
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु से आरएसएस से जुड़े हुए विद्वान, विचारक और जमीनी स्तर पर संघर्ष करके अपनी पहचान बनाने वाले महाराष्ट्र के गवर्नर सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया है। इसके पीछे यह रणनीति थी कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन अपने राज्य के व्यक्ति का विरोध कैसे करेंगे। लेकिन विपक्ष ने भी नहले पर दहला मार दिया। मोदी सरकार को समर्थन दे रहे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के सामने भी एक नई चुनौती पेश कर दी है कि वह आंध्र प्रदेश के निवासी और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रह चुके जे. सुदर्शन रेड्डी जैसे विद्वान का विरोध कैसे करेंगे। क्योंकि वह भी दक्षिण भारत से हैं, और इस तरह पहली बार दक्षिण भारत के दो विद्वानों के बीच उपराष्ट्रपति पद की लड़ाई हो रही है।
जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी का करियर
• जस्टिस रेड्डी को 12 जनवरी 2007 को भारत के सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था.
• वह 8 जुलाई 2011 को इस पद से सेवानिवृत्त हुए.
• बी सुदर्शन रेड्डी को 5 दिसंबर 2005 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.
• रेड्डी का जन्म 1946 में भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के तत्कालीन इब्राहिमपटनम तालुका के अकुला मायलाराम गांव में एक कृषक परिवार में हुआ था.
• बी सुदर्शन रेड्डी ने हैदराबाद में शिक्षा प्राप्त की और 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की.
• बी सुदर्शन रेड्डी ने मार्च 2013 में पहले गोवा लोकायुक्त के रूप में पदभार ग्रहण किया और अक्टूबर 2013 में निजी कारणों से पद से इस्तीफा दे दिया.
8 जुलाई 1946 को जन्मे बी सुदर्शन रेड्डी गोवा के पहले लोकायुक्त रह चुके हैं. सुदर्शन रेड्डी का जन्म आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के अकुला मायलारम गांव में हुआ. बी सुदर्शन रेड्डी ने शुरुआती पढ़ाई के बाद हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी से 1971 में लॉ में ग्रेजुएशन की थी. 1993 में बी सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए और उस्मानिया यूनिवर्सिटी के लीगल एडवाइजर भी रहे हैं. बी सुदर्शन रेड्डी को 12 जनवरी 2007 को सुप्रीम कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था और वे 8 जुलाई 2011 को रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद मार्च 2013 में उन्होंने गोवा के पहले लोकायुक्त के रूप में कार्यभार संभाला. हालांकि अक्टूबर 2013 में उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफ़ा दे दिया था.
कौन हैं सी पी राधाकृष्णन?
चंद्रपुरम पोन्नुसामी (सी पी) राधाकृष्णन बीजेपी के पूर्व वरिष्ठ नेता हैं और लंबे समय तक संगठन में सक्रिय रहे हैं. वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और पार्टी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष पद पर भी कार्य कर चुके हैं.
सी पी राधाकृष्णन ने दक्षिण भारत में भाजपा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे तमिलनाडु के कोयंबटूर से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए थे.
उन्होंने यहां दो बार, 1998 और 1999 में जीत हासिल की. लेकिन उसके बाद, उन्हें 2004, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार कोयंबटूर से हार का सामना करना पड़ा.
फ़रवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया. झारखंड के राज्यपाल रहते हुए उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुदुच्चेरी के उप राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया था. इसके बाद जुलाई 2024 में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बने.
राधाकृष्णन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र आंदोलन से की थी.
2007 में, जब वे तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष थे, उन्होंने राज्य में 93 दिनों की 19,000 किलोमीटर लंबी 'रथ यात्रा' की थी. इस यात्रा में उन्होंने मुख्य रूप से नदी जोड़ो, आतंकवाद, समान नागरिक संहिता, अस्पृश्यता और नशे के दुष्परिणाम जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया.
आरएसएस से जुड़ाव और फिर सक्रिय राजनीति
महाराष्ट्र राजभवन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, 20 अक्तूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे सी पी राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री हासिल की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करके वे 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने.
1996 में उन्हें तमिलनाडु में बीजेपी का सचिव नियुक्त किया गया. इसके बाद वह कोयंबटूर से लोकसभा सांसद बने.
सांसद रहते हुए वे संसदीय स्थायी समिति (कपड़ा मंत्रालय) के अध्यक्ष रहे. इसके अलावा सी पी राधाकृष्णन स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष संसदीय समिति के सदस्य थे.
2004 में सी पी राधाकृष्णन ने संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया. वे ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे.
2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, जहाँ उन्होंने चार साल तक काम किया. उनके नेतृत्व में भारत से नारियल रेशा का निर्यात 2532 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया. 2020 से 2022 तक राधाकृष्णन बीजेपी के केरल प्रभारी थे.
19th August, 2025