नहीं रहे वाजपेयी, तस्वीरों में देखें 'अटल' सफरनामा
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अटल बिहारी वाजपेयी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक थे। उनकी माता का नाम कृष्णा था। वैसे मूल तौर पर उनका संबंध उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बटेश्वर गांव से है लेकिन पिता मध्य प्रदेश में शिक्षक थे। इसलिए उनका जन्म वहीं हुआ।
एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर में हुई।
वाजपेयी ने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और पत्रकारिता में अपना करियर शुरु किया। उन्होंने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे अखबारों का संपादन किया। 1951 में वो भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे।
अटल बिहारी वाजपेयी यानि एक ऐसा नाम, जिसने भारतीय राजनीति को अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से इस तरह प्रभावित किया, जिसकी मिसाल नहीं मिलती। सही मायने में वे भारत के सबसे करिश्माई नेता और प्रधानमंत्री साबित हुए।
कांग्रेस के बाहर देश के सर्वाधिक लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहने वाले वाजपेयी को अक्सर भाजपा का उदारवादी चेहरा कहा जाता है।
अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण सुनने के लिए विशाल जनसैलाब उमड़ता था।
1999 की वाजपेयी की पाकिस्तान यात्रा की उनकी ही पार्टी के कट्टरवादी नेताओं ने आलोचना की थी, लेकिन वह बस पर सवार होकर किसी विजेता की तरह लाहौर पहुंचे। वाजपेयी की इस राजनयिक सफलता को भारत-पाक संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की संज्ञा देकर सराहा गया।
इंदिरा गांधी के खिलाफ जब विपक्ष एक हुआ और बाद में जब देश में मोरारजी देसाई की सरकार बनी तो अटल को विदेशमंत्री बनाया गया। उन्होंने राजनीतिक कुशलता की छाप छोड़ी। विदेश नीति को बुलंदियों पर पहुंचाया। बाद में 1980 में जनता पार्टी से नाराज होकर पार्टी का दामन छोड़ दिया। इसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में वह एक थे। उसी साल उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष की कमान सौंपी गयी। 1986 तक उन्होंने भाजपा अध्यक्ष पद संभाला।
वैश्विक चुनौतियों के बाद भी राजस्थान के पोखरण में 1998 में परमाणु परीक्षण किया इस परीक्षण के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन वह अपने इरादों पर अटल और दृढ़ रहे।
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