कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल का आज तड़के करीब तीन बजे निधन हो गया। अहमद पटेल कुछ हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और उसके बाद से ही वह बीमार रह रह थे। कांग्रेस पार्टी को अहमद पटेल के निधन से बड़ा झटका लगा है, क्योंकि अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के चाणक्य माने जाते थे। वहीं, इससे पहले 23 नवंबर की शाम को कांग्रेस के दिग्गज नेता और असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का निधन हुआ था।
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का सोमवार को निधन हो गया था। पिछले दिनों वह भी कोविड-19 से संक्रमित हुए थे और उपचार के बाद ठीक हो गए थे लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कुछ जटिलताओं के कारण उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद वह सोमवार शाम को चल बसे। तरुण गोगोई को भी गांधी परिवार का काफी वफादार माना जाता था। ठीक इसके दो दिन बाद यानी आज 25 दिसंबर को तड़के अहमद पटेल का भी निधन हो गया।
21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरुच में जन्मे अहमद पटेल आठ बार सांसद रहे हैं। अहमद पटेल ने तीन बार लोकसभा सांसद के तौर पर भरुच का प्रतिनिधित्व किया और पांच बार राज्यसभा सांसद के तौर पर। गांधी परिवार के सबसे वफादार माने जाने वाले अहमद पटेल कांग्रेस में काफी ताकतवर नेता थे। ऐसा कहा जाता है कि जब पार्टी सत्ता में थी, तब उन्हें कई बार मंत्री बनने का प्रस्ताव मिला, मगर उन्होंने बार-बार ठुकरा दिया। कांग्रेस पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अहमद पटेल सोनिया गांधी के विश्वासपात्र थे और उनके संकटमोचक भी।
देश के राजनीतिक इतिहास में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जितने भी शानदार प्रदर्शन किए, चुनाव जीते, उनमें अहमद पटेल का खासा योगदान माना जाता था। एक तरह से वह कांग्रेस पार्टी के वह सेनापति थे जो मुश्किलों का सामना करने के लिए आगे की पंक्ति में खड़ा रहते थे। साल 2004 का लोकसभा चुनाव हो या 2009 का, उन दोनों चुनावों में अहमद पटेल के योगदान को कांग्रेस के साथ-साथ इस देश ने देखा है। इसके अलावा भी किसी विधानसभा चुनाव में अभी अगर पार्टी विषम परिस्थिति में होती थी, तो अहमद पटेल ही एक ऐसे नेता थे, जिन पर सोनिया गांधी को पूरा भरोसा होता था कि वे इस संकट से पार्टी को उबार देंगे। उन्होंने अपनी रणनीतिक कौशल से कई बार अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस की सरकार बनवाई, मगर कभी मंत्री नहीं बने।
अहमद पटेल साल 2001 से 2017 तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे थे। 2018 में राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने के बाद अहमद पटेल को कोषाध्यक्ष बनाया था। वैसे 1996 से लेकर 2000 तक पटेल इसी पद पर थे। हालांकि, राहुल गांधी के नेतृत्व के दौरान भी अहमद पटेल आलाकमान और नेताओं के बीच में एक अहम कड़ी बने रहे। 10 साल के यूपीए सरकार में भले ही वह लो प्रोफाइल में रहे, मगर उन्होंने इस दौरान अहम भूमिका निभाई। साल 1985 में राजीव गांधी ने अहमद पटेल को ऑस्कर फर्नांडीस और अरुण सिंह के साथ अपना संसदीय सचिव बनाया था। उस समय इन तीनों को 'अमर-अकबर-एंथनी' गैंग कहा जाता था। पहली बार अहमद पटेल तभी चर्चा में आए थे।
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का सोमवार को निधन हो गया था। पिछले दिनों वह भी कोविड-19 से संक्रमित हुए थे और उपचार के बाद ठीक हो गए थे लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कुछ जटिलताओं के कारण उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद वह सोमवार शाम को चल बसे। तरुण गोगोई को भी गांधी परिवार का काफी वफादार माना जाता था। ठीक इसके दो दिन बाद यानी आज 25 दिसंबर को तड़के अहमद पटेल का भी निधन हो गया।
21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरुच में जन्मे अहमद पटेल आठ बार सांसद रहे हैं। अहमद पटेल ने तीन बार लोकसभा सांसद के तौर पर भरुच का प्रतिनिधित्व किया और पांच बार राज्यसभा सांसद के तौर पर। गांधी परिवार के सबसे वफादार माने जाने वाले अहमद पटेल कांग्रेस में काफी ताकतवर नेता थे। ऐसा कहा जाता है कि जब पार्टी सत्ता में थी, तब उन्हें कई बार मंत्री बनने का प्रस्ताव मिला, मगर उन्होंने बार-बार ठुकरा दिया। कांग्रेस पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अहमद पटेल सोनिया गांधी के विश्वासपात्र थे और उनके संकटमोचक भी।
देश के राजनीतिक इतिहास में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जितने भी शानदार प्रदर्शन किए, चुनाव जीते, उनमें अहमद पटेल का खासा योगदान माना जाता था। एक तरह से वह कांग्रेस पार्टी के वह सेनापति थे जो मुश्किलों का सामना करने के लिए आगे की पंक्ति में खड़ा रहते थे। साल 2004 का लोकसभा चुनाव हो या 2009 का, उन दोनों चुनावों में अहमद पटेल के योगदान को कांग्रेस के साथ-साथ इस देश ने देखा है। इसके अलावा भी किसी विधानसभा चुनाव में अभी अगर पार्टी विषम परिस्थिति में होती थी, तो अहमद पटेल ही एक ऐसे नेता थे, जिन पर सोनिया गांधी को पूरा भरोसा होता था कि वे इस संकट से पार्टी को उबार देंगे। उन्होंने अपनी रणनीतिक कौशल से कई बार अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस की सरकार बनवाई, मगर कभी मंत्री नहीं बने।
अहमद पटेल साल 2001 से 2017 तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे थे। 2018 में राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने के बाद अहमद पटेल को कोषाध्यक्ष बनाया था। वैसे 1996 से लेकर 2000 तक पटेल इसी पद पर थे। हालांकि, राहुल गांधी के नेतृत्व के दौरान भी अहमद पटेल आलाकमान और नेताओं के बीच में एक अहम कड़ी बने रहे। 10 साल के यूपीए सरकार में भले ही वह लो प्रोफाइल में रहे, मगर उन्होंने इस दौरान अहम भूमिका निभाई। साल 1985 में राजीव गांधी ने अहमद पटेल को ऑस्कर फर्नांडीस और अरुण सिंह के साथ अपना संसदीय सचिव बनाया था। उस समय इन तीनों को 'अमर-अकबर-एंथनी' गैंग कहा जाता था। पहली बार अहमद पटेल तभी चर्चा में आए थे।
25th November, 2020