यूरीड मीडिया डेस्क:- हर इंसान के मन में हर समय कोई न विचार ज़रूर चलता रहता है।अपने शायद ही कभी सोचा होगा की आखिर गाड़ी के टायर हमेशा से काले रंग के ही क्यूँ होते है। यह लाल, पीले रंग बिरंगे क्यूँ नही होते हैं। हम आपको बता दे की टायर बनाने वाली सारी कंपनियां टायर का रंग हमेशा काला ही रखती हैं और यह भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी टायर काले रंग ही होते हैं । चलिये जानते है, क्या हैं इसके पीछे का राज़...
रोचक जानकारी--
टायर रबड़ से बनाया जाता है ।
रबड़ का रंग तो स्लेटी होता है तो फिर टायर काला कैसे ?
दरअसल टायर बनाते वक़्त इसका रंग बदला जाता है और ये स्लेटी से काला हो जाता है टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं।
प्राकृतिक रबड़ बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होता और यह घिसता भी जल्दी है टायर जो की सड़क की खुरदुरी सतह पर रगड़ता रहता है , ऐसे में प्राकृतिक रबड़ का ज्यादा दिन तक टिक पाना मुश्किल है ।
इसलिए इसमें कार्बन ब्लैक मिलाया जाता है इससे ये मजबूत हो जाता है और कम घिसता है।
कार्बन के अलावा इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है।
कार्बन ब्लैक के कारण इसका रंग काला हो जाता है जो इसे अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी बचाती हैं बच्चो की साइकिलों में रंग-बिरंगे टायर देखने को इसलिए मिलते हैं क्योकि वो ज्यादा रोड पर नहीं चलते और उसमे कार्बन ब्लैक नहीं मिलाया जाता और रबड़ भी निम्न कोटि का होता है।
दरअसल टायर बनाते वक़्त इसका रंग बदला जाता है और ये स्लेटी से काला हो जाता है टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं।
प्राकृतिक रबड़ बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होता और यह घिसता भी जल्दी है टायर जो की सड़क की खुरदुरी सतह पर रगड़ता रहता है , ऐसे में प्राकृतिक रबड़ का ज्यादा दिन तक टिक पाना मुश्किल है ।
इसलिए इसमें कार्बन ब्लैक मिलाया जाता है इससे ये मजबूत हो जाता है और कम घिसता है।