यूरीड मीडिया- प्रदेश की सियासत में कांग्रेस को एक और झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्दीय मंत्री आरपीएन सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए है। आरपीएन सिंह का नाम कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में भी शामिल था। यह सूची कल जारी की गयी थी लेकिन आरपीएन सिंह आज भाजपा में शामिल जो गए हैं।
इस अवसर पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले मोदी सरकार के केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा के प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, दोनों उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष भी उपस्थित थे। भाजपा में शामिल होने के अवसर पर आरपीएन सिंह ने मोदी और योगी डबल इंजन सरकार की प्रशंसा की और कहा कि डबल इंजन की सरकार में उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल का काफी विकास हो रहा है। वह एक छोटे कार्यकर्त्ता के रूप में भाजपा में शामिल हुए है। नेतृत्व जो भी कार्य सौपेगा उसे बड़ी ईमानदारी से निभाएंगे। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि 32 वर्षों से पार्टी में है और काफी कार्य भी किया लेकिन कांग्रेस अब वह कांग्रेस नहीं रह गयी जो पहले थी। इसके पहले भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। उन्हें विधान परिषद् सदस्य बनाया गया और वर्तमान में योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री है। इसी तरह का आरोप जितिन ने भी पार्टी छोड़ते समय लगाया था। ललितेश त्रिपाठी भी कांग्रेस में उपेक्षा का आरोप लगाकार तृणमूल कांग्रेस से जुड़े है। ललितेश, कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र है। कांग्रेस छोड़ने वाले बड़े नेता नेतृत्व पर उपेक्षा का आरोप लगाते है जबकि प्रियंका गाँधी वाड्रा और राहुल गाँधी कहते है कि यह संघर्ष का दौर है जो कायर है, डरपोक है संघर्ष नहीं कर सकते है वही पार्टी छोड़ कर जा रहे है और जा सकते है। ऐसे कायर लोगों को जो संघर्ष नहीं कर सकते उन्हें रोका नहीं जायेगा। यहाँ सबसे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी छोड़ने वाले ज्योतिरादित्य, जितिन, आरपीएन सिंह, ललितेश तमाम बड़े कांग्रेस नेता कायर हैं ? या फिर राहुल और प्रियंका की टीम अपने पार्टी के बड़े बड़े नेताओं को सम्मान देकर रोक नहीं पा रही है। पार्टी छोड़ने वाले कांग्रेस नेतृत्व दोनों के अपने-अपने तर्क है लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस कमजोर हो रही है और प्रियंका के सामने चुनौती भी बढ़ती जा रही है कि वह किस तरह से पार्टी को मजबूत करेंगी जबकि एक परसेप्शन भी बनता जा रहा है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सियासत में प्रियंका के तमाम प्रयास के बाद भी अपेक्षाकृत मजबूत नहीं हुई है। इसका खामियाजा 2022 के साथ साथ ऐसी स्थिति बनी रही तो 2024 में भी कांग्रेस को उठाना पड़ेगा।
इस अवसर पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले मोदी सरकार के केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा के प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, दोनों उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष भी उपस्थित थे। भाजपा में शामिल होने के अवसर पर आरपीएन सिंह ने मोदी और योगी डबल इंजन सरकार की प्रशंसा की और कहा कि डबल इंजन की सरकार में उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल का काफी विकास हो रहा है। वह एक छोटे कार्यकर्त्ता के रूप में भाजपा में शामिल हुए है। नेतृत्व जो भी कार्य सौपेगा उसे बड़ी ईमानदारी से निभाएंगे। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि 32 वर्षों से पार्टी में है और काफी कार्य भी किया लेकिन कांग्रेस अब वह कांग्रेस नहीं रह गयी जो पहले थी। इसके पहले भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। उन्हें विधान परिषद् सदस्य बनाया गया और वर्तमान में योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री है। इसी तरह का आरोप जितिन ने भी पार्टी छोड़ते समय लगाया था। ललितेश त्रिपाठी भी कांग्रेस में उपेक्षा का आरोप लगाकार तृणमूल कांग्रेस से जुड़े है। ललितेश, कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र है। कांग्रेस छोड़ने वाले बड़े नेता नेतृत्व पर उपेक्षा का आरोप लगाते है जबकि प्रियंका गाँधी वाड्रा और राहुल गाँधी कहते है कि यह संघर्ष का दौर है जो कायर है, डरपोक है संघर्ष नहीं कर सकते है वही पार्टी छोड़ कर जा रहे है और जा सकते है। ऐसे कायर लोगों को जो संघर्ष नहीं कर सकते उन्हें रोका नहीं जायेगा। यहाँ सबसे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी छोड़ने वाले ज्योतिरादित्य, जितिन, आरपीएन सिंह, ललितेश तमाम बड़े कांग्रेस नेता कायर हैं ? या फिर राहुल और प्रियंका की टीम अपने पार्टी के बड़े बड़े नेताओं को सम्मान देकर रोक नहीं पा रही है। पार्टी छोड़ने वाले कांग्रेस नेतृत्व दोनों के अपने-अपने तर्क है लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस कमजोर हो रही है और प्रियंका के सामने चुनौती भी बढ़ती जा रही है कि वह किस तरह से पार्टी को मजबूत करेंगी जबकि एक परसेप्शन भी बनता जा रहा है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सियासत में प्रियंका के तमाम प्रयास के बाद भी अपेक्षाकृत मजबूत नहीं हुई है। इसका खामियाजा 2022 के साथ साथ ऐसी स्थिति बनी रही तो 2024 में भी कांग्रेस को उठाना पड़ेगा।
25th January, 2022