मणिपुर के कोत्रुक गांव में जिस तरह से कुकी उग्रवादियों ने ड्रोन से आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपैल्ड गन अटैक किया, वह वाकई चौंकाने वाला है। अभी तक कुकी उग्रवादी मणिपुर पुलिस से छीने गए हथियारों का इस्तेमाल हमलों के लिए कर रहे थे, जिनमें इंसास राइफलें, कार्बाइन, हैंड ग्रेनेड, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर जैसे हथियार शामिल थे, लेकिन अब ड्रोन अटैक यह वाकई चिंताजनक है। वहां मौजूद चश्मदीदों का कहना है कि इस हमले के लिए केवल एक ड्रोन नहीं आया था, बल्कि वहां कई ड्रोन मौजूद थे। खुद मणिपुर पुलिस भी आरपीजी ड्रोन अटैक से हैरान है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि चीन इन ड्रोनों को म्यांमार के रास्ते भारत भेज रहा है और ये ड्रोन मणिपुर की इंटरनल सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी इन एडवांस ड्रोन हमलों पर चिंता जताई है।
पिछले तकरीबन डेढ़ साल से मणिपुर अशांत है। पिछले महीने अगस्त के आखिर में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी पहली बार दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर आए थे। जहां उन्होंने जातीय हिंसा से ग्रस्त मणिपुर के सुरक्षा हालात की जानकारी ली थी। मणिपुर में पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा भड़की थी। सेना प्रमुख ने जमीनी स्तर पर तैनात कमांडरों से ऑपरेशनल तैयारियों के बारे में जायजा लिया और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ भी चर्चा की। साथ ही, उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के साथ बैठक की थी और वहां के आंतरिक हालात के अलावा, जल्द ही शांति और स्थिरता कायम करने को लेकर भी चर्चा की थी।
लेकिन उसके एक हफ्ते बाद ही मणिपुर में जो हुआ उसकी वाकई किसी ने कल्पना नहीं की थी। कुकी उग्रवादियों ने एक सितंबर को मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में कोत्रुक गांव पर आश्चर्यजनक तरीके से ड्रोन के जरिए आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपैल्ड गन अटैक किया। आमतौर पर ये हथियार जंग में इस्तेमाल होते हैं। मैतई बहुल इस गांव में पहले उग्रवादियों ने हैवी फायरिंग के बाद ड्रोन से बम गिराए। हमले में एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई जख्मी हो गए। सूत्रों का कहना है कि ये ड्रोन अटैक इतने सटीक थे कि चुनिंदा घरों को ही निशाना बनाया गया। वहीं यह इलाका कांगपोकपी जिले से घिरा हुआ है, जहां कुकी-जो की आबादी ज्यादा है। वहीं, इसके बाद इंफाल वेस्ट में भी उग्रवादियों ने दोबारा से ड्रोन अटैक किया।
हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल चौंकाने वाला
इस तरह के ड्रोन अटैक से मणिपुर पुलिस भी हक्की-बक्की है। मणिपुर पुलिस ने अपने बयान में कहा है, ड्रोन बमों का इस्तेमाल आम तौर पर सामान्य युद्धों में किया जाता रहा है। सुरक्षा बलों और आम नागरिकों के खिलाफ विस्फोटक हमले करने के लिए आरपीजी अटैक के लिए हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल वाकई चौंकाने वाला है। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसके लिए उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों, तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई होगी। मणिपुर की सीएम ने भी की निंदा
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह एक्स पर लिखते हैं कि ड्रोन का उपयोग करके नागरिक आबादी और सुरक्षा बलों पर बम गिराना आतंकवाद का कृत्य है और मैं इस तरह के कायरतापूर्ण कृत्यों की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। मणिपुर राज्य सरकार इस तरह के अकारण हमले को अत्यंत गंभीरता से लेती है और स्थानीय आबादी पर इस तरह के आतंकवाद से लड़ने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेगी। हम सभी प्रकार की हिंसा की निंदा करते हैं और मणिपुर के लोग नफरत, विभाजन और अलगाववाद के खिलाफ एकजुट होंगे।
हो सकते हैं ऐसे हमले!
इस मामले पर मणिपुर पब्लिक सर्विस कमीशन के पूर्व चेयरमैन और रिटायर्ड सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल लायफराकम निशिकांत सिंह कहते हैं कि सोमवार सुबह भी इंफाल के पूर्व में लामलाई के पास मेइखांग चिंग में एक नया मोर्चा खोला गया। सुबह 5.30 बजे के आसपास गोलीबारी और बमबारी शुरू हुई। उत्तरी इंफाल के सेकमाई इलाके में गोलीबारी फिर से शुरू हुई। हमलों के लिए हाई एंड ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जो चिंताजनक है। अगर दूसरे आतंकवादी भी इन हमलों से सीख ले लें, तो क्या होगा।
वह सवाल उठाते हैं कि इन्हें कौन पैसा मुहैया करा रहा है, इन्हें किसने प्रशिक्षित किया? ये सीमा से 150 किमी दूर भारतीय क्षेत्र में ये ड्रोन कैसे पहुंच गए। ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन पर विश्लेषण की जरूरत है। वह आगे कहते हैं कि यह दुखद बात है कि मणिपुर में 30 लाख भारतीय अभी भी अनिश्चितता में जी रहे हैं। इंफाल अशांत हो गया है, वहां तीन दिशाओं पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से छोटे हथियारों, बम, सशस्त्र ड्रोन और रॉकेट से हमला किया गया। वह कहते हैं कि सरकार को 30 लाख भारतीयों के दर्द को महसूस करना चाहिए, जिनका जीवन और भविष्य अंधकार में है।
म्यामांर में बदल रहे हालात चिंताजनक
वहीं खुफिया सूत्र कहते हैं कि कुकी उग्रवादियों ने जिस तरह से ड्रोन से आरपीजी हमला किया है, यह बहुत एडवांस लेवल का है। अब तक केवल यूक्रेन और हमास ही ऐसे हमले करता रहा है। वह कहते हैं कि सीमा से सटे म्यामांर में भी बीपीएलए (बामर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) विद्रोही इसी प्रकार के हमले म्यामांर सुरक्षा बलों पर करते रहे हैं। म्यांमार में तेजी से बदल रहे घटनाक्रम मणिपुर की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। वह बताते हैं कि बीपीएलए की 605वीं बटालियन ने 3 जुलाई को लाशियो में जुंटा (रामाखा) के पूर्वोत्तर सैन्य मुख्यालय पर कब्जा कर लिया। लाशियो भारतीय सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। बीपीएलए को पीएलए मदद कर रही है। लाशियो पर कब्जा करने के लिए विद्रोहियों ने गुरिल्ला हमले की रणनीति अपनाई, जो पीएलए की खासियत है।
चीन चला रहा है गुप्त ऑपरेशन
सूत्रों ने बताया कि मणिपुर में फैल रही अशांति चीन की तरफ से चलाए जा रहे गुप्त ऑपरेशन का हिस्सा है। अप्रैल 2024 में, चीन ने पीकिंग विश्वविद्यालय के विशेष दूत के तौर पर आसियान में पूर्व चीनी राजदूत रहे डेंग जिजुन को म्यांमार म्यांमार में जुंता के जनरल मिन आंग ह्लाइंग से मिलने के लिए भेजा। वहां उन्होंने म्यांमार के पुनर्निर्माण में चीन की भागीदारी को लेकर चर्चा की। वहीं चीन ने थाईलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा को म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत के तौर पर नियुक्त करने का भी समर्थन किया। बता दें कि बीजिंग के साथ यिंगलक के मजबूत संबंधों के चलते ही उन्हें विशेष दूत बनाया गया है। वहीं अप्रैल में ही चीन ने म्यांमार में अलगाववादी गुटों को गोला-बारूद, हथियार और वर्दी की सप्लाई दोगुनी कर दी। लेकिन चीन ने दोहरा खेल खेलते हुए जुंटा को भी हथियारों की सप्लाई की।
आतंकियों के हाथ पहुंचे कार्ल गुस्ताव रॉकेट लांचर
सूत्रों ने बताया कि भारत सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर फोकस कर रहा है, लेकिन असली जरूरत उत्तर-पूर्व पर केंद्रित करने की है। चीन जल्द ही म्यांमार की सीमाओं के जरिए मणिपुर, नागालैंड और बंगाल की खाड़ी तक पहुंच बना लेगा। वह कहते हैं कि म्यांमार विद्रोहियों को न केवल चीन से हथियार मिल रहे हैं, बल्कि वे स्वीडिश निर्मित कार्ल गुस्ताव रॉकेट लांचर यूबीजीएल एम1 और एम2 भी इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे लगता है कि उन्हें दूसरे देशों से भी हथियारों की सप्लाई मिल रही है। उन्होंने अंदेशा जताया कि जिस तरह से आरपीजी ड्रोन भारत पहुंचे हैं, वैसे कभी उग्रवादियों के हाथों में कार्ल गुस्ताव रॉकेट लांचर न देखने को मिल जाएं।
3rd September, 2024