केंद्र की मोदी सरकार पेंशनधारकों को बड़ी खुशखबरी दे सकती है। मोदी सरकार जल्द ही एम्प्लॉई पेंशन स्कीम के तहत मिलने वाली न्यूनतम राशि को बढ़ाकर दोगुना कर सकती है। EPFO के तहत ईपीएस सब्सक्राइबर्स के लिए मासिक पेंशन दोगुना करके 2 हजार रुपए की जा सकती है।
सरकार के इस फैसले से करीब 40 लाख सब्सक्राइबर्स को फायदा होगा लेकिन सरकार पर सालाना 3000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ जाएगा। इस पर अंतिम फैसला 2019 में होने वाले चुनाव से पहले लिया जा सकता है।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, क्रेंद सरकार पेंशन को दोगुना करने की योजना बना रही है। इससे पहले कैबिनेट ने साल 2014 में एक साल के लिए 1,000 रुपए मासिक की न्यूनतम पेंशन को मंजूरी दी थी और साल 2015 में इसे अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया था।
न्यूनतम पेंशन के लिए सरकार सालाना 813 करोड़ रुपए का योगदान देती है। अह अगर इसका फायदा अभी 2 हजार रुपए मासिक से कम पेंशन पाने वाले सभी लोगों को दिया गया तो सरकार का बोझ बढ़कर दोगुने से अधिक हो सकता है।
मंत्रालय ने ईपीएफओ से इस योजना के वित्तीय पहलुओं पर काम करने के लिए कहा है। साथ ही मंत्रालय ने EPFO से यह भी पूछा है कि अगर एम्प्लॉई पेंशन स्कीम (EPS), 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन को 1 हजार से बढ़ाकर 2,000 रुपए मासिक किया जाता है तो ऐसे सब्सक्राइबर्स की संख्या कितनी होगी।
EPF-95 स्कीम के तहत अभी ऐसे 60 लाख पेंशनर्स हैं, जिनमें से 40 लाख को 1,500 रुपए मंथली से कम पेंशन मिल रही है। वहीं 18 लाख को न्यूनतम 1,000 रुपए की पेंशन योजना का फायदा मिल रहा है। क्रेंद सरकार के पास 3 लाख करोड़ का पेंशन फंड है और वह ईपीएस के तहत सालाना 9,000 करोड़ रुपए का भुगतान करती है।
केंद्र सरकार पर ट्रेड यूनियंस और ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति की ओर से मंथली पेंशन को बढ़ाकर 3,000-7,500 रुपए करने का प्रेशर है।
बीते दिनों संसदीय समिति ने भी सरकार से EPS-95 स्कीम की समीक्षा करने को कहा था। समिति का कहना था कि केंद्र को 1,000 रुपए की न्यूनतम पेंशन पर विचार करना चाहिए।
वहीं श्रम पर संसद की स्थाई समिति की 34वीं रिपोर्ट सदन में पेश की गई थी, जिसमें कहा गया था कि 1000 रुपए की पेंशन बहुत कम है और इससे पेंशनर्स की हर महीने की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं होती हैं।