आध्यात्मिक चेतना पर आधारित हैं। आधुनिक विज्ञान-तकनीकी की प्रगति के बीच बढ़ते तनाव, अविश्वास और एकाकीपन पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, "आवश्यक है कि बाहरी उन्नति के साथ आंतरिक यात्रा भी शुरू करें। स्वयं के भीतर बढ़ना ही समय की मांग है।"
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का गहन और प्रेरक संबोधन
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ब्रह्माकुमारी संस्था को राष्ट्र निर्माण का मजबूत स्तंभ बताते हुए अपना विस्तृत संबोधन दिया। उन्होंने कहा, "ब्रह्माकुमारी विश्व की यह विशाल संस्था नारी शक्ति द्वारा संचालित है, जो विभिन्न आयामों से राष्ट्र निर्माण की गतिविधियां संचालित कर रही है। राजयोग मेडिटेशन कोई साधारण अभ्यास नहीं, बल्कि एक संपूर्ण सकारात्मक जीवनशैली है। यह व्यक्ति को स्वाभाविक रूप से सुख, शांति और पवित्रता जैसे सद्गुणों की ओर अग्रसर करता है।" राज्यपाल ने राजयोग की गहराई पर प्रकाश डालते हुए कहा, "मेडिटेशन हमें यह सिखाता है कि आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है। यह सृष्टि के चक्र का स्पष्ट बोध कराता है और वर्तमान परिस्थितियों को हमारे पूर्व कर्मों का फल बताता है। राजयोग वास्तव में अपने आप से मिलने की अनुभूति है। यह हमें स्वयं को सुनना, अपनी आंतरिक आवाज को पहचानना और पूर्ण शांति प्राप्त करना सिखाता है।" उन्होंने जोर देकर कहा, "राजयोग मानव चेतना को जागृत करता है, समाज को एकजुट और संगठित बनाता है। आज के तनावपूर्ण युग में यह सभी के लिए अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। स्वपरिवर्तन ही विश्व परिवर्तन का प्रथम, सबसे सरल और सबसे प्रभावी मार्ग है। जब हम स्वयं में परिवर्तन लाते हैं, तभी समाज और विश्व में सकारात्मक बदलाव संभव होता है।" उनके इस गहन संदेश ने सभागार में उपस्थित हजारों लोगों को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित किया और जोरदार तालियों से स्वागत मिला।
दुनिया में व्याप्त आतंकवाद, हिंसा, उपद्रव और सामाजिक अस्थिरता के पीछे मन की चंचल और नकारात्मक प्रवृत्तियां ही जिम्मेदार : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के जीवन को एक जीवंत प्रेरणा स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने विस्तार से कहा, "राष्ट्रपति जी का जीवन एक शिक्षक के रूप में शुरू होकर जनसेवक और फिर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना संघर्ष, समर्पण, नैतिकता और आदर्शों की अनुपम मिसाल है। उनकी यह यात्रा हर व्यक्ति, विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरक दर्पण है।" वैश्विक समस्याओं की जड़ पर सीधी चोट करते हुए सीएम ने कहा, "व्यक्ति के बंधन और मोक्ष का मूल कारण उसका मन ही है। आज दुनिया में व्याप्त आतंकवाद, हिंसा, उपद्रव और सामाजिक अस्थिरता के पीछे मन की चंचल और नकारात्मक प्रवृत्तियां ही जिम्मेदार हैं। मन का सकारात्मक पक्ष हमें रचनात्मकता, प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाता है, जबकि नकारात्मक मन विनाश, अविश्वास और विभाजन की ओर धकेलता है।" ब्रह्माकुमारी संस्था के योगदान की हृदयस्पर्शी प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, "इस संस्था से जुड़े सभी पदाधिकारी और अनुयायी राजयोग के माध्यम से सकारात्मक माहौल का निरंतर निर्माण कर रहे हैं। गुलजार उपवन राजयोग ट्रेनिंग सेंटर न केवल लखनऊ का, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश का राजयोग प्रशिक्षण का प्रमुख और आदर्श केंद्र बनेगा। यह केंद्र लाखों लोगों को शांति, एकता और सकारात्मकता का मार्ग दिखाएगा तथा प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।" मुख्यमंत्री ने युवाओं और समाज के हर वर्ग से आह्वान किया, "आइए, हम सब मिलकर राजयोग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और उत्तर प्रदेश को शांति, समृद्धि और एकता का प्रतीक बनाएं।" उनके इस व्यावहारिक और प्रेरक संदेश ने सभागार में युवाओं में विशेष उत्साह का संचार किया तथा लंबे समय तक तालियों की गूंज बनी रही।
अभियान का उद्देश्य और विस्तार केंद्र की निदेशिका राजयोगिनी बीके राधा दीदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश परमात्मा शिव का सबसे बड़ा मंदिर है, जहां मथुरा श्रीकृष्ण की कर्मभूमि और अयोध्या श्रीराम की चरित्रभूमि है। अभियान का लक्ष्य धर्म-जाति भुलाकर भाईचारा स्थापित करना है। प्रदेशभर में गांव-शहरों में कार्यक्रम आयोजित होंगे। बीके नथमल भाई ने मनोविकारों पर विजय को एकता की शर्त बताया। संचालन राजयोगिनी बीके मनोरमा दीदी ने किया।
समारोह में गणमान्यजन कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके संतोष दीदी, अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बीके डॉ. मृत्युंजय भाई, माउंट आबू की राजयोगिनी बीके प्रभा दीदी सहित वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। लखनऊ के 400 से अधिक बिजनेसमैन, 100 डॉक्टर, 300 प्रशासनिक अधिकारी और 3 हजार से ज्यादा ब्रह्माकुमारी अनुयायी शामिल हुए। यह अभियान न केवल व्यक्तिगत शांति का माध्यम बनेगा, बल्कि विश्व एकता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
