यूरीड मीडिया- पूर्ववर्ती बसपा सरकार में अंजाम दिए गये 1400 करोड़ रूपये के घोटाले में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) को रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह की तलाश है। विजिलेंस द्वारा उनको पूछताछ के लिए नोटिस देने के बावजूद भी वे पेश नहीं हो रहे हैं। विजिलेंस के सूत्रों के मुताबिक मोहिंदर सिंह के विदेश में होने की अपुष्ट सूचना मिली है। इस मामले में विजिलेंस दो आईएएस अफसरों जिनमें रिटायर्ड आईएएस हरभजन सिंह और रवींद्र सिंह शामिल हैं। दरसअल मोहिंदर सिंह का बयान दर्ज न होने से स्मारक घोटाले की जांच अटकी हुई है। ध्यान रहे कि इस प्रकरण में विजिलेंस तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा से भी पूछताछ कर चुकी है।
बताते चलें कि स्मारकों के निर्माण के संबंध में तत्कालीन बसपा सरकार ने चार अफसरों की एक कमेटी बनाई थी जिसकी जिम्मेदारी इस संबंध में तमाम अहम फैसले लेने की थी। इस कमेटी को ही मिर्जापुर सैंड स्टोन की दरों को भी तय करने का जिम्मा सौंपा गया था जिसमें बाद में बड़े पैमाने पर घोटाला अंजाम दिया गया था। तत्कालीन प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन मोहिंदर सिंह, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी रवींद्र सिंह, एलडीए उपाध्यक्ष हरभजन सिंह, प्रमुख अभियंता पीडब्ल्यूडी त्रिभुवन राम, निर्माण निगम के एमडी सीपी सिंह, खनन विभाग के संयुक्त निदेशक सुहैल अहमद फारूकी ने कमेटी की बैठक में पट्टाधारकों के कंर्सोटियम बनाकर उनसे अनुबंध कर आपूर्ति प्राप्त करने समेत कई नियम विरुद्ध निर्णय लिए थे। सपा सरकार ने स्मारकों के निर्माण में हुए घोटाले की जांच लोकायुक्त संगठन से कराई थी जिसने 1400 करोड़ रूपये की वित्तीय अनियमितताएं होने की रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपते हुए पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई अथवा किसी अन्य विशेषज्ञ एजेंसी से कराने की संस्तुति की थी। तत्पश्चात यह प्रकरण विजिलेंस के सुपुर्द कर दिया गया था जिसने एक जनवरी 2014 को लखनऊ के गोमतीनगर थाने में तत्कालीन मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, निर्माण निगम के एमडी सीपी सिंह समेत 19 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
बताते चलें कि स्मारकों के निर्माण के संबंध में तत्कालीन बसपा सरकार ने चार अफसरों की एक कमेटी बनाई थी जिसकी जिम्मेदारी इस संबंध में तमाम अहम फैसले लेने की थी। इस कमेटी को ही मिर्जापुर सैंड स्टोन की दरों को भी तय करने का जिम्मा सौंपा गया था जिसमें बाद में बड़े पैमाने पर घोटाला अंजाम दिया गया था। तत्कालीन प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन मोहिंदर सिंह, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी रवींद्र सिंह, एलडीए उपाध्यक्ष हरभजन सिंह, प्रमुख अभियंता पीडब्ल्यूडी त्रिभुवन राम, निर्माण निगम के एमडी सीपी सिंह, खनन विभाग के संयुक्त निदेशक सुहैल अहमद फारूकी ने कमेटी की बैठक में पट्टाधारकों के कंर्सोटियम बनाकर उनसे अनुबंध कर आपूर्ति प्राप्त करने समेत कई नियम विरुद्ध निर्णय लिए थे। सपा सरकार ने स्मारकों के निर्माण में हुए घोटाले की जांच लोकायुक्त संगठन से कराई थी जिसने 1400 करोड़ रूपये की वित्तीय अनियमितताएं होने की रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपते हुए पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई अथवा किसी अन्य विशेषज्ञ एजेंसी से कराने की संस्तुति की थी। तत्पश्चात यह प्रकरण विजिलेंस के सुपुर्द कर दिया गया था जिसने एक जनवरी 2014 को लखनऊ के गोमतीनगर थाने में तत्कालीन मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, निर्माण निगम के एमडी सीपी सिंह समेत 19 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
28th November, 2022