
राजेन्द्र द्विवेदी- राहुल गाँधी की सांसद सदस्यता जाने से विपक्षी एकता मजबूत होगी क्योकि अब राहुल गाँधी प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं रह गए हैं। दूसरा केरल या अमेठी किसी भी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का असमंजस और दवाब राहुल पर से हट गया इससे राहुल पूरे देश में जनता के बीच जाकर जिन मुद्दों को उठाया है उसे लगातार उठाने में अहम् भूमिका निभा सकते हैं।
जनप्रिय नेता होने के लिए संसद सदस्य बनना कोई मानक नहीं है। बहुत सारे नेता लम्बे अरसे तक चुनाव हारते रहे या लड़े ही नहीं लेकिन वह लोकप्रिय नेता बने रहे। 1977 में इंदिरा गाँधी के खिलाफ बिगुल फूकने वाले जय प्रकाश नारायण किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। जिस ढृढ़ता और आत्मबल पर राहुल गाँधी ने अपना रास्ता चुना है निश्चित रूप से आने वाले दिनों में राहुल गाँधी को लेकर तमाम भ्रम टूटेंगे और फिर नया मजबूत लोकप्रिय नेता के रूप में राहुल को लेकर जनता में परसेप्शन बनेगा।
जनप्रिय नेता होने के लिए संसद सदस्य बनना कोई मानक नहीं है। बहुत सारे नेता लम्बे अरसे तक चुनाव हारते रहे या लड़े ही नहीं लेकिन वह लोकप्रिय नेता बने रहे। 1977 में इंदिरा गाँधी के खिलाफ बिगुल फूकने वाले जय प्रकाश नारायण किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। जिस ढृढ़ता और आत्मबल पर राहुल गाँधी ने अपना रास्ता चुना है निश्चित रूप से आने वाले दिनों में राहुल गाँधी को लेकर तमाम भ्रम टूटेंगे और फिर नया मजबूत लोकप्रिय नेता के रूप में राहुल को लेकर जनता में परसेप्शन बनेगा।
24th March, 2023