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सपा का मुखौटा...

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खुले मंच पर सियासी ड्रामा--

समाजवादी पार्टी के 24 अक्टूबर की बैठक में जो कुछ हुआ, उसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाए हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के यह समझ नही आ रहा है कि शिवपाल-अखिलेश में इस प्रकार की तू-तू, मैं-मैं होनी थी तो इसे पार्टी फोरम पर खुले आम किये जाने की जरूरत क्या थी? बेहतर होता मुलायम सिंह यादव इन्हें घर में आमने-सामने बैठाकर सारे गिले-शिकवे दूर करा देते। मंच पर शिवपाल ने जिस प्रकार मुख्यमंत्री के हाथ से माइक खींचा, उससे अपराधिक मानसिकता साथ हो गयी। जो व्यक्ति मुख्यमंत्री के हाथ से सार्वजनिक तौर पर माइक छीन सकता है आैर धक्के मार सकता है, उसका आम आदमी के साथ क्या हाथ होगा।