यूरीड मीडिया- 70 वर्षों से अधिक चल रहे राम मंदिर विवाद पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय से नवम्बर 2019 में विराम लग गया था और यह माना जा रहा था कि करोड़ो हिन्दुओं के श्रद्धा का प्रतीक राम मंदिर का निर्माण अति शीघ्र हो जायेगा। निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल में 5 अगस्त 2020 को शिलान्यास किया तब से यह उम्मीद और बढ़ गयी थी। निर्माण प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक ट्रस्ट निर्माण कमेटी बनाई गयी। निर्माण का कार्य प्रधानमन्त्री के कैबिनेट सचिव नृपेंद्र मिश्र और ट्रस्ट का कार्य चम्पत राय की देख रेख में शुरू हुआ लेकिन जमीन खरीद को लेकर चम्पत राय ट्रस्ट विवादों के घेरे में हैं।
18 मार्च को शाम 7:05 बजे बाबा हरिदास ने व्यापारी सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी को ज़मीन 2 करोड़ में बेचीं और उसके 10 मिनट बाद इसी ज़मीन को व्यापारी सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी ने 18.5 करोड़ में बेच दी। जबकि इसका सर्किल रेल 5 करोड़ 80 लाख है। इन दोनों रजिस्ट्री में गवाही ट्रस्टी अनिल मिश्र और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय हैं। प्रथम दृष्टया में सामान्य व्यक्ति भी रजिस्ट्री को देखते हुए यह समझ जायेगा कि 16.5 करोड़ रुपया का घोटाला है और यह घोटाला बड़े सुनियोजित तरीके से किया गया है। पहले बाबा हरिदास से सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी को 2 करोड़ के मूल्य पर रजिस्ट्री कराई और फिर इन दोनों से ट्रस्ट के नाम 18.5 करोड़ में रजिस्ट्री कराई गयी।
यह निश्चित है दोनों रजिस्ट्री एक साथ तैयार हुई है और बाबा हरिदास से राम जन्म भूमि ट्रस्ट सीधे रजिस्ट्री कराता तो बाबा को 2 करोड़ ही देने पड़ते। यह ज़मीन अंसारी और तिवारी के नाम कराके ट्रस्ट ने खरीदी। यहाँ यह भी सवाल उठ रहा है कि सुलतान अंसारी और रवि मोहन तिवारी के पास 2 करोड़ रूपये आये कहाँ से ? यह पूरी सम्भावना है कि यह 2 करोड़ धनराशि भी ट्रस्ट ने अपने अलग अलग माध्यमों से अंसारी और तिवारी को दी होगी क्योकि 2 करोड़ रुपया इन दोनों के पास आयकर रिटर्न भी नहीं जमा होने उल्लेख है। ऐसे तमाम सवाल है जो ज़मीन खरीद को विवादों में घेरे में खड़ा कर दिया है। ट्रस्ट ने अपने जवाब में इसे राजनीतिक साजिश बताई है।
सामजवादी पार्टी, आप, कांग्रेस सभी ने इसकी जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री को जनभावनाओं को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के देख रेख में ही इस ज़मीन आरोप की जांच करानी चाहिए।
18 मार्च को शाम 7:05 बजे बाबा हरिदास ने व्यापारी सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी को ज़मीन 2 करोड़ में बेचीं और उसके 10 मिनट बाद इसी ज़मीन को व्यापारी सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी ने 18.5 करोड़ में बेच दी। जबकि इसका सर्किल रेल 5 करोड़ 80 लाख है। इन दोनों रजिस्ट्री में गवाही ट्रस्टी अनिल मिश्र और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय हैं। प्रथम दृष्टया में सामान्य व्यक्ति भी रजिस्ट्री को देखते हुए यह समझ जायेगा कि 16.5 करोड़ रुपया का घोटाला है और यह घोटाला बड़े सुनियोजित तरीके से किया गया है। पहले बाबा हरिदास से सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी को 2 करोड़ के मूल्य पर रजिस्ट्री कराई और फिर इन दोनों से ट्रस्ट के नाम 18.5 करोड़ में रजिस्ट्री कराई गयी।
यह निश्चित है दोनों रजिस्ट्री एक साथ तैयार हुई है और बाबा हरिदास से राम जन्म भूमि ट्रस्ट सीधे रजिस्ट्री कराता तो बाबा को 2 करोड़ ही देने पड़ते। यह ज़मीन अंसारी और तिवारी के नाम कराके ट्रस्ट ने खरीदी। यहाँ यह भी सवाल उठ रहा है कि सुलतान अंसारी और रवि मोहन तिवारी के पास 2 करोड़ रूपये आये कहाँ से ? यह पूरी सम्भावना है कि यह 2 करोड़ धनराशि भी ट्रस्ट ने अपने अलग अलग माध्यमों से अंसारी और तिवारी को दी होगी क्योकि 2 करोड़ रुपया इन दोनों के पास आयकर रिटर्न भी नहीं जमा होने उल्लेख है। ऐसे तमाम सवाल है जो ज़मीन खरीद को विवादों में घेरे में खड़ा कर दिया है। ट्रस्ट ने अपने जवाब में इसे राजनीतिक साजिश बताई है।
सामजवादी पार्टी, आप, कांग्रेस सभी ने इसकी जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री को जनभावनाओं को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के देख रेख में ही इस ज़मीन आरोप की जांच करानी चाहिए।
14th June, 2021