
यूरिड मीडिया डेस्क -
भारतीय वायुसेना के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है की अब वायुसेना के लड़ाकू बेड़े मे उसका पहला स्वदेशी लड़ाकू तेजस को शामिल कर लिया गया है। वायुसेना मे अभी तक दो तेजस विमानों को आज शामिल कर लिया गया है, वायुसेना सूत्रों के अनुसार, मार्च 2017 तक छह और तेजस मिलने की संभावना है। आपको बता दें की वायुसेना के इतिहास में यह पहला मौका है जब देश में निर्मित किसी युद्धक विमान की स्क्वाड्रन का सपना साकार हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक तेजस दुनिया में उत्कृष्ट विमान के रूप में उभर रहा है। विकसित होने के दौरान विमान ने ढाई हजार घंटे के सफर में तीन हजार बार उड़ान भरी है और इसका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है और इसमें बहुत सी खूबियाँ नज़र आ रही हैं।
तेजस विमान की खूबियाँ -
1- तेजस यूं तो स्वदेशी विमान है, पर इसका इंजन अमेरिकन है, रेडार और हथियार प्रणाली इस्राइली हैं।
2- तेजस चीन और पाकिस्तान द्वारा मिलकर बनाए गए लड़ाकू विमान JF-17 थंडर की टक्कर का विमान है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि तेजस कम-से-कम छह मानकों पर JF-17 थंडर से बेहतर है। दोनों विमानों के इंजन की क्षमता एक सी है। हालांकि, कुछ मामलों में तेजस, JF-17 थंडर से काफी आगे है। तेजस एक उड़ान में 2,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जबकि थंडर 2,037 किलोमीटर की दूरी।
3- तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। इसके विंग्स 8.2 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.2 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर है। तेजस का वजन 6,560 किलोग्राम है।
4- तेजस ने ढाई हजार घंटे के सफर में 3000 से ज्यादा उड़ानें भरी हैं। इसका परीक्षण करने वाले सभी पायलट कलाबाजी में इसकी कुशलता और इसके फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से संतुष्ट हैं।
5-तेजस क्षमता के मामले में कई मायनों में फ्रांस में निर्मित मिराज 2000 के जैसा है। इसका मल्टीरोल रेडार अल्टा 2032 इस्राइल में बना है। इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलें और जमीन पर निशाना साधने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्नेटर और टारगेटिंग पॉड्स भी हैं।
6- इसमें सेंसर से मिलने वाले डेटा को प्रोसेस करने वाले मिशन कंप्यूटर का हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ओपन आर्किटेक्चर फ्रेमवर्क को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। यानी इसे भविष्य में अपग्रेड भी किया जा सकता है।
7- विमान का ढांचा कार्बन फाइबर से बना है, जो धातु से कहीं ज्यादा हल्का और मजबूत होता है।
8- तेजस का रखरखाव काफी सस्ता पड़ेगा। भारतीय वायुसेना के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान सुखोई 30 का रखरखाव काफी महंगा है।
9- सुखोई 30 के बेड़े में 60 फीसदी से भी कम विमान एक बार में मिशन के लिए मौजूद रहते हैं, बाकी दुरुस्त होते रहते हैं, यह चिंता का विषय है। एचएएल का कहना है कि तेजस 70 फीसदी से ज्यादा समय के लिए उपलब्ध होगा और 80 फीसदी के लिए भी प्रयास जारी हैं।
10- हालांकि, एक दशक से भी पहले की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया विमान तेजस दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमानों में शुमार नहीं है। हां, यह भारतीय वायुसेना को मिग 21 का विकल्प उपलब्ध कराएगा। भारतीय वायुसेना का मकसद भी यही है।
क्लिक करे-- उत्तराखंड में एक बार फिर बारिश का कहर,अलर्ट जारी
भारतीय वायुसेना के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है की अब वायुसेना के लड़ाकू बेड़े मे उसका पहला स्वदेशी लड़ाकू तेजस को शामिल कर लिया गया है। वायुसेना मे अभी तक दो तेजस विमानों को आज शामिल कर लिया गया है, वायुसेना सूत्रों के अनुसार, मार्च 2017 तक छह और तेजस मिलने की संभावना है। आपको बता दें की वायुसेना के इतिहास में यह पहला मौका है जब देश में निर्मित किसी युद्धक विमान की स्क्वाड्रन का सपना साकार हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक तेजस दुनिया में उत्कृष्ट विमान के रूप में उभर रहा है। विकसित होने के दौरान विमान ने ढाई हजार घंटे के सफर में तीन हजार बार उड़ान भरी है और इसका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है और इसमें बहुत सी खूबियाँ नज़र आ रही हैं।
2- तेजस चीन और पाकिस्तान द्वारा मिलकर बनाए गए लड़ाकू विमान JF-17 थंडर की टक्कर का विमान है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि तेजस कम-से-कम छह मानकों पर JF-17 थंडर से बेहतर है। दोनों विमानों के इंजन की क्षमता एक सी है। हालांकि, कुछ मामलों में तेजस, JF-17 थंडर से काफी आगे है। तेजस एक उड़ान में 2,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जबकि थंडर 2,037 किलोमीटर की दूरी।
3- तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। इसके विंग्स 8.2 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.2 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर है। तेजस का वजन 6,560 किलोग्राम है।
4- तेजस ने ढाई हजार घंटे के सफर में 3000 से ज्यादा उड़ानें भरी हैं। इसका परीक्षण करने वाले सभी पायलट कलाबाजी में इसकी कुशलता और इसके फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से संतुष्ट हैं।
5-तेजस क्षमता के मामले में कई मायनों में फ्रांस में निर्मित मिराज 2000 के जैसा है। इसका मल्टीरोल रेडार अल्टा 2032 इस्राइल में बना है। इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलें और जमीन पर निशाना साधने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्नेटर और टारगेटिंग पॉड्स भी हैं।
6- इसमें सेंसर से मिलने वाले डेटा को प्रोसेस करने वाले मिशन कंप्यूटर का हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ओपन आर्किटेक्चर फ्रेमवर्क को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। यानी इसे भविष्य में अपग्रेड भी किया जा सकता है।
7- विमान का ढांचा कार्बन फाइबर से बना है, जो धातु से कहीं ज्यादा हल्का और मजबूत होता है।
8- तेजस का रखरखाव काफी सस्ता पड़ेगा। भारतीय वायुसेना के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान सुखोई 30 का रखरखाव काफी महंगा है।
9- सुखोई 30 के बेड़े में 60 फीसदी से भी कम विमान एक बार में मिशन के लिए मौजूद रहते हैं, बाकी दुरुस्त होते रहते हैं, यह चिंता का विषय है। एचएएल का कहना है कि तेजस 70 फीसदी से ज्यादा समय के लिए उपलब्ध होगा और 80 फीसदी के लिए भी प्रयास जारी हैं।
10- हालांकि, एक दशक से भी पहले की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया विमान तेजस दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमानों में शुमार नहीं है। हां, यह भारतीय वायुसेना को मिग 21 का विकल्प उपलब्ध कराएगा। भारतीय वायुसेना का मकसद भी यही है।
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1st July, 2016