मिर्ज़ापुर, प्रिंस राज : 15 जुलाई की सुबह करीब 10 बजे विंध्याचल से मिर्ज़ापुर हाइवे पर एक होटल के पास एक घोड़ा गंभीर अवस्था में घायल कड़ी धूप में सड़क पर पड़ा मिला, जानकारी से मालूम चला कि किसी ट्रक ने धक्का मार दिया जिससे उसका दाया पैर टूट गया, हालत गंभीर थी, लेकिन जिंदा झटपटा रहा था। प्राथमिक तौर पर इलाज की जरूरत थी।
मैंने किसी एनजीओ के सहारे उसके मदद का विचार बनाया लेकिन इस छोटे से शहर में किसी भी तरह का कोई एनजीओ पशु की देखरेख के लिए संचालित नहीं था। मैंने पशुधन विभाग को फोन कर मदद मांगी, जहां से एक महिला अधिकारी का सीयूजी नंबर मिला, जिसका फोन नहीं मिला, बाद में स्थानीय चिकित्सालय की महिला डॉक्टर व मुख्य चिकित्साधिकारी के सीयूजी में दर्जनों फोन किया किसी का नंबर नहीं उठा। उसके बाद स्थानीय पालिका को दर्जनों फोन किए किसी ने नंबर नहीं उठाया। कार्यालय जाकर विभागीय लोगों से संपर्क कर घोड़े को हाइवे से किनारे कही छाव में करने की गुहार लगाई लेकिन पालिका परिषद के लोग तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि हम सिर्फ मरे हुए जानवर ही उठाते है ज़िंदों के लिए हमारा क्या काम। बाद इसके स्थानीय पशु चिकित्सालय के डॉक्टर के पास पहुंचा तो पता चला कि आज विकास भवन कार्यालय में मीटिंग चल रही इसलिए वहाँ मौजूद नहीं। विकास भवन कार्यालय पहुंचा तो पशु स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों की मीटिंग चल रही थी। किसी तरह मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से बात कर मामले से अवगत कराया तो कुछ असहमति के बाद श्रीमान ने उसे पशु चिकित्सालय भेजने के लिए कहा जहां उसका पूर्णतया इलाज कराने की बात कही।
