लखनऊ, यूरीड मीडिया न्यूज।, प्रयागराज शिक्षा सेवा अधिकरण की पीठ के काम के बंटवारे से इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता नाखुश हैं। उन्होंने इसे मनमाना और न्यायिक सिद्धांतों के विपरीत निर्णय करार दिया है। बृहस्पतिवार को पारित कानून के मुताबिक अधिकरण की पीठ तीन दिन लखनऊ में और दो दिन प्रयागराज में बैठेगी। अधिवक्ताओं को इस पर आपत्ति है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट लखनऊ खंडपीठ के क्षेत्राधिकार में दो मंडल हैं। जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रधानपीठ के क्षेत्राधिकार में 14 मंडल हैं। इस लिहाज से प्रयागराज में अधिकरण की पीठ के सिर्फ दो दिन बैठने का निर्णय समझ से परे है। यंग लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी ने राज्य सरकार पर कानूनी सिद्धांतों की अनदेखी करने और नौकरशाही के चंगुल में फंस मनमानी करने का आरोप लगाया है। वहीं अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के संसद में दिए बयान का हवाला देते हुए कहा कि आईएएस लॉबी अपनी सुविधानुसार हर काम करना चाहती है। वह राजधानी से बाहर जाना ही नहीं चाहती। प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एनके चटर्जी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास बार एसोसिएशन केस में कहा है कि जहां हाईकोर्ट की प्रधानपीठ हो, न्यायिक निगरानी के लिए अधिकरण वहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट ने भी मेसर्स टार्क फार्मास्युटिकल केस में कहा है कि हाईकोर्ट की स्थायी पीठ या प्रधानपीठ एक ही है और इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ प्रयागराज में है।
20th February, 2021