यूरीड मीडिया- यूपी में तीन नए कमिश्नरेट पर योगी कैबिनेट की मुहर लग गई है। शुक्रवार सुबह लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अभी तक प्रदेश के चार जिलों लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में यह व्यवस्था लागू थी। अब यूपी के कुल 7 सात शहर इस व्यवस्था के दायरे में आ गए हैं।
इस संबंध में डीजीपी मुख्यालय का प्रस्ताव पहले से ही गृह विभाग के पास विचाराधीन था। संगमनगरी प्रयागराज में वर्ष 2025 में महाकुंभ का आयोजन होना है। यहां हाईकोर्ट भी है। इस कारण यह खासी अहमियत रखता है। गाजियाबाद जिले और दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र ताजनगरी आगरा को भी खासी अहमियत दी जाती है। इन दोनों जिलों में कानून-व्यवस्था को और बेहतर बनाकर प्रदेश की छवि में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। गाजियाबाद जिला निवेशकों की भी पसंद है।
कानून-व्यवस्था यूपी में बड़ा मुद्दा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से ही इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। यूपी के प्रमुख शहरों की कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने और पुलिस की कार्यप्रणाली में चुस्ती-फुर्ती लाने के इरादे से सीएम योगी ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ही लखनऊ, वाराणसी, गौतमबुद्धनगर (नोएडा) और कानपुर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को लागू किया था। अब गाजियाबाद, प्रयागराज और आगरा में इसे लागू कर दिया गया है। ये तीनों यूपी के बड़े शहर हैं जहां से अक्सर बड़ी आपराधिक घटनाओं की खबरें आती रहती हैं। लम्बे समय से इन जिलों में भी कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने की जरूरत बताई जा रही थी।
13 जनवरी 2020 को यूपी में सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई थी। 26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में इसे लागू किया गया। कानपुर में असीम अरुण और वाराणसी में ए सतीश गणेश को पुलिस कमिश्नर बनाया गया था।
क्या है कमिश्नरेट सिस्टम?
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने में बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में लागू हुआ था। यह पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम 1861 पर आधारित है। आजादी के बाद कुछ अन्य महानगरों में भी यह सिस्टम लागू किया गया। इस व्यवस्था के तहत पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता। डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं। इस व्यवस्था में पुलिस कानून व्यवस्था से जुड़े कई फैसले खुद ही ले सकती है जिसके लिए अभी तक मजिस्ट्रेट के आदेश का इंतजार करना पड़ता था।
इस संबंध में डीजीपी मुख्यालय का प्रस्ताव पहले से ही गृह विभाग के पास विचाराधीन था। संगमनगरी प्रयागराज में वर्ष 2025 में महाकुंभ का आयोजन होना है। यहां हाईकोर्ट भी है। इस कारण यह खासी अहमियत रखता है। गाजियाबाद जिले और दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र ताजनगरी आगरा को भी खासी अहमियत दी जाती है। इन दोनों जिलों में कानून-व्यवस्था को और बेहतर बनाकर प्रदेश की छवि में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। गाजियाबाद जिला निवेशकों की भी पसंद है।
कानून-व्यवस्था यूपी में बड़ा मुद्दा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से ही इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। यूपी के प्रमुख शहरों की कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने और पुलिस की कार्यप्रणाली में चुस्ती-फुर्ती लाने के इरादे से सीएम योगी ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ही लखनऊ, वाराणसी, गौतमबुद्धनगर (नोएडा) और कानपुर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को लागू किया था। अब गाजियाबाद, प्रयागराज और आगरा में इसे लागू कर दिया गया है। ये तीनों यूपी के बड़े शहर हैं जहां से अक्सर बड़ी आपराधिक घटनाओं की खबरें आती रहती हैं। लम्बे समय से इन जिलों में भी कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने की जरूरत बताई जा रही थी।
13 जनवरी 2020 को यूपी में सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई थी। 26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में इसे लागू किया गया। कानपुर में असीम अरुण और वाराणसी में ए सतीश गणेश को पुलिस कमिश्नर बनाया गया था।
क्या है कमिश्नरेट सिस्टम?
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने में बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में लागू हुआ था। यह पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम 1861 पर आधारित है। आजादी के बाद कुछ अन्य महानगरों में भी यह सिस्टम लागू किया गया। इस व्यवस्था के तहत पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता। डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं। इस व्यवस्था में पुलिस कानून व्यवस्था से जुड़े कई फैसले खुद ही ले सकती है जिसके लिए अभी तक मजिस्ट्रेट के आदेश का इंतजार करना पड़ता था।
25th November, 2022