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मुलायम को 'राम-गोपाल' आइना

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मुलायम को 'राम-गोपाल' आइना

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पढ़बे-लिखले होई खराब-- भारतीय समाज के ग्रामीण इलाकों में यह कहावत रही है कि ""पढबे-लिखले होईब खराब-खेती कइले घर आई अनाज""। दशकों पहले की इस कहावत को आज बढ़ते शिक्षित समाज के लिए भले ही अपरिहार्य हो परन्तु देश की 75 प्रतिशत शिक्षित युवा आबादी पर यह आज भी फिट बैठती है। पीएचडी, इंजीनियरिंग आैर ग्रेजुएशन किया युवा चपरासी के लिए आवेदन करने के बाद भी बेरोजगार ही घूमता रहता है। घटती खेती का क्षेत्रफल अब आम परिवारों के जीवन यापन के लिए समुचित नही रह गया है। पढ़ा-लिखा युवा खेती कार्य न कर शहर में मजदूरी करने को विवश है। यहां तक कि एमबीए एवं इंजीनियरिंयग की लाखो रूपये फीस देने के बाद भी 7-8 हजार रूपये मासिक की नौकरी से समय गुजारने को बाध्य होना पड़ रहा है।..आगे क्लिक करे..