यूरिड मीडिया डेस्क
-माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं कार्तिकेय। कार्तिकेय भगवान गणेश से उम्र में बड़े हैं। लेकिन, कार्तिकेय को मिले एक श्राप के कारण वह हमेशा बाल्य रूप में रहते हैं।
वह ऐसे क्यों रहते हैं इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है। हुआ यूं था कि एक बार शंकर भगवान ने पार्वती के साथ चौसर खेलने के लिए बुलाया। खेल में भगवान शंकर अपना सब कुछ हार गए। हारने के बाद शिव पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए।
कार्तिकेय जी को जब सारी बात पता चली, तो वह माता पार्वती से समस्त वस्तुएं वापस लेने आए। इस बार खेल में पार्वती हार गईं तथा कार्तिकेय शंकर जी का सारा सामान लेकर वापस चले गए। अब इधर पार्वती भी चिंतित हो गईं कि सारा सामान भी गया तथा पति भी दूर हो गए।
पार्वती जी ने अपनी व्यथा अपने प्रिय पुत्र गणेश को बताई तो गणेश जी स्वयं खेल खेलने शंकर भगवान के पास पहुंचे। गणेश जी जीत गए तथा लौटकर अपनी जीत का समाचार माता को सुनाया। इस पर पार्वती बोलीं कि उन्हें अपने पिता को साथ लेकर आना चाहिए था। गणेश फिर भोलेनाथ की खोज करने निकल पड़े। भोलेनाथ से उनकी भेंट हरिद्वार में हुई।
उस समय भोलेनाथ भगवान विष्णु व कार्तिकेय के साथ भ्रमण कर रहे थे। पार्वती से नाराज़ भोलेनाथ ने लौटने से मना कर दिया। भोलेनाथ के भक्त रावण ने गणेश के वाहन मूषक को बिल्ली का रूप धारण करके डरा दिया। मूषक गणेश जी को छोड़कर भाग गए।
इधर भगवान विष्णु ने भोलेनाथ की इच्छा से पासा रूप धारण कर लिया। गणेश जी ने माता के उदास होने की बात भोलेनाथ को कह सुनाई। इस पर भोलेनाथ बोले कि हमने नया पासा बनवाया है, अगर तुम्हारी माता पुन: खेल खेलने को सहमत हों, तो मैं वापस चल सकता हूं।
गणेश जी के आश्वासन पर भोलेनाथ वापस पार्वती के पास पहुंचे तथा खेल खेलने को कहा। इस पर पार्वती हंस पड़ी व बोलीं अभी पास क्या चीज है, जिससे खेल खेला जाए। यह सुनकर भोलेनाथ चुप हो गए। इस पर नारद ने अपनी वीणा आदि सामग्री उन्हें दी। इस खेल में भोलेनाथ हर बार जीतने लगे।
एक दो पासे फेंकने के बाद गणेश जी समझ गए तथा उन्होंने भगवान विष्णु के पासा रूप धारण करने का रहस्य माता पार्वती को बता दिया। सारी बात सुनकर पार्वती जी को क्रोध आ गया। रावण ने माता को समझाने का प्रयास किया, पर उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तथा क्रोधवश उन्होंने भोलेनाथ को शाप दे दिया कि गंगा की धारा का बोझ उनके सिर पर रहेगा।
नारद को कभी एक स्थान पर न टिकने का अभिशाप मिला। भगवान विष्णु को शाप दिया कि यही रावण तुम्हारा शत्रु होगा तथा रावण को शाप दिया कि विष्णु ही तुम्हारा विनाश करेंगे। कार्तिकेय को भी माता पार्वती ने कभी जवान न होने का श्राप दे दिया।