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देश को भरोसा नही दिला पाये मोदी

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देश को भरोसा नही दिला पाये मोदी

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कहावत है - "" करैला आैर नीम चढ़ा "" एक तो मोदी के हवा - हवाई दावे आैर आश्वासन। उस पर उनके एकमात्र सिपहसालार आैर विश्वस्त भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कार्यकर्ताओँ के प्रति उदासीन रवैया। भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद से कार्यकर्ता की स्थिति अमित शाह के गुलामों जैसी हो गयी है। सांसदों आैर विधायकों तक को अमित शाह से मिलने का समय नही मिलता है आैर यदा-कदा मेहरबानी बरस गयी तो ऐसे जैसे कि कड़वी गोली खा ली हो। ढाई बरस की सरकार में भाजपा कार्यकर्ताओं को विभिन्न पदों पर समायोजित करने की अभी तक कार्रवाई ही नही की गयी। पहले राज्य मुख्यालयों से सूची अवश्य मंगाई गयी परन्तु वह दिल्ली कार्यालय में जला दी गयी। अभी भी तमाम महत्वपूर्ण पदों पर कांग्रेस तथा उसके सहयोगी दलों के ही नेता बैठे हुए है। अन्य सरकारें यह कार्य प्राथमिकता पर करती थी आैर कार्यकर्ताओं की संगठन के प्रति संलग्नता के लिए अन्य उपाय भी किये जाते थे परन्तु अब निराश भाजपा कार्यकर्ता कहने लगे है कि सरकार आैर संगठन में मोदी-अमित के अलावा किसी राजनीतिक कार्यकर्ता की नही बल्कि पूंजीपतियों की जरूरत है। राज्यों की कमान कुछ कठपुतली नेताओँ को सौंपी जा रही है। भाजपा नेतृत्व को कार्यकर्ताओं की नाराजगी की जानकारी भी है परन्तु उन्हें मनाने या समझाने की जुर्रत ही नही समझी गयी। इसके विपरीत दूसरे दलों के नेताओँ को शामिल कर पार्टी के पुराने एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओँ की उपेक्षा की जा रही है।