यूरिड मीडिया डेस्क/नई दिल्ली
. भारत की संघीय सरकार ने वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी पर कहा है कि वो नागरिकों की फ्रीडम ऑफ च्वॉइस और राइट टू प्राइवेसी का फेवर करती है, और डाटा प्रोटेक्शन के लिए रेग्युलेटरी बॉडी बनाई जाएगी. सरकार ने ये बात वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी पर सुनवाई कर रही कॉन्स्टिट्यूशन बेंच के सामने कही. सरकार की दलीलें पेश करने के लिए एडिशनल अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए.वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी के मसले की सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अमित्व रॉय, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एमएम शांतानागौदर की बेंच कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह वाट्सएप यूजर्स के हितों को सुरक्षित करने की दिशा में जल्दी ठोस कदम उठाए.
सर्वोच्च अदालत की संवैधानिक पीठ ने यह आदेश कंपनी की प्राइवेसी पालिसी के विरोध में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. पांच सदस्यों की पीठ में जस्टिस दीपक मिश्र, एके सिकरी, अमिताव रॉय, एएम खानविलकर व एमएम शांतनागोदार शामिल हैं.
केंद्र की तरफ से पेश एएसजी (एडिशनल सालिसिटर जनरल) तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है. सरकार या तो सांविधिक नियम बनाएगी या फिर कुछ ऐसे कार्यकारी दिशानिर्देश जारी करेगी जिससे यूजर्स के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हो सके. उनका कहना था कि सरकार नागरिकों के डाटा की सुरक्षा को लेकर वचनबद्ध है, लेकिन पीठ ने सरकार से सवाल किया कि ऐसी कोई व्यवस्था होने तक यूजर्स के हितों की रक्षा कैसे की जा सकती है. जब तक कोई नियम सरकार बनाएगी तब तक कंपनी मनमानी करने के लिए स्वतंत्र है और ऐसी स्थिति में अदालत के लिए क्या करना बाकी रहेगा, क्योंकि कंपनी याचिका की प्रासंगिकता पर ही सवाल खड़े कर रही है.
मेहता ने कहा कि अदालत के आदेश को मानना वाट्सएप के लिए बाध्यता है. गौरतलब है कि प्राइवेसी पालिसी 2016 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. कंपनी ने सुनवाई के दौरान याचिका की प्रासंगिकता को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए थे.
17th May, 2017