यूरीड मीडिया- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 29 दिसंबर 25 को उन्नाव दुष्कर्म मामले में बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें भाजपा के निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर उन्हें सशर्त जमानत दी गई थी। अब सेंगर जेल में ही रहेंगे, क्योंकि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के अलग मामले में उन्हें 10 साल की सजा भी है।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन जजों की वेकेशन बेंच ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर सुनवाई की। बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे। अदालत ने सेंगर को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है। साथ ही, मामले को जनवरी के आखिरी हफ्ते में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें सेंगर की सजा निलंबित करते हुए कहा गया था कि उन्होंने सात साल पांच महीने जेल में बिता लिए हैं। हाईकोर्ट ने यह भी माना था कि सेंगर को पीओसीएसओ एक्ट के तहत 'लोक सेवक' की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस व्याख्या पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि इससे कानूनी मुद्दे उठते हैं।
यह मामला 2017 का है, जब नाबालिग पीड़िता ने सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। 2019 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह देश के सबसे संवेदनशील मामलों में से एक रहा है, जिसमें पीड़िता और उसके परिवार पर कई हमले हुए।
पीड़िता और परिवार का प्रदर्शन, सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा
इससे पहले रविवार (28 दिसंबर) को पीड़िता और उसकी मां ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर सेंगर को मिली राहत के खिलाफ प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में लोग बैनर-पोस्टर लेकर पहुंचे। पीड़िता की मां ने कहा, "हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उम्मीद है कि वहां न्याय मिलेगा। हम पर केस वापस लेने का दबाव डाला जा रहा है, लेकिन हम बिना डरे लड़ाई लड़ेंगी।" पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि उन्हें ऐसी सुरक्षा दी जाए, जिससे वह निडर होकर अपनी कानूनी लड़ाई लड़ सकें। उन्होंने कहा कि गवाहों की सुरक्षा वापस ले ली गई है।
मामले में अधिवक्ता अंजलि पटेल और पूजा शिल्पकार की अलग याचिकाओं पर भी सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पीड़ित पक्ष के लिए राहत की तरह आया है, जबकि पूरे देश में इस मामले पर नजरें टिकी हैं। विस्तृत आदेश का इंतजार है।
29th December, 2025
