
भाजपा राजस्थान में विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व के आधार पर लड़ेगी। किसी एक नेता को ना तो मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करेगी और ना ही अप्रत्यक्ष रूप से किसी नेता को आगे किया जाएगा। मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव जीतने के बाद विधायक दल की बैठक में होगा। कमल के फूल को आगे रखकर भाजपा राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। टिकट का फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा।
प्रदेश की कोर कमेटी के सदस्यों से सभी दो सौ विधानसभा सीटों के लिए संभावित प्रत्याशियों के नामों पर फीडबैक लिया जाएगा, लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा। टिकट तय करने के पहले दौर में कोर कमेटी के सदस्यों से 65 सीटों के लिए संभावित प्रत्याशियों के नामों की सूची ले ली गई है। शेष 135 सीटों पर भी अगले दो से तीन दिन में सूची मांगी जाएगी। प्रत्याशियों की पहली सूची कभी भी जारी की जा सकती है। केंद्रीय नेतृत्व ने सूची तैयार कर ली है।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा और संभावित प्रत्याशियों के बारे में कोर कमेटी के सदस्यों से चर्चा करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष बुधवार शाम को जयपुर पहुंचे।
शाह और नड्डा ने प्रदेश नेतृत्व को साफ संकेत दिया कि कोई नेता खुद को आगे रखने की कोशिश नहीं करे। किसी एक नेता के होर्डिंग्स व पोस्टर नहीं लगाए जाएं। नेताओं को अपने समर्थकों पर भी लगाम लगाने निर्देश दिए गए हैं। नेताओं से कहा गया है कि प्रचार सामग्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमल के फूल का उपयोग होगा।
शाह और नड्डा ने कोर कमेटी के करीब दो घंटे तक बैठक की। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की शाह व नड्डा के साथ अकेले में मुलाकात होने की बात सामने आई है। सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं ने साफ किया कि किसी भी वर्तमान विधायक को सीट बदलने की अनुमति नहीं होगी। विधायक को उसी सीट से टिकट दिया जाएगा, जिसका वह अभी प्रतिनिधित्व कर रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में दस हजार से अधिक वोट से हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं देने का भी संदेश दिया गया है। कुछ मामलों में यदि यह गाइडलाइन बदली जाएगी तो उसका निर्णय केंद्रीय चुनाव समिति करेगी। प्रदेश में निकाली गई चार परिवर्तन संकल्प यात्राओं में भीड़ कम जुटने पर भी दोनों नेताओं ने नाराजगी जताई। हालांकि, तीन दिन पहले जयपुर में हुई पीएम मोदी की सभा में जुटी भीड़ पर संतोष भी जताया।
शाह और नड्डा ने प्रदेश के नेताओं से प्रचार अभियान आक्रामक रूप से चलाने की बात कही है। अशोक गहलोत सरकार को घेरने के लिए कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, लाल डायरी, महिलाओं से दुष्कर्म और उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हत्या को मुख्य रूप से चुनावी मुद्दे बनाए जाएंगे। केंद्र सरकार की योजनाओं का भी प्रचार-प्रसार अधिक होगा। जातिगत समीकरणों को साधने के लिए हरियाणा और दिल्ली के आधा दर्जन सांसद व नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है।
इनमें पंजाब सुनील जाखड़, दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा,रमेश विधूडी, हरियाणा के नेता सुभाष बराला, ओमप्रकाश धनखड़, विजयपाल सिंह तोमर को गुर्जर व जाट बहुल इलाकों की जिम्मेदारी दी गई है। दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश के 44 नेताओं को अलग-अलग जिलों का जिम्मा साौंपा गया है।
प्रदेश की कोर कमेटी के सदस्यों से सभी दो सौ विधानसभा सीटों के लिए संभावित प्रत्याशियों के नामों पर फीडबैक लिया जाएगा, लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा। टिकट तय करने के पहले दौर में कोर कमेटी के सदस्यों से 65 सीटों के लिए संभावित प्रत्याशियों के नामों की सूची ले ली गई है। शेष 135 सीटों पर भी अगले दो से तीन दिन में सूची मांगी जाएगी। प्रत्याशियों की पहली सूची कभी भी जारी की जा सकती है। केंद्रीय नेतृत्व ने सूची तैयार कर ली है।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा और संभावित प्रत्याशियों के बारे में कोर कमेटी के सदस्यों से चर्चा करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष बुधवार शाम को जयपुर पहुंचे।
शाह और नड्डा ने प्रदेश नेतृत्व को साफ संकेत दिया कि कोई नेता खुद को आगे रखने की कोशिश नहीं करे। किसी एक नेता के होर्डिंग्स व पोस्टर नहीं लगाए जाएं। नेताओं को अपने समर्थकों पर भी लगाम लगाने निर्देश दिए गए हैं। नेताओं से कहा गया है कि प्रचार सामग्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमल के फूल का उपयोग होगा।
शाह और नड्डा ने कोर कमेटी के करीब दो घंटे तक बैठक की। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की शाह व नड्डा के साथ अकेले में मुलाकात होने की बात सामने आई है। सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं ने साफ किया कि किसी भी वर्तमान विधायक को सीट बदलने की अनुमति नहीं होगी। विधायक को उसी सीट से टिकट दिया जाएगा, जिसका वह अभी प्रतिनिधित्व कर रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में दस हजार से अधिक वोट से हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं देने का भी संदेश दिया गया है। कुछ मामलों में यदि यह गाइडलाइन बदली जाएगी तो उसका निर्णय केंद्रीय चुनाव समिति करेगी। प्रदेश में निकाली गई चार परिवर्तन संकल्प यात्राओं में भीड़ कम जुटने पर भी दोनों नेताओं ने नाराजगी जताई। हालांकि, तीन दिन पहले जयपुर में हुई पीएम मोदी की सभा में जुटी भीड़ पर संतोष भी जताया।
शाह और नड्डा ने प्रदेश के नेताओं से प्रचार अभियान आक्रामक रूप से चलाने की बात कही है। अशोक गहलोत सरकार को घेरने के लिए कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, लाल डायरी, महिलाओं से दुष्कर्म और उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हत्या को मुख्य रूप से चुनावी मुद्दे बनाए जाएंगे। केंद्र सरकार की योजनाओं का भी प्रचार-प्रसार अधिक होगा। जातिगत समीकरणों को साधने के लिए हरियाणा और दिल्ली के आधा दर्जन सांसद व नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है।
इनमें पंजाब सुनील जाखड़, दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा,रमेश विधूडी, हरियाणा के नेता सुभाष बराला, ओमप्रकाश धनखड़, विजयपाल सिंह तोमर को गुर्जर व जाट बहुल इलाकों की जिम्मेदारी दी गई है। दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश के 44 नेताओं को अलग-अलग जिलों का जिम्मा साौंपा गया है।
29th September, 2023