
यूरीड मीडिया- देश के तीसरे सबसे बड़े राज्य, जहां चुनाव होने में पांच महीने बचे हैं, इस दौरान राजनीतिक बयानबाज़ी और घटनाक्रम दिल्ली से बिहार तक घट रहे हैं और लगातार तरह-तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। इसे लेकर हम कह सकते हैं कि बिहार की सियासी भूमि लाल बुझक्कड़ की बन गई है, जिसके पात्र दो चाचा, दो भतीजे, दो उपमुख्यमंत्री, मीडिया, दिल्ली और बिहार के राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं।
लालू के बेटे तेजस्वी, नीतीश कुमार को चाचा कहते हैं और उनके सम्मान में बोलते हैं। इसी तरह, नीतीश कुमार के बेटे निशांत, लालू को चाचा कहकर उनका गुणगान करते हैं। जेडीयू एवं बीजेपी गठबंधन की सरकार में भाजपा कोटे के दो उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा एवं सम्राट चौधरी कहते हैं कि जेडीयू के साथ मिलकर लड़ेंगे, लेकिन जीतने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश ही होंगे—इस पर वे चुप हो जाते हैं।
दिल्ली से लेकर पटना तक बहस चल रही है कि कौन किसके साथ रहेगा और गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार का नाम क्यों नहीं घोषित किया जा रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान से स्पष्ट हुआ कि बिहार में चुनाव के बाद मुख्यमंत्री तय होगा और यह निर्णय लिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने बिहार की रैली में मुख्यमंत्री को अपना लाड़ला बताया। लालू प्रसाद यादव लगातार नीतीश को आरजेडी के साथ आने की वकालत कर रहे हैं। निशांत अपने पिता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
चुनाव के कुछ माह पूर्व मंत्रिमंडल विस्तार में सभी सात मंत्री भाजपा के बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा से पथ निर्माण विभाग छीन लिया, जिसके पीछे यह कहा जा रहा है कि सिन्हा तेजस्वी के कार्यकाल की जांच कराना चाहते थे और उसका लाभ चुनाव में उठाते। तेजस्वी के पास उपमुख्यमंत्री के रूप में यह विभाग भी था।
इसी तरह, कांग्रेस ने भी बिहार का नया तेज़तर्रार प्रभारी बनाया है, जो भी निरंतर बिहार का दौरा कर रहे हैं। मोदी के हनुमान चिराग पासवान के बयान, समीकरण और सियासत अलग हैं। जीतनराम मांझी के बेटे से भी मंत्रिमंडल विस्तार में विभाग कम किए गए हैं, जिससे उनकी नाराजगी अलग है।
राजनीतिक विश्लेषक एवं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नया राजनीतिक दल बनाकर चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। उनके बयान भी अन्य दलों से अलग हैं। उनका मानना है कि इस बार जाति-धर्म से हटकर विकास पर वोट पड़ेगा। कुल मिलाकर, दिल्ली में सियासी हलचल ऐसी हो गई है कि गठबंधन को लेकर कौन किसके साथ होगा, यह कहना बड़ा मुश्किल है।
लालू के बेटे तेजस्वी, नीतीश कुमार को चाचा कहते हैं और उनके सम्मान में बोलते हैं। इसी तरह, नीतीश कुमार के बेटे निशांत, लालू को चाचा कहकर उनका गुणगान करते हैं। जेडीयू एवं बीजेपी गठबंधन की सरकार में भाजपा कोटे के दो उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा एवं सम्राट चौधरी कहते हैं कि जेडीयू के साथ मिलकर लड़ेंगे, लेकिन जीतने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश ही होंगे—इस पर वे चुप हो जाते हैं।
दिल्ली से लेकर पटना तक बहस चल रही है कि कौन किसके साथ रहेगा और गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार का नाम क्यों नहीं घोषित किया जा रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान से स्पष्ट हुआ कि बिहार में चुनाव के बाद मुख्यमंत्री तय होगा और यह निर्णय लिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने बिहार की रैली में मुख्यमंत्री को अपना लाड़ला बताया। लालू प्रसाद यादव लगातार नीतीश को आरजेडी के साथ आने की वकालत कर रहे हैं। निशांत अपने पिता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
चुनाव के कुछ माह पूर्व मंत्रिमंडल विस्तार में सभी सात मंत्री भाजपा के बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा से पथ निर्माण विभाग छीन लिया, जिसके पीछे यह कहा जा रहा है कि सिन्हा तेजस्वी के कार्यकाल की जांच कराना चाहते थे और उसका लाभ चुनाव में उठाते। तेजस्वी के पास उपमुख्यमंत्री के रूप में यह विभाग भी था।
इसी तरह, कांग्रेस ने भी बिहार का नया तेज़तर्रार प्रभारी बनाया है, जो भी निरंतर बिहार का दौरा कर रहे हैं। मोदी के हनुमान चिराग पासवान के बयान, समीकरण और सियासत अलग हैं। जीतनराम मांझी के बेटे से भी मंत्रिमंडल विस्तार में विभाग कम किए गए हैं, जिससे उनकी नाराजगी अलग है।
राजनीतिक विश्लेषक एवं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नया राजनीतिक दल बनाकर चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। उनके बयान भी अन्य दलों से अलग हैं। उनका मानना है कि इस बार जाति-धर्म से हटकर विकास पर वोट पड़ेगा। कुल मिलाकर, दिल्ली में सियासी हलचल ऐसी हो गई है कि गठबंधन को लेकर कौन किसके साथ होगा, यह कहना बड़ा मुश्किल है।
4th March, 2025