यूरीड मीडिया- किसान आंदोलन और 3कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाते हुए तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को लागू करने पर अगले आदेश तक रोक लगी दी है. साथ ही समिति का भी गठन किया है. CJI एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि हम समस्या का समाधान चाहते हैं और इसके लिए कमेटी का गठन जरूरी है. हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं।
5 पांइट्स अपडेट-
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे ने कहा कि किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी। हम समस्या का समाधान चाहते हैं। हमारे पास अधिकार है, जिसमें एक यह है कि हम कृषि कानूनों को सस्पेंड कर दे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें समिति बनाने का अधिकार है, जो लोग वास्तव में हल चाहते हैं वो कमेटी के पास जा सकते हैं। हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं। कमेटी हमें रिपोर्ट देगी। कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए समिति का गठन चाहते हैं। कोर्ट ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमिटी के सदस्य के तौर पर सुझाए हैं।
CJI ने कहा कि कल किसानों के वकील दवे ने कहा कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे। अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमेटी के समक्ष क्यों नहीं? अगर वो समस्या का समाधान चाहते हैं, तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे। हम चाहते हैं कि कोई जानकार व्यक्ति (कमेटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से बहस करें कि दिक्कत कहां है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी ताकत हमें कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है। यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी। समिति यह बताएगी कि किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए. फिर वो कानूनों से निपटेगा। CJI ने कहा कि हम कानून को सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन सशर्त. हालांकि, अनिश्चितकाल के लिए नहीं।
हम प्रधानमंत्री से कुछ नहीं कह सकते हैं. प्रधानमंत्री इस केस में पक्षकार नहीं हैं। उनके लिए हम कुछ नहीं कहेंगे। यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायपालिका में अंतर है और आपको सहयोग करना होगा।
5 पांइट्स अपडेट-
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे ने कहा कि किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी। हम समस्या का समाधान चाहते हैं। हमारे पास अधिकार है, जिसमें एक यह है कि हम कृषि कानूनों को सस्पेंड कर दे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें समिति बनाने का अधिकार है, जो लोग वास्तव में हल चाहते हैं वो कमेटी के पास जा सकते हैं। हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं। कमेटी हमें रिपोर्ट देगी। कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए समिति का गठन चाहते हैं। कोर्ट ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमिटी के सदस्य के तौर पर सुझाए हैं।
CJI ने कहा कि कल किसानों के वकील दवे ने कहा कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे। अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमेटी के समक्ष क्यों नहीं? अगर वो समस्या का समाधान चाहते हैं, तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे। हम चाहते हैं कि कोई जानकार व्यक्ति (कमेटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से बहस करें कि दिक्कत कहां है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी ताकत हमें कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है। यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी। समिति यह बताएगी कि किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए. फिर वो कानूनों से निपटेगा। CJI ने कहा कि हम कानून को सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन सशर्त. हालांकि, अनिश्चितकाल के लिए नहीं।
हम प्रधानमंत्री से कुछ नहीं कह सकते हैं. प्रधानमंत्री इस केस में पक्षकार नहीं हैं। उनके लिए हम कुछ नहीं कहेंगे। यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायपालिका में अंतर है और आपको सहयोग करना होगा।
12th January, 2021