
यूरिड मीडिया ब्यूरो
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राजधानी लखनऊ के राज्य संग्रहालय में रखी करीबन 3000 वर्ष पुरानी ममी अब खराब होने की कगार पर आ गई है । दरअसल ममी को नमी से बचने के लिए इसके नीचे सिलिका जेल रखते है । लेकिन इसे हर तीन महीने में बदलना जरूरी होता है। लेकिन संग्रहालय प्रसाशन की लापरवाही के चलते जून 2015 से ममी को इंजिप्शियन गैलरी से सिफ्ट करने के बाद सिलिका जेल को नही बदला गया। जिससे उसमे मनी का ख़तरा मंडरा रहा है।
ममी का इतिहास
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- संग्रहालय में रखी ममी 13 साल की बच्ची की है।
- इसे साल 1952 में लंदन में रह रहे एक व्यक्ति से खरीदा गया था।
- वही इसकी सिफ्टिंग के लिए विशेषज्ञो की टीम बुलनी थी लेकिन पिछले दीनों संग्रहालय ने बिना विशेषज्ञों को बुलाये बिना ही इंजिप्शियन गैलरी में ममी की सिफ्टिंग करदी ।
- छह महीने बाद इसे कांच के के बॉक्स में रखा गया लेकिन इसके नीचे सिलिका जेल को नही बदला गया।
- इस लापरवाही को राष्ट्रीय सांस्क्रतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला के महानिदेशक बीवी खरबड़े ने संज्ञान में लेकर बताया है कि नमी रोकने के लिए सिलिका जेल का प्रयोग किया जाता है , लेकिन संग्रहालय मे जिस शोकेश में ममी राखी है, उसमे तापमान को नियंत्रित करने के लिए का साधन नही है।
- जिससे नमी बॉक्स के भीतर जाएगी जो ममी के लिए नुकसानदेह है।
- यह भी बोला की जल्द ही ममी का जायजा लेंगे और कोलकाता संग्रहालय की तर्ज पर इसका संरक्षण करवाएंगे।
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राजधानी लखनऊ के राज्य संग्रहालय में रखी करीबन 3000 वर्ष पुरानी ममी अब खराब होने की कगार पर आ गई है । दरअसल ममी को नमी से बचने के लिए इसके नीचे सिलिका जेल रखते है । लेकिन इसे हर तीन महीने में बदलना जरूरी होता है। लेकिन संग्रहालय प्रसाशन की लापरवाही के चलते जून 2015 से ममी को इंजिप्शियन गैलरी से सिफ्ट करने के बाद सिलिका जेल को नही बदला गया। जिससे उसमे मनी का ख़तरा मंडरा रहा है।
ममी का इतिहास
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14th July, 2016