यूरीड मीडिया- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर आज देश के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान पिछले एक साल से अधिक समय से आंदोनलरत थे। उनका कहना था कि इनके कारण कृषि के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर का दखल बढ़ेगा।
अखिलेश यादव-
तीनों कृषि कानूनों के वापस लेने के ऐलान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि अमीरों की भाजपा ने भूमि अधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी।
अमीरों की भाजपा ने भूमिअधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी।
प्रियंका गाँधी वाड्रा-
प्रियंका गांधी ने कहा कि 600 से अधिक किसानों की शहादत 350 से अधिक दिन का संघर्ष, प्रधानमंत्री जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला। उनपर लाठियां बरसाईं, उन्हें गिरफ़्तार किया। अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी कि यह देश किसानों ने बनाया है। यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती। इसके बाद प्रियंका ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है। किसान की सदैव जय होगी। जय जवान, जय किसान, जय भारत।
मायावती-
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, हमारी पार्टी की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उन्हें आर्थिक मदद दे। उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी ज़रूर दी जाए। कृषि क़ानूनों को रद्द करने का निर्णय बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था। सरकार अगर यह फ़ैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता।
राहुल गांधी-
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर तंज कसा। राहुल गांधी ने कहा कि देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। केजरीवाल ने कहा कि आज प्रकाश पर्व के दिन कितनी बड़ी खुशखबरी मिली है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार को किसानों के आगे आखिरकार झुकना पड़ा। सरकार को यह मांग बहुत पहले ही मान लेनी चाहिए थी। वहीं, एनसीपी नेता नवाब मलिक ने इस पर अपनी राय रखी। नवाब मलिक ने कहा कि हार के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस लिए।
राजनाथ सिंह-
आज प्रधानमंत्री श्री @narendramodi ने किसानों के हित में और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए तीन कृषि क़ानूनों को वापिस लेने का बड़ा निर्णय लिया है। यह निर्णय किसान कल्याण के लिए प्रधानमंत्रीजी की संवेदनशीलता को प्रकट करता है। मैं प्रधानमंत्रीजी के इस निर्णय का स्वागत करता हूँ।
योगी-
सीएम योगी ने कहा है कि हम सब जानते हैं कि तीन कृषि कानूनों को लेकर कुछ किसान संगठन आंदोलन कर रहे थे. आज गुरू पर्व पर प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर जो ऐतिहासिक काम किया है, उसका मैं हृदय से स्वागत करता हूं। योगी ने कहा कि एक बड़ा समुदाय ऐसा था कि जो कि इस बात को मानता था कि किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के कानून महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं लेकिन इन सबके बावजूद कुछ किसान संगठन इसके विरोध में आये थे। सरकार ने परस्पर हर स्तर पर संवाद बनाने का प्रयास किया। हो सकता है कि हमारे स्तर पर कोई कमी रह गई हो और किसानों को आंदोलन के रास्ते पर आगे बढ़ना पड़ा था।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस भाव का सम्मान करते हुए तीनों कृषि कानून को वापस लेने और एमएसपी को लेकर भी एक समिति के गठन करने का हम स्वागत करते हैं। इस दौरान योगी ने गुरु पर्व पर लोगों को बधाई दी।
पियूष गोयल-
नरेन्द्र मोदी जी द्वारा कृषि कानूनों को लेकर की गयी घोषणा स्वागत योग्य कदम है। 'गुरु पूरब' के पवित्र दिन की गयी यह घोषणा दर्शाती है कि सरकार किसानों के कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है। इस निर्णय से समाज में आपसी सौहार्द का वातावरण और मजबूत होगा।
कांग्रेस-
आजाद भारत के इतिहास के सबसे मुश्किल आंदोलनों में शुमार 'किसान आंदोलन' के आगे आखिरकार अहंकारी सरकार को झुकना ही पड़ा। सच को परेशान करने, प्रताड़ित करने की काफी कोशिशें की गई, लेकिन आखिरकार जीत सच की ही हुई।
अखिलेश यादव-
तीनों कृषि कानूनों के वापस लेने के ऐलान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि अमीरों की भाजपा ने भूमि अधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी।
अमीरों की भाजपा ने भूमिअधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी।
प्रियंका गाँधी वाड्रा-
प्रियंका गांधी ने कहा कि 600 से अधिक किसानों की शहादत 350 से अधिक दिन का संघर्ष, प्रधानमंत्री जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला। उनपर लाठियां बरसाईं, उन्हें गिरफ़्तार किया। अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी कि यह देश किसानों ने बनाया है। यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती। इसके बाद प्रियंका ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है। किसान की सदैव जय होगी। जय जवान, जय किसान, जय भारत।
मायावती-
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, हमारी पार्टी की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उन्हें आर्थिक मदद दे। उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी ज़रूर दी जाए। कृषि क़ानूनों को रद्द करने का निर्णय बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था। सरकार अगर यह फ़ैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता।
राहुल गांधी-
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर तंज कसा। राहुल गांधी ने कहा कि देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। केजरीवाल ने कहा कि आज प्रकाश पर्व के दिन कितनी बड़ी खुशखबरी मिली है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार को किसानों के आगे आखिरकार झुकना पड़ा। सरकार को यह मांग बहुत पहले ही मान लेनी चाहिए थी। वहीं, एनसीपी नेता नवाब मलिक ने इस पर अपनी राय रखी। नवाब मलिक ने कहा कि हार के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस लिए।
राजनाथ सिंह-
आज प्रधानमंत्री श्री @narendramodi ने किसानों के हित में और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए तीन कृषि क़ानूनों को वापिस लेने का बड़ा निर्णय लिया है। यह निर्णय किसान कल्याण के लिए प्रधानमंत्रीजी की संवेदनशीलता को प्रकट करता है। मैं प्रधानमंत्रीजी के इस निर्णय का स्वागत करता हूँ।
योगी-
सीएम योगी ने कहा है कि हम सब जानते हैं कि तीन कृषि कानूनों को लेकर कुछ किसान संगठन आंदोलन कर रहे थे. आज गुरू पर्व पर प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर जो ऐतिहासिक काम किया है, उसका मैं हृदय से स्वागत करता हूं। योगी ने कहा कि एक बड़ा समुदाय ऐसा था कि जो कि इस बात को मानता था कि किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के कानून महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं लेकिन इन सबके बावजूद कुछ किसान संगठन इसके विरोध में आये थे। सरकार ने परस्पर हर स्तर पर संवाद बनाने का प्रयास किया। हो सकता है कि हमारे स्तर पर कोई कमी रह गई हो और किसानों को आंदोलन के रास्ते पर आगे बढ़ना पड़ा था।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस भाव का सम्मान करते हुए तीनों कृषि कानून को वापस लेने और एमएसपी को लेकर भी एक समिति के गठन करने का हम स्वागत करते हैं। इस दौरान योगी ने गुरु पर्व पर लोगों को बधाई दी।
पियूष गोयल-
नरेन्द्र मोदी जी द्वारा कृषि कानूनों को लेकर की गयी घोषणा स्वागत योग्य कदम है। 'गुरु पूरब' के पवित्र दिन की गयी यह घोषणा दर्शाती है कि सरकार किसानों के कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है। इस निर्णय से समाज में आपसी सौहार्द का वातावरण और मजबूत होगा।
कांग्रेस-
आजाद भारत के इतिहास के सबसे मुश्किल आंदोलनों में शुमार 'किसान आंदोलन' के आगे आखिरकार अहंकारी सरकार को झुकना ही पड़ा। सच को परेशान करने, प्रताड़ित करने की काफी कोशिशें की गई, लेकिन आखिरकार जीत सच की ही हुई।
19th November, 2021