यूरीड मीडिया- रविवार का दिन राजस्थान कांग्रेस के लिए संकट से भरा रहा। मामले की शुरुआत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा शनिवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस से ही हो गई थी जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। इसके बाद राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का अपने समर्थक विधायकों का दिल्ली जाना पार्टी के लिए और संकटकारी बन गया। पूरा दिन राज्य में इसे लेकर चर्चाओं और आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। जानिए पूरे दिन का घटनाक्रम 10 बिंदुओं में...
इस बात की चर्चा शनिवार की रात से ही थी कि राजस्थान कांग्रेस के विधायकों को दिल्ली में ठहराया गया है। रविवार की सुबह यह साफ हुआ कि सचिन पायलट अपने 20 से 25 समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में हैं। इसी के साथ ही पायलट और गहलोत के बीच अनबन की खबरें भी सामने आने लगीं।
चर्चा थी कि पायलट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि, कांग्रेस के किसी शीर्ष नेता से उनकी मुलाकात नहीं हुई। बीच में खबर आई कि राहुल गांधी से फोन पर उनकी बात हुई है लेकिन शाम तक यह साफ हो गया कि दोनों के बीच कोई सीधे बात नहीं हुई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने साफ तौर पर सार्वजनिक रूप से माना कि वह राजस्थान के हालात को लेकर कांग्रेस के लिए चिंतित हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'पार्टी के लिए चिंतित हूं। क्या हम तब जागेंगे जब सबकुछ हमारे हाथ से निकल चुका होगा?'
पायलट की राहुल गांधी से मुलाकात तो नहीं हुई लेकिन अपने पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया से वह मिले। जानकारी के मुताबिक दोनों के बीच हुई यह मुलाकात करीब 40 मिनट चली। इससे पहले सिंधिया ने ट्वीट कर यह भी कहा था कि कांग्रेस में योग्यता और काबिलियत के लिए कोई स्थान नहीं है।
कांग्रेस आलाकमान ने हालात देखते हुए पार्टी के महासचिव और राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज अविनाश पांडे को तुरंत जयपुर पहुंचने का निर्देश दिया। इसके साथ ही रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन को भी जयपुर पहुंचने को कहा गया है। इन्हें पार्टी विधायकों को समझाने का जिम्मा दिया गया है।
इस बीच कांग्रेस को थोड़ी राहत तब मिली जब दिल्ली गए विधायकों में से तीन वापस लौट आए। ये तीन विधायक थे रोहित बोहरा, दानिश अबरार और चेतन डूडी। पार्टी ने इन तीनों को लेकर प्रेस वार्ता भी की, जिसमें विधायकों ने कहा कि हम कांग्रेस के सिपाही हैं और अंतिम सांस तक पार्टी के साथ रहेंगे।
कांग्रेस ने सोमवार सुबह 10.30 बजे विधायक दल की बैठक बुलाने का एलान किया। हालांकि, सचिन पायलट ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। इससे पहले कांग्रेस के एक नेता ने कहा था कि पार्टी में कोई मतभेद या मनभेद नहीं है और पायलट इस बैठक में शामिल होंगे।
इस दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा। राज्य कैबिनेट में मंत्री हरीश चौधरी ने भी भाजपा पर सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'ऐसे समय में जब हम कोविड-19 से जंग लड़ रहे हैं, भाजपा सत्ता के लिए लड़ रही है। राजस्थान सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।'
मुख्यमंत्री गहलोत ने रविवार की रात विधायकों और मंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद दावा किया गया है कांग्रेस सरकार पर कोई संकट नहीं है। एक विधायक ने तो यह दावा तक किया कि भाजपा कांग्रेस के जितने विधायक ले जाएगी कांग्रेस उससे ज्यादा विधायक भाजपा से ले आएगी।
राज्य के राजनीतिक संकट और सरकार गिराने की कोशिशों के आरोप पर भाजपा ने कहा कि यह कांग्रेस की अदरूनी कलह का परिणाम है। भाजपा ने ऐसी किसी मंशा से इनकार करते हुए गहलोत को चुनौती दे डाली कि या तो वह अपने आरोप सिद्ध करें या राजनीति छोड़ दें।
इस बात की चर्चा शनिवार की रात से ही थी कि राजस्थान कांग्रेस के विधायकों को दिल्ली में ठहराया गया है। रविवार की सुबह यह साफ हुआ कि सचिन पायलट अपने 20 से 25 समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में हैं। इसी के साथ ही पायलट और गहलोत के बीच अनबन की खबरें भी सामने आने लगीं।
चर्चा थी कि पायलट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि, कांग्रेस के किसी शीर्ष नेता से उनकी मुलाकात नहीं हुई। बीच में खबर आई कि राहुल गांधी से फोन पर उनकी बात हुई है लेकिन शाम तक यह साफ हो गया कि दोनों के बीच कोई सीधे बात नहीं हुई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने साफ तौर पर सार्वजनिक रूप से माना कि वह राजस्थान के हालात को लेकर कांग्रेस के लिए चिंतित हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'पार्टी के लिए चिंतित हूं। क्या हम तब जागेंगे जब सबकुछ हमारे हाथ से निकल चुका होगा?'
पायलट की राहुल गांधी से मुलाकात तो नहीं हुई लेकिन अपने पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया से वह मिले। जानकारी के मुताबिक दोनों के बीच हुई यह मुलाकात करीब 40 मिनट चली। इससे पहले सिंधिया ने ट्वीट कर यह भी कहा था कि कांग्रेस में योग्यता और काबिलियत के लिए कोई स्थान नहीं है।
कांग्रेस आलाकमान ने हालात देखते हुए पार्टी के महासचिव और राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज अविनाश पांडे को तुरंत जयपुर पहुंचने का निर्देश दिया। इसके साथ ही रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन को भी जयपुर पहुंचने को कहा गया है। इन्हें पार्टी विधायकों को समझाने का जिम्मा दिया गया है।
इस बीच कांग्रेस को थोड़ी राहत तब मिली जब दिल्ली गए विधायकों में से तीन वापस लौट आए। ये तीन विधायक थे रोहित बोहरा, दानिश अबरार और चेतन डूडी। पार्टी ने इन तीनों को लेकर प्रेस वार्ता भी की, जिसमें विधायकों ने कहा कि हम कांग्रेस के सिपाही हैं और अंतिम सांस तक पार्टी के साथ रहेंगे।
कांग्रेस ने सोमवार सुबह 10.30 बजे विधायक दल की बैठक बुलाने का एलान किया। हालांकि, सचिन पायलट ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। इससे पहले कांग्रेस के एक नेता ने कहा था कि पार्टी में कोई मतभेद या मनभेद नहीं है और पायलट इस बैठक में शामिल होंगे।
इस दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा। राज्य कैबिनेट में मंत्री हरीश चौधरी ने भी भाजपा पर सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'ऐसे समय में जब हम कोविड-19 से जंग लड़ रहे हैं, भाजपा सत्ता के लिए लड़ रही है। राजस्थान सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।'
मुख्यमंत्री गहलोत ने रविवार की रात विधायकों और मंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद दावा किया गया है कांग्रेस सरकार पर कोई संकट नहीं है। एक विधायक ने तो यह दावा तक किया कि भाजपा कांग्रेस के जितने विधायक ले जाएगी कांग्रेस उससे ज्यादा विधायक भाजपा से ले आएगी।
राज्य के राजनीतिक संकट और सरकार गिराने की कोशिशों के आरोप पर भाजपा ने कहा कि यह कांग्रेस की अदरूनी कलह का परिणाम है। भाजपा ने ऐसी किसी मंशा से इनकार करते हुए गहलोत को चुनौती दे डाली कि या तो वह अपने आरोप सिद्ध करें या राजनीति छोड़ दें।
13th July, 2020