
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर एटम बम फोड़ा है। पार्टी की तरफ से फेक वोटर्स की पहचान के लिए कराई गई जांच की डिटेल मीडिया के सामने रखी। उन्होंने कहा कि वोट संविधान की नींव है, लेकिन क्या सही लोगों को वोट देने का अधिकार हासिल है या फिर फर्जी मतदाताओं को लिस्ट में जोड़ा गया है ?
उन्होंने कहा कि हमारे देश का संविधान 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत पर आधारित है, जो लोकतंत्र की नींव है। यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक नागरिक की आवाज़ समान रूप से सुनी जाए। लेकिन हाल के वर्षों में, भारतीय चुनावों की प्रक्रिया और परिणामों पर कई सवाल उठे हैं। जनता के बीच संदेह बढ़ रहा है कि क्या यह सिद्धांत पूरी तरह से लागू हो रहा है? क्या सही लोगों को वोट देने का अवसर मिल रहा है? क्या मतदाता सूची में फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं ?
एंटी-इनकंबेंसी, यानी सत्ता विरोधी लहर, हर लोकतंत्र में एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। यह आमतौर पर सत्तारूढ़ दलों को प्रभावित करती है। लेकिन हाल के वर्षों में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर इसका असर कम दिखाई दिया, जो संदेह पैदा करता है। उदाहरण के लिए, हरियाणा और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में एग्ज़िट पोल और ओपिनियन पोल कुछ और संकेत देते हैं, लेकिन परिणाम पूरी तरह उलट आते हैं। हमारे आंतरिक सर्वेक्षण, जो काफी परिष्कृत हैं, भी इन परिणामों से मेल नहीं खाते। यह पैटर्न जनता और राजनीतिक दलों के बीच अविश्वास को बढ़ाता है। क्या यह संभव है कि मतदाता सूची या मतदान प्रक्रिया में कोई हेरफेर हो रहा हो ?
राहुल गांधी ने कहा कि कई राज्यों, विशेष रूप से महाराष्ट्र और हरियाणा, में मतदाता सूची में गंभीर खामियाँ देखी हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में पाँच महीनों में 1 करोड़ नए मतदाता जोड़े गए, जो पिछले पाँच वर्षों की तुलना में असामान्य रूप से अधिक है। इसके अलावा, मतदान के अंतिम घंटों में, यानी शाम 5 बजे के बाद, अचानक मतदान प्रतिशत में भारी उछाल देखा गया। यह तब हुआ जब पोलिंग बूथों पर कोई खास भीड़ नहीं थी। यह संदिग्ध है कि इतनी बड़ी संख्या में वोट कैसे दर्ज हुए। हमने यह भी पाया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाता सूची में भारी बदलाव हुए, जो सामान्य नहीं है।
चुनाव आयोग, जो लोकतंत्र का संरक्षक है, ने मशीन-रीडेबल मतदाता सूची देने से इनकार कर दिया है। यह सूची डिजिटल और विश्लेषण योग्य प्रारूप में होनी चाहिए ताकि पार्टियाँ इसे जाँच सकें। इसके बजाय, आयोग कागजी दस्तावेज़ देता है, जो ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) को सपोर्ट नहीं करते। इससे डेटा विश्लेषण लगभग असंभव हो जाता है। हमने यह भी पाया कि आयोग ने सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने की बात कही, जो संदिग्ध गतिविधियों को छिपाने का प्रयास हो सकता है। यह सब मिलकर एक सुनियोजित रणनीति का संकेत देता है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता को कम करना है।
महादेवपुरा विधानसभा: एक केस स्टडी
कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर हमने गहन जाँच की। यहाँ कुल 6.5 लाख मतदाता थे, जिनमें से लगभग 1 लाख वोट चोरी होने का अनुमान है। हमने निम्नलिखित अनियमितताएँ पाईं:
डुप्लीकेट वोटर: एक ही व्यक्ति का नाम कई बार सूची में दर्ज था। उदाहरण के लिए, गुरकीरत सिंह डैंग का नाम चार अलग-अलग बूथों में था।
फर्जी पते: कई मतदाताओं के पते गलत या अमान्य थे, जैसे “हाउस नंबर 0” या बेतुके नाम।
एक पते पर कई मतदाता: एक छोटे से घर में 50-60 मतदाता दर्ज थे, जो असंभव है।
अवैध फोटो: 4000 मतदाताओं की तस्वीरें या तो गायब थीं या इतनी छोटी थीं कि पहचान असंभव थी।
फॉर्म 6 का दुरुपयोग: नए मतदाताओं को जोड़ने के लिए फॉर्म 6 का उपयोग हुआ, लेकिन पुराने मतदाताओं को दोबारा जोड़ा गया।
एक चौंकाने वाला उदाहरण है 70 वर्षीय शकुन रानी का। उनका नाम दो बार मतदाता सूची में दर्ज है, दोनों बार फॉर्म 6 के ज़रिए। पहली बार 13 सितंबर 2023 को और दूसरी बार 31 अक्टूबर 2023 को। उनकी तस्वीर और विवरण एक ही हैं, लेकिन दो अलग-अलग बूथों में। वह दो बार वोट डाल सकती हैं या कोई और उनके नाम पर वोट डाल सकता है। ऐसी 33,692 घटनाएँ सिर्फ एक विधानसभा में पाई गईं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कोई भी मतदाता 18-25 वर्ष की आयु का नहीं था, जो यह दर्शाता है कि “नए मतदाता” के नाम पर पुराने नामों को दोहराया गया।
राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है। महादेवपुरा जैसे उदाहरण और पूरे देश में मिले पैटर्न यह साबित करते हैं कि मतदाता सूची में हेरफेर एक सुनियोजित अपराध है। हम चुनाव आयोग से मांग करते हैं:-
मशीन-रीडेबल मतदाता सूची उपलब्ध कराएँ।
सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करें और सार्वजनिक करें।
मतदाता सूची की जाँच के लिए स्वतंत्र ऑडिट की अनुमति दें। यह सबूत केवल आरोप नहीं, बल्कि भारतीय संविधान के खिलाफ एक संगठित अपराध का प्रमाण हैं। हम देशवासियों से अपील करते हैं कि वे इस मुद्दे पर जागरूक हों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज़ उठाएँ।
राहुल गांधी ने कहा कि वोटिंग सिस्टम में कई तरह की खामियां सामने आई हैं. किसी वोटर कार्ड में घर का पता ही नहीं, अगर है तो फर्जी पता लिखा गया है। उन्होंने कहा कि बहुत सारे पतों का वैरिफिकेशन नहीं हो सका है। कार्ड पर दर्ज पता पर जाने पर पता चला कि यहां इस नाम को कोई रहता ही नहीं है। राहुल ने कहा कि ऐसे 40 हजार वोटर हैं, जिनके पते में गड़बड़ी मिली है।
राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी लोकसभा में सिर्फ 25 सीटों की बढ़त से देश के प्रधानमंत्री हैं और बीजेपी ने जब एक सीट पर ही एक लाख से ज्यादा वोट चुराए हों तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है देशभर में क्या हुआ होगा। उन्होंने कहा कि ये डेटा चुनाव आयोग का है और वह भी इस क्राइम में बराबर का हिस्सेदार है. इसलिए हमारी अपील देश के युवाओं और मतदाताओं से है कि कैसे आपके साथ धोखा किया जा रहा है