राजेन्द्र द्विवेदी, यूरीड मीडिया- डीजल, पेट्रोल एवं कृषि लागत के बीच सिंचाई आदि की महंगाई से तबाह देश में बदहाली से जूझ रहे किसानों पर सरकार ने बर्बादी के लिए एक और निर्णय किया है।एनपीके खाद 265 रूपये प्रति बोरी महंगी कर दी है। यह महंगाई की दरें 15 अक्टूबर से लागू कर दी है। नए रेट के अनुसार 50 किलोग्राम एनपीके जो 1175 रूपये में मिलती थी अब बढ़ी हुई दरों पर 1440 रूपये में मिलेगी। एनपी उर्वरक में भी 70 रूपये बढ़ोतरी की गयी है। कृषि लागत में निरंतर हो रही बढ़ोतरी से सरकार द्वारा निर्धारित MSP पर भी खरीदारी की जाये तब भी किसान को फायदा नहीं है। मोदी सरकार में जिस तरह से कृषि लागत बढ़ी है गेहू, धान, तिलहन, दलहन सभी की MSP महजूदा MSP से दोगुनी होनी चाहिए। 100 रू० डीजल 1440रू० प्रति बोरी उर्वरक, मजदूरी, परिवहन और बीज आदि सभी को जोड़ ले तो धान और गेहूं की MSP कम से कम 4000 रू० प्रति कुंतल से कम नहीं होनी चाहिए।
किसान हर तरह से परेशान और तबाह हो रहा है और उनके हितों से ज्यादा राजनीतिक दलों में वोट बैंक की सियासत छिड़ी हुई है। सरकार ने कृषि पर बढ़ती हुई लागतों पर रोक नहीं लगाया तो आने वाले दिनों में फ्री खाद्यान बांटने की वाह वाही लूटने वाली सरकार के लिए 80 करोड़ को फ्री राशन देना मुश्किल हो जायेगा।
किसान हर तरह से परेशान और तबाह हो रहा है और उनके हितों से ज्यादा राजनीतिक दलों में वोट बैंक की सियासत छिड़ी हुई है। सरकार ने कृषि पर बढ़ती हुई लागतों पर रोक नहीं लगाया तो आने वाले दिनों में फ्री खाद्यान बांटने की वाह वाही लूटने वाली सरकार के लिए 80 करोड़ को फ्री राशन देना मुश्किल हो जायेगा।
17th October, 2021