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गैरो पर करम - अपनों पर सितम, हाले बयां कांग्रेस

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गैरो पर करम - अपनों पर सितम, हाले बयां कांग्रेस

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विरोधी दल के नेता से संबंध खराब होने का तोहमद प्रमोद की राजनीति पर भारी पड़ी।उत्तर प्रदेश की राजनीति में तीन दशक से यह प्रमोद का ही प्रभाव था कि राज्यसभा एवं विधान परिषद के लिए पार्टी के पास कम सीटे होते हुए भी उन्होने जोड़ गांठ कर कांग्रेसी प्रत्याशियों को जीताया। राज्यसभा के एक उपचुनाव में जब प्रमोद ने पहली बार कांग्रेसी नेतृत्व से प्रत्याशी बनाने की मांग की तो पार्टी तैयार नही हुई जबकि वह सीट खुलकर सपा के खाते में जाती। बाद में किसी तरह इसके लिए प्रमोद को सहमति दी गयी। इसके बाद यह प्रमोद की ही रणनीति का हिस्सा था कि 2014 के राज्यसभा चुनाव में कम वोट होते हुए भी पी.एल.पुनिया को राज्यसभा पहुंचाया। पुनिया इस समय कांग्रेसी नेतृत्व के सबसे प्यारे है जबकि वह सपा के मुलायम सिंह यादव तथा बसपा की मायावती के अत्यन्त निकटस्थों में से है। कांग्रेस ने केवल प्रमोद ही नही पूर्व सांसद संतोष सिंह, मणिशंकर पाण्डेय, गणेश शंकर पाण्डेय, शिवबालक पासी, विनोद चौधरी, अब्दुल मन्नान, अनुसूइया शर्मा, अशोक सिंह, मदन मोहन शुक्ला, ललितेश त्रिपाठी तथा आर.ए. किदवई जैसे दर्जनों ऐसे नेता है जो वर्षो से हाशिये पर है आैर पार्टी में उन्हें कोई जिम्मेदारी नही दी जाती।

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कांग्रेस की अन्तिम बाजी--