कैंसर पेसेंट को चढ़ा दिया गया एचबीएसएजी HBsAg (पाज़िटिव) प्लेटलेट्स।
मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से की गयी शिकायत
यूरीड मीडिया- पूर्वांचल और लखनऊ के आस पास के जनपदों के मरीजों के इलाज के लिए वरदान बना लोहिया अस्पताल जो अब राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में सम्मिलित कर लिया गया है, अराजकता और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। पूरे अस्पताल में प्रशासनिक आराजकता है। निदेशक की कोई सुनता नहीं है। CMS और अन्य कई चिकित्सकों को शासन में बैठे कई नौकरशाहों का संरक्षण प्राप्त है। इंस्टीट्यूट में शामिल होने से पहले लोहिया अस्पताल में 7000 से अधिक प्रतिदिन OPD में मरीज देखे जाते थे। लेकिन इंस्टीट्यूट में शामिल होने के बाद गरीब मरीजों के इलाज के लिए भ्रष्टाचार के कारण तरह-तरह की परेशानी पैदा हो गयी है। ब्लड बैंक के डॉक्टर वी के शर्मा के अराजकता और मनमानी के कारण ब्लड बैंक जान बचाने की बजाय जानलेवा साबित हो रहा है। किस तरह से ब्लड बैंक में मरीजों की जान खतरे में डाली जा रही है। उनका एक छोटा सा उदहारण ब्लड बैंक की मेडिकल डाक्टर रागिनी सिंह का निदेशक को लिखा गया शिकायती पत्र है।
मरीज को खून या प्लेटलेट्स चढ़ाना कितना महत्वपूर्ण और सावधानी भरा है कि थोड़ी सी लापरवाही जान बचाने के बजाय जानलेवा साबित हो जाती है। इस सम्बन्ध में डॉक्टर रागिनी ने शिकायती पत्र में जिन बिंदुओं को उठाया है वह बहुत ही गंभीर और जांच के बाद तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिये क्योकि ऐसा नहीं है कि ब्लड बैंक की लापरवाही में केवल गरीब मरीज ही इसका शिकार होता है बल्कि संरक्षण देने वाले नौकरशाह अगर इलाज कराने इंस्टिट्यूट में आये और उन्हें प्लेटलेट्स या ब्लड की जरुरत पड़ी तो वह भी इंस्टिट्यूट में ब्लड बैंक में हो रही लापरवाही का शिकार हो जायेंगे। एलाईजा किट एक्सपायरी के बाद भी उपयोग की जाती है। प्लेटलेट्स जो इंस्टिट्यूट से राम प्रकाश गुप्ता अस्पताल में भेजा जाता है तो उसे निश्चित तापमान में ना भेज कर खुले गत्ते में भेजा जाता है। अराजकता की स्थिति यह है कि पिछले दिनों मंत्री के छापे के दौरान करोड़ों की एक्सपाइरी दवाई पायी गयी थी। इंस्टिट्यूट पूरी तरह से मरीजों को बचाने से ज्यादा उनके लिए मुसीबत बनता जा रहा है।
डॉक्टर रागिनी द्वारा निदेशक को लिखे गए पत्र में तमाम ब्लड बैंक की कमियों का उल्लेख किया गया है लेकिन इन कमियों को दूर करने के बजाय डॉक्टर वी के शर्मा अच्छे कार्य कर रहे कर्मचारियों को प्रताड़ित करने में जुटे हैं और उन्हें ब्लड बैंक से हटवा दिया है। ब्लड बैंक का कार्य शर्मा के निर्देश पर वार्ड बॉय, वार्ड आया, वैन क्लीनर, वैन अटेंडेंट आदि द्वारा करवाया जा रहा है। जिसके कारण ब्लड ग्रुप बदल जाता है और मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। ब्लड बैंक की लापरवाही का एक जीता-जागता उदाहरण कैंसर पेसेंट को HBsAg (पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ा दिया गया। HBsAg(पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाने का नकारात्मक असर होगा कि सामान्य मरीज़ HBsAg(पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाने से तीव्र या क्रानिक हेपटाइटिस बी से पीड़ित हो जाएगा। इस मामले की शिकायत निदेशक से गयी है लेकिन कार्रवाई होने के बजाय शिकायत करने वालों को ही दबाया जा रहा है। ब्लड बैंक के 7 बिंदुओं की शिकायत बहुत ही गंभीर है। जिसमे डॉक्टर वी के शर्मा और ब्लड बैंक में चल रही अराजकता का उल्लेख किया गया है।
मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से की गयी शिकायत
यूरीड मीडिया- पूर्वांचल और लखनऊ के आस पास के जनपदों के मरीजों के इलाज के लिए वरदान बना लोहिया अस्पताल जो अब राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में सम्मिलित कर लिया गया है, अराजकता और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। पूरे अस्पताल में प्रशासनिक आराजकता है। निदेशक की कोई सुनता नहीं है। CMS और अन्य कई चिकित्सकों को शासन में बैठे कई नौकरशाहों का संरक्षण प्राप्त है। इंस्टीट्यूट में शामिल होने से पहले लोहिया अस्पताल में 7000 से अधिक प्रतिदिन OPD में मरीज देखे जाते थे। लेकिन इंस्टीट्यूट में शामिल होने के बाद गरीब मरीजों के इलाज के लिए भ्रष्टाचार के कारण तरह-तरह की परेशानी पैदा हो गयी है। ब्लड बैंक के डॉक्टर वी के शर्मा के अराजकता और मनमानी के कारण ब्लड बैंक जान बचाने की बजाय जानलेवा साबित हो रहा है। किस तरह से ब्लड बैंक में मरीजों की जान खतरे में डाली जा रही है। उनका एक छोटा सा उदहारण ब्लड बैंक की मेडिकल डाक्टर रागिनी सिंह का निदेशक को लिखा गया शिकायती पत्र है।
मरीज को खून या प्लेटलेट्स चढ़ाना कितना महत्वपूर्ण और सावधानी भरा है कि थोड़ी सी लापरवाही जान बचाने के बजाय जानलेवा साबित हो जाती है। इस सम्बन्ध में डॉक्टर रागिनी ने शिकायती पत्र में जिन बिंदुओं को उठाया है वह बहुत ही गंभीर और जांच के बाद तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिये क्योकि ऐसा नहीं है कि ब्लड बैंक की लापरवाही में केवल गरीब मरीज ही इसका शिकार होता है बल्कि संरक्षण देने वाले नौकरशाह अगर इलाज कराने इंस्टिट्यूट में आये और उन्हें प्लेटलेट्स या ब्लड की जरुरत पड़ी तो वह भी इंस्टिट्यूट में ब्लड बैंक में हो रही लापरवाही का शिकार हो जायेंगे। एलाईजा किट एक्सपायरी के बाद भी उपयोग की जाती है। प्लेटलेट्स जो इंस्टिट्यूट से राम प्रकाश गुप्ता अस्पताल में भेजा जाता है तो उसे निश्चित तापमान में ना भेज कर खुले गत्ते में भेजा जाता है। अराजकता की स्थिति यह है कि पिछले दिनों मंत्री के छापे के दौरान करोड़ों की एक्सपाइरी दवाई पायी गयी थी। इंस्टिट्यूट पूरी तरह से मरीजों को बचाने से ज्यादा उनके लिए मुसीबत बनता जा रहा है।
डॉक्टर रागिनी द्वारा निदेशक को लिखे गए पत्र में तमाम ब्लड बैंक की कमियों का उल्लेख किया गया है लेकिन इन कमियों को दूर करने के बजाय डॉक्टर वी के शर्मा अच्छे कार्य कर रहे कर्मचारियों को प्रताड़ित करने में जुटे हैं और उन्हें ब्लड बैंक से हटवा दिया है। ब्लड बैंक का कार्य शर्मा के निर्देश पर वार्ड बॉय, वार्ड आया, वैन क्लीनर, वैन अटेंडेंट आदि द्वारा करवाया जा रहा है। जिसके कारण ब्लड ग्रुप बदल जाता है और मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। ब्लड बैंक की लापरवाही का एक जीता-जागता उदाहरण कैंसर पेसेंट को HBsAg (पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ा दिया गया। HBsAg(पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाने का नकारात्मक असर होगा कि सामान्य मरीज़ HBsAg(पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाने से तीव्र या क्रानिक हेपटाइटिस बी से पीड़ित हो जाएगा। इस मामले की शिकायत निदेशक से गयी है लेकिन कार्रवाई होने के बजाय शिकायत करने वालों को ही दबाया जा रहा है। ब्लड बैंक के 7 बिंदुओं की शिकायत बहुत ही गंभीर है। जिसमे डॉक्टर वी के शर्मा और ब्लड बैंक में चल रही अराजकता का उल्लेख किया गया है।
10th June, 2022