
दुनिया के खूबसूरत शहरों में फ़्रांस का पेरिस शहर शामिल है। पेरिस शहर(फ्रांस) की बड़ी पहचान एफिल टॉवर से जानी जाती है। खूबसूरत शहर है। एफिल टॉवर में चढ़कर पेरिस शहर को देखने का एक अलग ही आनंद है। दुनियाभर के लोग जो भी फ़्रांस जाते है वह एफिल टॉवर देखने जरूर जाते हैं। इस टॉवर की ऊचाई 324 मीटर है और पर्यटकों के लिए 365 दिन खुला रहता है। टॉवर को पर्यटकों के लिए तीन मंजिलों में विभाजित किया गया है। पहली मंजिल की ऊचाई 57 मीटर। दूसरी मंजिल की ऊचाई 115 मीटर और तीसरी मंजिल की ऊचाई 275 मीटर है।
शाम को रोशनी के साथ जगमगाते टॉवर का अलौकिक दृश्य होता है। जिसको देखने के लिए दुनिया भर से लाखों पर्यटक आते है। टॉवर को चार चाँद लगाने वाली अद्भभुत रोशनी हर शाम अँधेरा होने के बाद रात में 1 बजे तक एफिल टॉवर को रोशन करती है। अँधेरा होने के बाद हर घंटे 5 मिनट तक टॉवर की अद्भभुत झिलमिलाहट रोशनी पर्यटकों में उत्साह और आकर्षण पैदा करती है। टॉवर का एक हिस्सा अत्याधुनिक और मुख्य आकर्षण के लिए फर्श को कांच का बनाया गया है। इस कांच से बने फर्श पर खड़े होकर नीचे 60 मीटर जमीन को देखा जा सकता है।
पेरिस दुनिया भर के प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। मैंने अपनी यात्रा नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम से शुरू की थी। ट्रेन द्वारा नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम से फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचने में 3 घंटे लगे। 300 किलोमीटर की स्पीड से चलने वाली ट्रेन की यात्रा का अलग ही आनन्द है। ट्रेन में अति सुंदर रेस्टोरेंट और हवाई जहाज से भी आरामदायक ट्रेन की सीटें है। ट्रेन की विशेषता यह है कि 300 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक स्पीड से चलने वाली ट्रेन में एहसास ही नहीं हो रहा था कि ट्रेन इतनी अधिक स्पीड चल रही है। एम्स्टर्डम से शाम को 6:24 शुरू हुई ट्रेन 9:24 पर पेरिस पहुँचती है। हर मिनट का ट्रेन का लेखा जोखा लगातार इन डिब्बे में ही बोर्ड पर निरंतर दिखाई दे रहा है। परिवार के साथ ऐसी यात्रा का एक ऐसा सुखद अनुभव हो रहा था जिसे मैं महसूस कर सकता हूँ उसे एक्सप्लेन करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है।
पेरिस में इंडियन रेस्टोरेंट भी है जहाँ पर आप हर तरह के भारतीय व्यंजन का आनंद ले सकते है। पेरिस में ऐसी गलियां भी दिखाई दी जहाँ पर लखनऊ के अमीनाबाद एवं नक्खास के सड़को पर लगने वाले नए पुराने दुकानों जैसा दृश्य भी दिखाई दे रहा था। नक्खास एवं लखनऊ में निशातगंज में लगने वाले साप्ताहिक बाज़ारों में खरीददारों की तरह पेरिस की गलियों में भारी संख्या में खरीददार दिखे। ऐसी मार्केट में पुराने एवं नए सस्ते सस्ते सामानों की खरीददारी को देख कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जैसा फ़्रांस के बारे में सोचते हैं वैसी आर्थिक सम्पन्नता समस्त फ्रांस के नागरिकों में नहीं है। पेरिस के इन गलियों के बाज़ारों में सस्ते सस्ते सामानों की खरीद में हो रहे मोलभाव को देखकर हमे अपने देश के साप्ताहित बाज़ारों की याद आ रही थी। जिस तरह से हिन्दुस्तान में सामानों को लेकर मोलभाव किये जाते हैं वैसा ही मोलभाव पेरिस के इन सड़कों पर लगे दुकानों में देखा गया। खूबसूरत शहर है सफाई भी है लेकिन है कई स्थानों पर काफी गंदगी भी दिखाई दिया।
सस्ते और महगें दोनों होटलों की एक लम्बी श्रृंखला पेरिस शहर में फैली हुई है। आप अपने बजट के अनुसार होटलों का चयन ऑनलाइन कर सकते हैं। होटलों का किराया हिन्दुस्तान के बड़े बड़े शहरों में छोटे बड़े होटलों से मिलता जुलता है। पेरिस में कई ऐतिहासित म्यूजियम हैं जिनमें पेरिस म्यूजियम ऐसा है जिसमे दुनिया भर के देशों से लाये हुए विभिन्न प्रकार के सामान रखे हुए हैं। पेरिस में पर्यटकों के लिए सीन नदी में सुन्दर छोटे बड़े ओपन बोर्ट और खुली बसे चलती है जिनसे आप पेरिस शहर को नजदीक से देखने का भरपूर्ण आनन्द ले सकते है। इन बसों और जलमार्ग से घूमने के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी होती है। जगह जगह बुकिंग स्टैंड बने हुए हैं। जहाँ से आप 2 घंटे या दिन भर के लिए अपनी यात्रा का चयन करके बुकिंग करा सकते हैं। सीधे बुकिंग में भी सावधानी रखनी होगी क्योकि मौके पर बुकिंग के दौरान कम ज्यादा पैसों को लेकर सौदेबाज़ी भी खूब होती है। आप अपने तरीके से समय और सीजन को देखते हुए मोल भाव भी कर सकते हैं। इन ओपन बस से पेरिस शहर के प्रमुख सुन्दर दृश्य नजदीक से देखने का अवसर मिलता है। यात्रा के दौरान आप इयरफ़ोन के माध्यम से अंग्रेजी व अन्य भाषा में शहर का इतिहास भी सुनते जायेंगे।
प्रमुख स्थानों पर बसों को रोककर संक्षिप्त ऐतिहासिक विवरण महत्वपूर्ण भवनों, म्यूजियम व स्मारकों आदि के बारे में बताया जाता है। दिन में आप शहर का भ्रमण करने के बाद एफिल टॉवर का भी आनंद उठा सकते हैं। एफिल टॉवर में आप दिन में टॉवर की लिफ्ट से तीनों मंजिलों पर रुक कर पेरिस शहर की खूबसूरती देख सकते है और अँधेरा होने पर टावर से 100- 200 मीटर दूर निर्धारित रमणीय स्थानों पर बैठ कर झिलमिलाते टावर की अलौकिक रोशनी का आनंद उठा सकते है।
सावधानी-
पेरिस में भ्रमण के दौरान कई तरीके से सावधानियां भी रखनी चाहिये क्योकि पेरिस जैसा हमने देखा वैसा सुन्दर तो है लेकिन अपराध की दृष्ट से बहुत सुरक्षित नहीं है। एफिल टॉवर में भी जगह जगह जेबकतरों से सावधान जैसे चेतावनी लिखी हुई है। टॉवर के आस पास संगठित गिरोह तरह तरह के खेल-खेल में पर्यटकों को लूट लेते हैं। इसका एक उदहारण जो मैंने अपनी आँखों के सामने देखा। 1 सितम्बर 2019 सायं 6 बजे जब एफिल टॉवर के आस पास भारी संख्या में पर्यटक जुटे हुए थे ऐसे समय में संगठित गिरोह जगह जगह तरह तरह के मनोरंजन की स्पर्धा आयोजित करके पर्यटकों को लूट भी रहे थे। एक व्यक्ति तीन छोटे छोटे स्टील के गिलास और एक लड्डू लेकर पहुँचता है। उसके साथ अन्य सहयोगी भी होते हैं। व्यक्ति द्वारा एक लड्डू को गिलासों से ढकने का कार्य शुरू किया जाता है और यह कहा जाता है कि जिस गिलास पर आप पैर रखेंगे अगर उसके नीचे लड्डू होगा तो जो बोली आप लगाएंगे उसका दोगुना दिया जाएगा और अगर खाली गिलास पर पैर रखते हैं तो आपकी बोली की धनराशि नहीं मिलेगी। इस खेल की शुरुवात 100 यूरो से होती है। संगठित गिरोह के लोग 100, 200, 300 यूरो की बोली लगा कर लड्डू वाले गिलास पर पैर रख करके 200, 400, 600 यूरो कमा लेते है जिसे देख कर आस पास के पर्यटक भी प्रोत्साहित होकर लड्डू वाले गिलास पर बोली लगाने का सिलसिला शुरू करते है। शुरुवात में कम बोली वाले पर्यटक को गिरोह के सदस्य अघोषित रूप से संकेत दे कर जीता देते है। लेकिन धीरे धीरे जब बोली की धनराशि 400, 600 यूरो तक पहुँचती है तो कई पर्यटकों से इस बोली के माध्यम से खाली गिलास पर पैर रखा कर लूटते हुए देखते देखते संगठित गिरोह आगे बढ़ जाते हैं। अगर किसी पर्यटक ने विरोध करने का प्रयास किया तो गिरोह के पास खड़े सदस्य उसे तेज़ आवाज़ में बोल कर दबा देते हैं और पर्यटक लूटने के बाद महसूस करता है कि उसने गलती की है। शाम के बढ़ती भीड़ में अपने पर्स और सामान का ध्यान रखना चाहिए अगर आप अकेले घूम रहे है या परिवार और दोस्तों के साथ भी है तो कभी भी दूसरे को मोबाइल या कैमरा देकर फोटो नहीं खिचवाना चाहिए क्योकि तमाम टप्पेबाज की निगाहें ऐसे पर्यटकों पर लगी रहती है जो फोटो खींचने के लिए किसी की मदद चाहते हैं। ऐसे अवसरों का फ़ायदा उठाते हुए पर्यटक से मोबाइल व कैमरा फोटो बनाने के लिए लेते है और देखते देखते गायब हो जाते हैं। मेरा अनुभव यही है। यूरोप के देश बहुत सुन्दर हैं अलग अलग मौसमों में घूमने के बेहतर अवसर भी हैं। लेकिन सावधानी भी बहुत जरुरी है।
एफिल टॉवर का इतिहास-
एफ़िल टावर |
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स्थान |
पैरिस, फ्रांस |
निर्माण का समय |
1887 से 1889 तक |
ऊंचाई |
324 मीटर (1,063 फीट) तीन तल, प्रथम 57 मीटर दूसरा 115 मीटर, तीसरा 275 मीटर |
वास्तुकार |
गुइस्ताव एफ़िल (जिसके नाम से एफिल टावर बना) पर्यटकों के लिए साल के 365 दिन खुला रहता है। |
एफ़िल टॉवर- फ्रांस की राजधानी पैरिस में स्थित एक लौह टावर है। इसका निर्माण 1887-1889 में शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर पैरिस में हुआ था। यह टावर विश्व में उल्लेखनीय निर्माणों में से एक और फ़्रांस की संस्कृति का प्रतीक है। एफ़िल टॉवर की रचना गुस्ताव एफ़िल के द्वारा की गई है और उन्हीं के नाम पर से एफ़िल टॉवर का नामकरण हुआ है। एफ़िल टॉवर की रचना दुनिया में एक पहचान के लिए 1889 में की गई थी। जब एफ़िल टॉवर का निर्माण हुआ उस वक़्त वह दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी। आज की तारीख में टॉवर की ऊँचाई 324 मीटर है। जिसमे तीन तल हैं ।
पहला तल
57 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एफ़िल टावर की प्रथम मंज़िल का क्षेत्रफल 4200 वर्ग मीटर है जहां पर एक साथ 3000 लोग आ सकते हैं प्रथम तल पर रेस्टोरेंट व अन्य गैलरी है जिसमे तमाम जानकारियाँ दी गई है।
मंज़िल के चारों ओर बाहरी तरफ एक जालीदार छज्जा है जिसमें पर्यटकों की सुविधा के लिए पैनोरमिक टेबल ओर दूरबीन रखे हुए हैं जिनसे पर्यटक पेरिस शहर के दूसरी ऐतिहासिक इमारतों का नज़ारा देख सकते हैं। यहाँ कांच की दीवार वाला एक रेस्टोरेंट भी है, जिसमें बैठकर पर्यटक विविध व्यंजनों का स्वाद लेते हुए शहर की खूबसूरती का आनंद उठा सकते हैं। साथ में एक कैफ़ेटेरिया भी है।
दूसरा तल
115 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एफ़िल टावर की दूसरी मंज़िल का क्षेत्रफल 1650 वर्ग मीटर है जो कि एक साथ 1600 लोगों की क्षमता रखता है। दूसरी मंज़िल से पेरिस का सबसे बेहतर नज़ारा देखने को मिलता है, जब मौसम साफ़ हो तब 70 किमी दूरी तक देख सकते है। इस मंज़िल पर एक कैफ़ेटेरिया और सोविनियर खरीदने की दुकान स्थित है।
तीसरा तल
275 मीटर की ऊँचाई पर एफ़िल टावर की तीसरी मंज़िल का क्षेत्रफल 350 वर्ग मीटर है जो कि एक साथ 400 लोगों की क्षमता रखता है। इस मंज़िल को चारों ओर से कांच से बंद किया गया है। यहाँ गुस्ताव एफ़िल का काँच का ऑफ़िस भी स्थित है। प्रवासी इसे बाहर से देख सकते हैं। इस ऑफ़िस में गुस्ताव एफ़िल की मोम की मूर्ति भी रखी गई है। तीसरी मंज़िल के ऊपर एक उप-मंज़िल है जहाँ पर सीढ़ियों से जा सकते है। इस उप-मंज़िल के चारों ओर जाली लगी हुई है और यहाँ पेरिस की खूबसूरती का नज़ारा लेने के लिए कई दूरबीन रखे हैं। इस के ऊपर एक दूसरी उप मंज़िल है जहाँ जाना प्रतिबंधित है। यहाँ रेडियो और टेलिविज़न की प्रसारण के एंटेना लगा हुआ है।
एफिल टॉवर का इतिहास
एफ़िल टॉवर- फ्रांस की राजधानी पैरिस में स्थित एक लौह टावर है। इसका निर्माण 1887-1889 में शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर पैरिस में हुआ था। यह टावर विश्व में उल्लेखनीय निर्माणों में से एक और फ़्रांस की संस्कृति का प्रतीक है। एफ़िल टॉवर की रचना गुस्ताव एफ़िल के द्वारा की गई है और उन्हीं के नाम पर से एफ़िल टॉवर का नामकरण हुआ है। एफ़िल टॉवर की रचना दुनिया में एक पहचान के लिए 1889 में की गई थी। जब एफ़िल टॉवर का निर्माण हुआ उस वक़्त वह दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी। आज की तारीख में टॉवर की ऊँचाई 324 मीटर है। जिसमे तीन तल हैं ।
प्रथम बग़ैर एंटेना शिखर के यह इमारत फ़्रांस के मियो (फ़्रान्सीसी: फ़्रान्सीसी) शहर के फूल के बाद दूसरी सबसे ऊँची इमारत है। यह तीन मंज़िला टॉवर पर्यटकों के लिए साल के 365 दिन खुला रहता है। यह टॉवर पर्यटकों द्वारा टिकट खरीदके देखी गई दुनिया की इमारतों में अव्वल स्थान पे है।
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ताज महल जैसे भारत की पहचान है, वैसे ही एफ़िल टॉवर फ़्रांस की पहचान है।
1889 में फ़्रांसीसी क्रांति के शताब्दी महोत्सव के अवसर पर, वैश्विक मेले का आयोजन किया गया था। इस मेले के प्रवेश द्वार के रूप में सरकार एक टावर बनाना चाहती थी। इस टावर के लिए सरकार के तीन मुख्य शर्तें थीं--
1. टावर की ऊँचाई 300 मीटर होनी चाहिए
2. टावर लोहे का होना चाहिए
3. टावर के चारों मुख्य स्थंभ के बीच की दूरी 125 मीटर होनी चाहिए। इस प्रस्ताव पर 107 इंजीनियरों ने डिजाइन दिए जिसमें से गुस्ताव एफ़िल की परियोजना मंज़ूर की गई। मौरिस कोच्लिन,एमिल नुगिए इस परियोजना के संरचनात्मक इंजीनियर थे और स्टीफेन सौवेस्ट्रे वास्तुकार थे। 300 मजदूरों ने मिलकर एफ़िल टावर को 2 साल, 2 महीने और 5 दिनों में पूरा किया। इसका उद्घाटन 31 मार्च 1889 में हुआ और 6 मई से यह टावर लोगों के लिए खुला गया।
हालाँकि एफ़िल टावर उस समय की औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था और वैश्विक मेले के दौरान आम जनता ने इसे काफी सराहा, फिर भी कुछ नामी हस्तियों ने इस निर्माण की आलोचना की। उस वक़्त के सभी समाचार पत्र पैरिस के कला समुदाय द्वारा लिखे गए निंदा पत्रों से भरे पड़े थे। विडंबना की बात यह है कि जिन नामी हस्तियों ने शुरुआती दौर में इस टावर की निंदा की थी, उन में से कई हस्तियाँ ऐसी थीं जिन्होंने बदलते समय के साथ अपनी राय बदली। ऐसी हस्तियों में नामी संगीतकार शार्ल गुनो थे, जिन्होंने 14 फ़रवरी 1887 के समाचार पत्र "Le Temps " में एफ़िल टावर को पैरिस की बेइज्जती कहा था। बाद में उनके विचार बदले और उन्होंने एफिल टॉवर की प्रशस्ति में एक कॉन्सर्ट की रचना की।
शुरुआती दौर में विचार यह था कि एफ़िल टावर को सिर्फ 20 साल तक कायम रखा जाएगा और 1909 में इसे नष्ट कर दिया जाएगा। लेकिन इन 20 सालों के दौरान टॉवर ने पर्यटकों को इस कदर आकर्षित किया और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे ऐसा उपयोगी माना गया कि इसे तोड़ने के बजाए इसे विश्व धरोहर के रूप में कायम रखने का फैसला किया गया।
आकार
टावर के चारों स्तंभ चार प्रमुख दिशाओं में बने हुए हैं और उन्हीं दिशाओं के अनुसार स्तंभों का नामकरण किया गया है जैसे कि--उत्तर स्तंभ, दक्षिण स्तंभ, पूरब स्तंभ और पश्चिम स्तंभ। फ़िलहाल, उत्तर स्तम्भ, दक्षिण स्तम्भ और पूरब स्तम्भ में टिकट घर और प्रवेश द्वार है, जहाँ से लोग टिकट ख़रीदकर टावर में प्रवेश कर सकते हैं। उत्तर और पूरब स्तंभों में लिफ्ट की सुविधा है और दक्षिण स्तम्भ में सीढ़ियां हैं जो कि पहली और दूसरी मंज़िल तक पहुँचाती हैं। दक्षिण स्तम्भ में अन्य दो निजी लिफ्ट भी हैं जिनमें से एक सर्विस लिफ्ट है और दूसरी लिफ्ट दूसरी मंज़िल पर स्थित'ला जुल्स वेर्नेस'नामक रेस्टोरेंट के लिए है।
पर्यटक
पिछले कई सालों से हर साल तक़रीबन 65 लाख से 70 लाख प्रवासी एफ़िल टावर की सैर करने आते हैं। सबसे ज़्यादा 2007 में 69.60 लाख लोगों ने टावर में प्रवेश किया था। 1960 के दशक से जब से 'मास टूरिज़्म' का विकास हुआ है तब से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2009 में हुए सर्वे के अनुसार उस साल जितने पर्यटक आए थे, उनमें से 75% विदेशी थे। इनमे से 43% पश्चिम यूरोप से ओर 2% एशिया से थे।
रात की रोशनी- झिलमिलाता टावर
हर रात को अंधेरा होने के बाद 1 बजे तक (और गर्मियों में 2 बजे तक) एफ़िल टावर को रोशन किया जाता है ताकि दूर से भी टावर दिख सके। 31 दिसम्बर 1999 की रात को नई सदी के आगमन के अवसर पर एफ़िल टावर को अन्य 20 हजार बल्बों से रोशन किया गया था जिससे हर घंटे क़रीब ५ मिनट तक टावर झिलमिलाता है। चूंकि लोगों ने इस झिलमिलाहट को काफ़ी सराहा इसलिए आज की तारीख में भी यह झिलमिलाहट अंधेरा होने के बाद हर घंटे हम देख सकते हैं।