यूरीड मीडिया-रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंदिर निर्माण समिति की बैठक चेयरमैन व रिटायर आईएएस अधिकारी नृपेन्द्र मिश्र की अध्यक्षता में 22 नवम्बर को होगी। नई दिल्ली में प्रस्तावित इस बैठक में कई अहम फैसले हो सकते हैं। बैठक में राम मंदिर के फाउंडेशन के तकनीकी पक्ष के अलावा कार्यदाई संस्थाओं एलएण्डटी समेत टाटा इंजीनियरिंग व कंसल्टेंसी, मुम्बई व मेसर्स सोमपुरा कंस्ट्रक्शन एवं दूरदर्शन के साथ किए जाने वाले अनुबंधों को अंतिम रूप दिया जाएगा। बैठक में हिस्सा लेने के लिए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डाॅ. अनिल मिश्र व विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या से शनिवार को प्रस्थान करेंगे।
रामजन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बैठक के विषय को टालते हुए कहा कि तकनीक विशेषज्ञों का जो कार्य है, वह उन्हीं के स्तर से ही निपटेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में हम चाहकर भी कोई जल्दबाजी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों से ही मंदिर निर्माण में साढ़े तीन साल का वक्त लगने का अनुमान लगाया गया है। डॉ. मिश्र ने बताया कि आईआईटी, चेन्नई व सीबीआरआई, रुड़की के विशेषज्ञ अपने अनुसंधान कार्य में लगे हैं। उनकी फाइनल रिपोर्ट के आधार पर निर्माण कार्य शुरू होगा। बताया गया कि फाउंडेशन निर्माण से पहले टेस्ट पाइलिंग के जरिए बनाए गए स्तम्भ भी फाउंडेशन का ही हिस्सा हैं। रिपोर्ट आने के बाद इसके आगे की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि एलएण्डटी एवं मेसर्स सोमपुरा कांस्ट्रक्शन कंपनी ही मंदिर निर्माण की अधिकृत संस्थाएं हैं। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन निर्माण के बाद पत्थरों का कार्य विशुद्ध रुप से सोमपुरा कंपनी ही करेगी क्योंकि एलएण्डटी को पत्थरों के विषय में अनुभव सोमपुरा कंपनी के मुकाबले में कम है। फिर भी एलएण्डटी सहयोगी रहेगी। इसी तरह से फाउंडेशन निर्माण का पूरा दारोमदार एलएण्डटी पर ही है। इस कार्य में सोमपुरा कंपनी सहयोगी रहेगी। उन्होंने बताया कि राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल सोमपुरा कंपनी ने ही तैयार किया है, इसलिए डिजाइन पर उसकी सहमति अनिवार्य है।
रामजन्मभूमि परिसर के करीब 13 हजार वर्ग फिट में प्रस्तावित मंदिर के लिए फाउंडेशन के निर्माण में भूमिगत 12 सौ स्तम्भों का निर्माण कराकर उसे चट्टानी स्वरुप दिया जाना है। यह स्तम्भ सौ फिट गहराई में एक मी. व्यास का होगा। इसमें लोहा-सरिया का प्रयोग नहीं किया जाएगा। सीमेंट-मोरंग व कांकरीट के अलावा ताकत बढ़ाने के लिए अभ्रक व सिलीकॉन को मिक्स किया जाएगा। इसके लिए परिसर में आटोमेटिक प्लांट लगाया जा रहा है। करीब छह माह तक चलने वाले फाउंडेशन के कार्य के लिए दो आटोमेटिक प्लांट स्थापित हो गये हैं। इस बीच तीसरे प्लांट स्थापना की तैयारी हो रही है।
रामजन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बैठक के विषय को टालते हुए कहा कि तकनीक विशेषज्ञों का जो कार्य है, वह उन्हीं के स्तर से ही निपटेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में हम चाहकर भी कोई जल्दबाजी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों से ही मंदिर निर्माण में साढ़े तीन साल का वक्त लगने का अनुमान लगाया गया है। डॉ. मिश्र ने बताया कि आईआईटी, चेन्नई व सीबीआरआई, रुड़की के विशेषज्ञ अपने अनुसंधान कार्य में लगे हैं। उनकी फाइनल रिपोर्ट के आधार पर निर्माण कार्य शुरू होगा। बताया गया कि फाउंडेशन निर्माण से पहले टेस्ट पाइलिंग के जरिए बनाए गए स्तम्भ भी फाउंडेशन का ही हिस्सा हैं। रिपोर्ट आने के बाद इसके आगे की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि एलएण्डटी एवं मेसर्स सोमपुरा कांस्ट्रक्शन कंपनी ही मंदिर निर्माण की अधिकृत संस्थाएं हैं। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन निर्माण के बाद पत्थरों का कार्य विशुद्ध रुप से सोमपुरा कंपनी ही करेगी क्योंकि एलएण्डटी को पत्थरों के विषय में अनुभव सोमपुरा कंपनी के मुकाबले में कम है। फिर भी एलएण्डटी सहयोगी रहेगी। इसी तरह से फाउंडेशन निर्माण का पूरा दारोमदार एलएण्डटी पर ही है। इस कार्य में सोमपुरा कंपनी सहयोगी रहेगी। उन्होंने बताया कि राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल सोमपुरा कंपनी ने ही तैयार किया है, इसलिए डिजाइन पर उसकी सहमति अनिवार्य है।
रामजन्मभूमि परिसर के करीब 13 हजार वर्ग फिट में प्रस्तावित मंदिर के लिए फाउंडेशन के निर्माण में भूमिगत 12 सौ स्तम्भों का निर्माण कराकर उसे चट्टानी स्वरुप दिया जाना है। यह स्तम्भ सौ फिट गहराई में एक मी. व्यास का होगा। इसमें लोहा-सरिया का प्रयोग नहीं किया जाएगा। सीमेंट-मोरंग व कांकरीट के अलावा ताकत बढ़ाने के लिए अभ्रक व सिलीकॉन को मिक्स किया जाएगा। इसके लिए परिसर में आटोमेटिक प्लांट लगाया जा रहा है। करीब छह माह तक चलने वाले फाउंडेशन के कार्य के लिए दो आटोमेटिक प्लांट स्थापित हो गये हैं। इस बीच तीसरे प्लांट स्थापना की तैयारी हो रही है।
21st November, 2020