यूरिड मीडिया ब्यूरो
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अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित बरमूडा ट्राएंगल कितना रहस्यमयी है, यह हम सभी जानते हैं। इस त्रिकोण की गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा सका है। इस इलाके में आज तक अनगिनत समुद्री और हवाई जहाज आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गए हैं और लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। कुछ लोग इसे किसी परालौकिक ताकत की करामात मानते हैं, तो कुछ को यह सामान्य घटनाक्रम लग रहा है। यह विषय कितना रोचक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी हैं। यह भुतहा त्रिकोण बरमूडा, मयामी, फ्लोरिडा और सेन जुआनस से मिलकर बनता है। बहरहाल, तमाम शोध और जाँच-पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुँचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया,उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया,दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता ..ये प्रश्न अपूर्ण है।
वेदों में मिले सुराग के अनुसार -
- अगर हम वेदों पर नजर डालें तो इस रहस्य से जुड़े कुछ सुराग मिलते हैं जो बताते हैं कि आखिर कहां गायब होते हैं ये जहाज चुंबक की तरह खींच लेता है। अभी तक जितना सुनने में आया है कि बरमूडा ट्राएंगल के अंदर एक पिरामिड छुपा है,
- जो चुम्बककी तरह हर चीज़ को खींचता है। लगातार जहाजों के गायब होने के चलते तकरीबन 500 साल बाद इसे 'डेंजर रीजन' का नाम दिया गया।
- ऋग्वेद में लिखा है कि जब धरती ने मंगल को जन्म दिया, तब मंगल को उसकी मां से दूर कर दिया गया तब भूमि ने घायल होने के कारण अपना संतुलन खो दिया।
- उस समय धरती को संभालने के लिए दैवीय वैद्य अश्विनी कुमार ने त्रिकोणीय आकार का लोहा उसके चोटहिल स्थान में लगा दिया।
- भूमि अपनी उसी अवस्था में रुक गई। यही कारण है कि पृथ्वी की धुरी एक विशेष कोण पर झुकी हुई है, धरती का यही स्थान बरमूडा ट्रायंगल है।
- सालों तक धरती में जमा होने के कारण त्रिकोणीय लोहा प्राकृतिक चुम्बक बन गया और इस तरह की घटनाएं होने लगीं।
किए गए कई शोध -
- ऑस्ट्रेलिया में किए गए शोध से पता चला है कि इस समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से में मिथेन हाईड्राइड की बहुलता है।
- इससे उठने वाले बुलबुले भी किसी जहाज के अचानक डूबने का कारण बन सकते हैं।
- इस सिलसिले में अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग (यूएसजीएस) ने एक श्वेतपत्र भी जारी किया था।
- यूएसजीएस की वेबसाइट पर यह रहस्योद्घाटन किया गया है कि बीते 15000 सालों में समुद्री जल में से गैस के बुलबुले निकलने के प्रमाण नहीं मिले हैं।
- इसके अलावा अत्यधिक चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाँ काम करना बंद कर देते हैं। इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
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-- ओ.पी.जैशा के आरोपों को नकारते हुए एएफ़आई ने पेश की अपनी सफाई
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अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित बरमूडा ट्राएंगल कितना रहस्यमयी है, यह हम सभी जानते हैं। इस त्रिकोण की गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा सका है। इस इलाके में आज तक अनगिनत समुद्री और हवाई जहाज आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गए हैं और लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। कुछ लोग इसे किसी परालौकिक ताकत की करामात मानते हैं, तो कुछ को यह सामान्य घटनाक्रम लग रहा है। यह विषय कितना रोचक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी हैं। यह भुतहा त्रिकोण बरमूडा, मयामी, फ्लोरिडा और सेन जुआनस से मिलकर बनता है। बहरहाल, तमाम शोध और जाँच-पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुँचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया,उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया,दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता ..ये प्रश्न अपूर्ण है।
- अगर हम वेदों पर नजर डालें तो इस रहस्य से जुड़े कुछ सुराग मिलते हैं जो बताते हैं कि आखिर कहां गायब होते हैं ये जहाज चुंबक की तरह खींच लेता है। अभी तक जितना सुनने में आया है कि बरमूडा ट्राएंगल के अंदर एक पिरामिड छुपा है,
- जो चुम्बककी तरह हर चीज़ को खींचता है। लगातार जहाजों के गायब होने के चलते तकरीबन 500 साल बाद इसे 'डेंजर रीजन' का नाम दिया गया।
- ऋग्वेद में लिखा है कि जब धरती ने मंगल को जन्म दिया, तब मंगल को उसकी मां से दूर कर दिया गया तब भूमि ने घायल होने के कारण अपना संतुलन खो दिया।
- उस समय धरती को संभालने के लिए दैवीय वैद्य अश्विनी कुमार ने त्रिकोणीय आकार का लोहा उसके चोटहिल स्थान में लगा दिया।
- भूमि अपनी उसी अवस्था में रुक गई। यही कारण है कि पृथ्वी की धुरी एक विशेष कोण पर झुकी हुई है, धरती का यही स्थान बरमूडा ट्रायंगल है।
- सालों तक धरती में जमा होने के कारण त्रिकोणीय लोहा प्राकृतिक चुम्बक बन गया और इस तरह की घटनाएं होने लगीं।
- ऑस्ट्रेलिया में किए गए शोध से पता चला है कि इस समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से में मिथेन हाईड्राइड की बहुलता है।
- इससे उठने वाले बुलबुले भी किसी जहाज के अचानक डूबने का कारण बन सकते हैं।
- इस सिलसिले में अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग (यूएसजीएस) ने एक श्वेतपत्र भी जारी किया था।
- यूएसजीएस की वेबसाइट पर यह रहस्योद्घाटन किया गया है कि बीते 15000 सालों में समुद्री जल में से गैस के बुलबुले निकलने के प्रमाण नहीं मिले हैं।
- इसके अलावा अत्यधिक चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाँ काम करना बंद कर देते हैं। इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
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-- ओ.पी.जैशा के आरोपों को नकारते हुए एएफ़आई ने पेश की अपनी सफाई
23rd August, 2016