युरिड मीडिया डेस्क
। आत्महत्या अर्थात स्वयं की हत्या करना है। जीवन इतना प्यारा होता है कि इसे समाप्त कोई नहीं करना चाहता। ये कृत्य कोई ऐसे ही नहीं करता है। इसके पीछे दर्दनाक दास्तानों की श्रंखला होती है। उम्मीद में जीवन है और निराशा में मृत्यु। जब हमारे समक्ष जीवन जीने की कोई उम्मीद नहीं बचती तो हम मौत को गले लगाने को आतुर हो उठते है। आखिर आत्महत्या करने लोगों की पहचान कैसे की जाये ?
आज इसी पर चर्चा करते है कि हाथ में वो कौन से ऐसे लक्षण होते है जिनको देखकर पता लगाया जा सकता है उक्त स्त्री-पुरूष आत्महत्या कर सकते है।
आत्महत्या करने की प्रवृत्ति जिन हाथों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति होती है वे प्रायः लम्बे होते है। उन हाथों में मस्तिष्क रेखा ढलवा होती है तथा चन्द्र पर्वत क्षेत्र विशेषतः अपने मूल स्थान पर उन्नत व विकसित होते है। वहीं मस्तिष्क रेखा रेखा भी जीवन रेखा के साथ जुड़ी होती है, जिसके कारण व्यक्ति की संवेदशीलता में और अधिक वृद्धि होती है। ऐसे में व्यक्ति आत्महत्या करने पर उतारू हो सकता है, लेकिन अत्यधिक संवेदशीलता और कल्पनाशीलता के कारण किसी कष्ट, दुःख या कलंक का प्रभाव उस पर हजारों गुना अधिक पड़ेगा। तब शायद वह आत्महत्या करके अपने को शहीद बनाना चाहता है।
जीवन जीने के योग्य नहीं उन्नत शनि पर्वत क्षेत्र भी इसी प्रकार के संकेत देता है कि व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है। शनि पर्वत के उन्न्त होने पर भी व्यक्ति संवेदशील होता है और मानसिक स्थिति से तंग आकर यह निश्चय कर लेता है कि जीवन जीने के योग्य नहीं है। ऐसे में मामूली सी उकसाहट अथवा निराशा के कारण मनुष्य आत्महत्या कर लेता है।
ढलवां मस्तिष्क रेखा होने पर भी किसी नुकीले या अधिक नुकीले हाथ में ढलवां मस्तिष्क रेखा होने पर भी व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है, लेकिन ऐसा व्यक्ति अपने स्वभाव के अनुरूप क्षणिक आवेश में आकर आत्महत्या करता है। कोई गहरा आघात अथवा मुसीबत ऐसे व्यक्ति को उत्तेजित करने के लिए काफी होती है। ऐसा जातक आत्महत्या करने से पहले कुछ भी सोचता नहीं है।
मस्तिष्क रेखा के अस्वाभाविक रूप से झुके हुये न होने पर भी व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है। ऐसे मनुष्य के हाथ में मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के साथ गहरी जुड़ी होनी चाहिए। गुरू पर्वत क्षेत्र दबा हुआ तथा शनि पर्वत क्षेत्र पूर्णतः उन्न्त होना चाहिए। इस प्रकार के स्त्री-पुरूषों का जीवन संघर्ष में निराशावदी एंव निरूउत्साहित हो जाता है और उनकी सहनशक्ति जवाब दे जाती है और तब वह आत्महत्या जैसे से कठोर निर्णय लेते है। आशा की कोई भी किरण नहीं दिखाई देती किन्तु वह ऐसा सहसा नहीं करता बल्कि परिस्थितियों पर पूर्ण रूप से विचार करने के बाद जब उसे आशा की कोई भी किरण नहीं दिखाई देती है तो वह अपने जीवन को आत्महत्या करके नष्ट करने की कोशिश करता है।
2nd May, 2017