लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज। उत्तर प्रदेश में मतदाताओं को प्रोडक्ट समझकर और एजेंसियों की तरह राजनीति करने वाले दल हासियों पर चले गये है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से जाति, धर्म से ऊपर उठकर गरीबों के भले के लिए जमीनी सियासत की है उससे उनकों अप्रत्याशित लाभ मिला है। सपा, बसपा, गठबंधन करके अपने समर्थक मतदाताओं का प्रोडेक्ट समझ रहे थे उनकी राजनीति हासियें पर चली गयी है। बसपा नेता अपने दलित मतदाताओं को जेब में रखकर प्रोडेक्ट की तरह चुनाव में बेचती रही है। जब भी चुनाव आते थे मायावती दलित वोट बैंक के नाम पर प्रत्याशियों को टिकट बेचती थी ऐसा आरोप बसपा के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी, स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे कई नेता लगा चुके है। सपा नेता अखिलेश यादव ने भी मायावती की तरह अपने समर्थक मतदाताओं को प्रोडेक्ट समझ लिया था और दोनों मिलकर अपने-अपने समर्थकों को जोड़कर एक महाप्रोडक्ट बनाने की रणनीति बनायी थी उसे मतदाता रूपी उपभोक्ताओं ने नकार दिया। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का सबका साथ सबका विकास अभियान सपा, बसपा के प्रोडेक्ट बेचों राजनीति पर सफल रहा। इसी तरह कांग्रेस पार्टी एजिंयों की तर्ज पर राजनीति कर रही थी उसे भी अमेठी हार से बड़ा सबक मिला है। राहुल गांधी और प्रियंका अमेठी संसदीय क्षेत्र में एंजियों की तरह वेतन भोगी कर्मचारियों के माध्यम से राजनीति कर रहे थे। उसे स्मृति ईरानी ने समाप्त कर दिया। लगातार अमेठी संसदीय क्षेत्र में जमीनी कार्य और गरीबों को मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाकर जातिधर्म की राजनीति और एंजियों की सियासत को समाप्त कर दिया। नेहरू गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले अमेठी में राहुल को करारी शिकस्त दी।
24th May, 2019