
राजेन्द्र द्विवेदी, यूरीड मीडिया- राहुल गाँधी की भारत जोड़ों यात्रा से यह सन्देश स्पष्ट होता जा रहा है कि उनका लक्ष्य राज्यों के चुनाव नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव 2024 है। जिस तरह से राज्यों के चुनाव में हिमाचल और गुजरात के चुनाव में राहुल गाँधी ने ध्यान नहीं दिया उसके पीछे मोदी सरकार की पिछले 8 वर्षों की जा रही आक्रामक सियासत है। राहुल ही नहीं गैर भाजपा दल भी समझ चुके है कि जब तक केन्द्र में मोदी की बहुमत सरकार रहेगी तब तक राज्यों में कोई भी दल सरकार बना ले उस पर जांच एजेंसियों के माध्यम से केंद्र का दवाब बना रहेगा। लम्बे अरसे तक सत्ता में रही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपनी सल्तनत बचाने के लिए राहुल गाँधी के बार बार कहने के बाद भी मोदी सरकार पर आक्रामक होकर बयान तक नहीं दे पाए हैं। राहुल गाँधी ने कई मौकों पर अपनी पीड़ा का इजहार भी किया है कि जिस तरह से वह मोदी सरकार का विरोध करते है। हमारे वरिष्ठ कोंग्रेसी सहयोगी आक्रामक सियासत नहीं कर पा रहे हैं। राहुल वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के सत्ता में उठाये गए लाभ से भी परिचित है और जांच के डर के कारण राहुल के साथ मोदी के खिलाफ अभियान में चलने से भी घबराते है। इसीलिए राहुल गाँधी वरिष्ठ नेताओं के बयानों की परवाह नहीं की। छत्रपों से झुके नहीं, समझौता नहीं किया। 120 सदस्यी टीम के साथ जनता से जुड़ने के लिए नयी कांग्रेस बनाने के लिए भारत जोड़ों यात्रा पर निकल गए है। भारत जोड़ों यात्रा राहुल की एक नई छवि जनता से जुड़कर जनता की आवाज बनकर संघर्ष करने की ही है।
पिछले 82 दिनों में 2000 किलोमीटर से अधिक यात्रा कर चुके राहुल गाँधी का आत्म विश्वास निरंतर बढ़ता दिख रहा है। राहुल की छवि को ख़राब करने के लिए 2010 से की जा रही साजिशों का भी खुलासा हो रहा है। सोशल मीडिया में चर्चाएं चल रही है कि किस तरह से अरुण जेटली ने राहुल की छवि को ख़राब करने के लिए 2010 से कुछ वरिष्ठ मीडिया सहयोगियों से साथ मिलकर साजिश रची थी। 8 वर्ष के कार्यकाल में जिस तरह से मध्य प्रदेश सहित 8 राज्यों की चुनी हुई सरकारों को जोड़-तोड़ करके भाजपा ने सरकार बनाई। गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों एवं नेताओं पर ईडी, सीबीआई सहित विभिन्न जांच एजेंसियों ने कार्यवाई की है। भारत निर्वाचन आयोग पर उच्चतम न्यायालय द्वारा उठाये गए सवाल ईडी के डायरेक्टर को लगातार दिया जा रहा एक्सटेंशन, सीबीआई इनकम टैक्स अन्य एजेंसियों द्वारा केवल गैर भाजपा नेताओं पर की जा रही कार्यवाई से राहुल समझ गए कि संघर्ष का अंतिम रास्ता सड़क ही बची है और उसे ही भारत जोड़ों के माध्यम से संघर्ष के लिए निकल पड़े हैं। कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा जब जनवरी 2023 में प्रवेश करेगी तो निश्चित रूप से देश के जनमानस में राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी राहुल का एक नया चेहरा 2024 के लिए सशक्त विपक्षी नेता के रूप में सामने होगा। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते है और जो हालात देश में बनते भी जा रहे है उससे आने वाले दिनों में गैर भाजपा दल चाहे अनचाहे अपने राजनितिक स्वार्थ तथा जांच एजेंसियों से बचने के लिए परोक्ष नहीं तो अपरोक्ष रूप से राहुल के ताकत बनने के लिए मजबूर होंगे।
पिछले 82 दिनों में 2000 किलोमीटर से अधिक यात्रा कर चुके राहुल गाँधी का आत्म विश्वास निरंतर बढ़ता दिख रहा है। राहुल की छवि को ख़राब करने के लिए 2010 से की जा रही साजिशों का भी खुलासा हो रहा है। सोशल मीडिया में चर्चाएं चल रही है कि किस तरह से अरुण जेटली ने राहुल की छवि को ख़राब करने के लिए 2010 से कुछ वरिष्ठ मीडिया सहयोगियों से साथ मिलकर साजिश रची थी। 8 वर्ष के कार्यकाल में जिस तरह से मध्य प्रदेश सहित 8 राज्यों की चुनी हुई सरकारों को जोड़-तोड़ करके भाजपा ने सरकार बनाई। गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों एवं नेताओं पर ईडी, सीबीआई सहित विभिन्न जांच एजेंसियों ने कार्यवाई की है। भारत निर्वाचन आयोग पर उच्चतम न्यायालय द्वारा उठाये गए सवाल ईडी के डायरेक्टर को लगातार दिया जा रहा एक्सटेंशन, सीबीआई इनकम टैक्स अन्य एजेंसियों द्वारा केवल गैर भाजपा नेताओं पर की जा रही कार्यवाई से राहुल समझ गए कि संघर्ष का अंतिम रास्ता सड़क ही बची है और उसे ही भारत जोड़ों के माध्यम से संघर्ष के लिए निकल पड़े हैं। कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा जब जनवरी 2023 में प्रवेश करेगी तो निश्चित रूप से देश के जनमानस में राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी राहुल का एक नया चेहरा 2024 के लिए सशक्त विपक्षी नेता के रूप में सामने होगा। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते है और जो हालात देश में बनते भी जा रहे है उससे आने वाले दिनों में गैर भाजपा दल चाहे अनचाहे अपने राजनितिक स्वार्थ तथा जांच एजेंसियों से बचने के लिए परोक्ष नहीं तो अपरोक्ष रूप से राहुल के ताकत बनने के लिए मजबूर होंगे।
28th November, 2022