यूरीड मीडिया न्यूज़-सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए हाईकोर्ट में दाखिल की गई सभी याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों की ट्रांसफर याचिकाओं को कोर्ट ने मंजूर कर लिया। सुप्रीम कोर्ट अगले साल जनवरी के आखिरी हफ्ते में मामले पर सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से कहा है कि वो इंटरनेट संबंधी सभी लंबित केसों की लिस्ट दाखिल करें और इन सब मामलों की सुनवाई भी उसी के साथ होगी। फेसबुक ने तीन हाईकोर्ट में सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक करने से संबंधित मामलों को शीर्ष अदालत में ट्रांसफर करने की अपील की थी। उधर, केंद्र ने कोर्ट से कहा कि सरकार नागरिकों की गोपनीयता को भंग करने के लिए नहीं है, लेकिन गोपनीयता को राष्ट्रीय हित और संप्रभुता के साथ संतुलित होना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी मध्यस्थ यह नहीं कह सकता है कि प्राईवेसी की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को संरक्षण दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा, फेक न्यूज, अपमानजनक पोस्ट और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को विनियमित करने के लिए नए नियम 15 जनवरी तक बना लिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया खातों को आधार नंबर से जोडऩे की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था। इस याचिका में फेक और पेड खबरों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार को इस बारे में निर्देश देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि हर मामला यहां तक लाने की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से कहा है कि वो इंटरनेट संबंधी सभी लंबित केसों की लिस्ट दाखिल करें और इन सब मामलों की सुनवाई भी उसी के साथ होगी। फेसबुक ने तीन हाईकोर्ट में सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक करने से संबंधित मामलों को शीर्ष अदालत में ट्रांसफर करने की अपील की थी। उधर, केंद्र ने कोर्ट से कहा कि सरकार नागरिकों की गोपनीयता को भंग करने के लिए नहीं है, लेकिन गोपनीयता को राष्ट्रीय हित और संप्रभुता के साथ संतुलित होना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी मध्यस्थ यह नहीं कह सकता है कि प्राईवेसी की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को संरक्षण दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा, फेक न्यूज, अपमानजनक पोस्ट और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को विनियमित करने के लिए नए नियम 15 जनवरी तक बना लिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया खातों को आधार नंबर से जोडऩे की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था। इस याचिका में फेक और पेड खबरों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार को इस बारे में निर्देश देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि हर मामला यहां तक लाने की जरूरत नहीं है।
22nd October, 2019