गर्मी के मौसम में लोगों को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जैसे काम करने में मन न लगना और बीमार पड़ जाना| गर्मी से बचने के लिए लोग एसी कूलर लगाते हैं लेकिन उससे भी कोई खास लाभ नहीं होता है, जबतक आप एसी कूलर में होते हैं तबतक तो आपको गर्मी नहीं लगती है लेकिन घर से बाहर निकलने के बाद आपका फिरसे वही हाल हो जाता है| ज़रा सोंचिए कि अगर आपसे कोई कहे कि एक ऐसा प्राणायाम है जिसको करने से आप पूरे दिन ताजगी का एहसास करेंगे, तो आप क्या कहेंगे, यही ना कि ऐसा कोई भी प्राणायाम नहीं है | लेकिन शीतली प्राणायाम से गर्मी के मौसम में राहत पाई जा सकती है। शीतली प्राणायाम ना केवल शीतलता प्रदान करता है, बल्कि मन की शांति भी देता है| इस प्राणायाम को सभी योगासन को करने के बाद सबसे अंत में किया जाना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से सभी योगासनों को करने की थकान दूर होकर पूरे शरीर में ठंडक का एहसास होता हैं|
ऐसे करें प्राणायाम--
- शीतली प्राणायाम करने से पहले स्नान कर लेना चाहिए। - आसन और प्राणायाम के बाद स्नान करना चाहें तो कम से कम आधे घंटे का अंतराल रखें ताकि इस दौरान रक्त का संचार सामान्य हो जाए। - यह प्राणायाम हर मौसम में हर जगह आसानी से किया जा सकता है। - प्राणायाम का अभ्यास होने के बाद गर्मी के मौसम में इसकी अवधि आवश्यकता अनुसार बढ़ा सकते हैं। - इसमें आप किसी एक प्रकार की अवस्था में बैठने के लिए बाध्य नहीं होते । - दोनों हाथों की अंगुलियों को ज्ञान मुद्रा में दोनों घुटनो पर रखें, आंखें बन्द करें। - उसके बाद अपनी जीभ को नली के समान बना लें अर्थात गोल बना लें और मुंह से लम्बी गहरी श्वास आवाज के साथ भरें। - फिर इस नली के माध्यम से ही धीरे-धीरे मुँह से साँस लें। इसके बाद जीभ अंदर करके साँस को धीरे-धीरे नाक के द्वारा बाहर निकालें। - हवा नलीनुमा इस ट्यूब से गुजरकर मुँह, तालु और कंठ को ठंडक प्रदान करेगी। - याद रहें कि श्वास बाहर निकालने का समय श्वास लेने के समय से ज्यादा हो। यानी जीभ के सहारे श्वास को धीरे-धीरे अंदर लेना भी है और स्वास छोड़ते वक्त श्वास और धीरे से छोड़ना है। - प्राणायाम के समय साँस लयबद्ध और गहरी होना चाहिए। - शीतकारी प्राणायाम में मुंह बंद कर दंत पंक्तियों को मिलाकर मुंह से श्वास लेते हैं और नाक से ही श्वास छोड़ते हैं। - प्रदूषित जगह में इस प्राणायाम का अभ्यास न करें। - कम से कम 10 चक्रों का अभ्यास करें। अभ्यस्त होने पर 5 से 10 मिनट तक अभ्यास करें।
इसके अभ्यास से मानसिक उत्तेजना एवं उदासीनता दोनों दूर हो जाती हैं। मस्तिष्क के स्नायु, नाड़ी संस्थान तथा मन शांत हो जाता है। यह प्राणायाम अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग और अल्सर में रामबाण का काम करता है। चिड़चिड़ापन, बात-बात में क्रोध आना, तनाव तथा गर्म स्वभाव के व्यक्तियों के लिए यह विशेष लाभप्रद है। जो लोग खाते रहने की आदत से परेशान हैं उन्हें ये प्राणायाम जरूर करना चाहिए क्योंकि ये गैर जरूरी भूख कम करता है। ये प्राणायाम ब्लडप्रेशर कम करता है। एसीडिटी और पेट के अल्सर तक में आराम मिलता है। प्राणायाम के अभ्यास के बाद शवासन में कुछ देर विश्राम करें। जहाँ तक संभव हो सूर्योदय या सूर्यास्त के समय ही यह प्रणायाम करें।
8th June, 2016