यूरीड मीडिया-सलमान खुर्शीद घोटाले में शामिल अपनी पत्नी लुईस खुर्शीद को बचाने के लिए बयानबाजी पर उतरे है। सलमान को काँग्रेस में कमियाँ उस समय दिखाई दे रही हैं जब भ्रष्टाचार के मामले में न्यायालय ने उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद को जमानत देने से मना कर दिया। सलमान एक ऐसे बड़े परिवार से जुड़े हैं जिसका इतिहास रहा है। इनकी पत्नी ने विकलांगों का पैसा खाकर बहुत ही शर्मनाक कार्य किया है। सलमान खुर्शीद पढ़े लिखे योग्य, उच्चतम न्यायालय के वकील हैं। उनकी पत्नी एक योग्य, तेज़ तर्रार, उच्च कोटि की शिक्षित महिला है ऐसे में विकलांगो का पैसा खाना और भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हो जाता है। खुर्शीद आज जिस भाषा का प्रयोग कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर कर रहे है यह उनकी मजबूरी की भाषा है कांग्रेस प्रेम नहीं। बड़े नेता का दम्भ भरने वाले सलमान खुर्शीद को नेहरू गाँधी परिवार ने बहुत कुछ दिया। सांसद बनाया, मंत्री बनाया, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौपी। पत्नी को विधायक बनाया इतने सब पदों के बाद भ्रष्टाचार में जुड़े सलमान एक विधानसभा क्षेत्र भी जीत के लिए नहीं बना सके। अब जब कांग्रेस कमजोर हो रही है तो विलाप कर रहे है सलमान जैसे नेताओं ने ही सफ़ेद खद्दर पहन कर काली कमाई की और कांग्रेस की लुटिया डुबो दिया।
जानिये दिव्यांग घोटाला प्रकरण
जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट फर्रुखाबाद को भारत सरकार के सामजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय से 3 मार्च 2010 को 71.50 लाख रुपये की अनुदान राशि प्रेषित की गई थी। इस धनराशि में से पांच लाख रुपये कासगंज जिले के लिए निर्धारित किए गए थे। इस धनराशि का उपयोग करके तीन माह के भीतर उपभोग प्रमाणपत्र एवं वितरित दिव्यांग उपकरण का 10 प्रतिशत से सत्यापन कराकर उनके प्रति हस्ताक्षर सहित भारत सरकार को भेजना था। 3 जून 2010 को 25 लाभार्थियों की सूची भेज दी गई थी।
इस पर बीडीओ पटियाली के सत्यापनकर्ता के रूप में मुख्य चिकित्साधिकारी ने प्रति हस्ताक्षर किए। उपकरण वितरण के लिए 3 मई 2010 को पटियाली में कैंप दर्शाया गया। मामले की जांच में हस्ताक्षर फर्जी पाए गए जबकि कैंप लगाए जाने के कोई साक्ष्य नहीं मिले। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की ओर से ट्रस्ट के प्रतिनिधि प्रत्यूश शुक्ल व एक अज्ञात के खिलाफ पटियाली कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया। इस मामले की विवेचना में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद व अतहर फारुखी के नाम सामने आए।
इसके बाद दोनों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका डाली। न्यायालय ने दोनों की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में जिला
जानिये दिव्यांग घोटाला प्रकरण
जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट फर्रुखाबाद को भारत सरकार के सामजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय से 3 मार्च 2010 को 71.50 लाख रुपये की अनुदान राशि प्रेषित की गई थी। इस धनराशि में से पांच लाख रुपये कासगंज जिले के लिए निर्धारित किए गए थे। इस धनराशि का उपयोग करके तीन माह के भीतर उपभोग प्रमाणपत्र एवं वितरित दिव्यांग उपकरण का 10 प्रतिशत से सत्यापन कराकर उनके प्रति हस्ताक्षर सहित भारत सरकार को भेजना था। 3 जून 2010 को 25 लाभार्थियों की सूची भेज दी गई थी।
इस पर बीडीओ पटियाली के सत्यापनकर्ता के रूप में मुख्य चिकित्साधिकारी ने प्रति हस्ताक्षर किए। उपकरण वितरण के लिए 3 मई 2010 को पटियाली में कैंप दर्शाया गया। मामले की जांच में हस्ताक्षर फर्जी पाए गए जबकि कैंप लगाए जाने के कोई साक्ष्य नहीं मिले। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की ओर से ट्रस्ट के प्रतिनिधि प्रत्यूश शुक्ल व एक अज्ञात के खिलाफ पटियाली कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया। इस मामले की विवेचना में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद व अतहर फारुखी के नाम सामने आए।
इसके बाद दोनों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका डाली। न्यायालय ने दोनों की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में जिला
9th October, 2019